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गणपति के दरबार में उमड़ी श्रद्धा, चढ़ा छप्पन भोग

महानगर के विभिन्न स्थानों पर स्थापित आदि देव भगवान गणपति की मूति के समक्ष छप्पन भोग लगाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 01:48 AM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 01:48 AM (IST)
गणपति के दरबार में उमड़ी श्रद्धा, चढ़ा छप्पन भोग
गणपति के दरबार में उमड़ी श्रद्धा, चढ़ा छप्पन भोग

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : महानगर के विभिन्न स्थानों पर स्थापित आदि देव भगवान गणपति की मूर्तियां श्रद्धालुओं की आस्था व आकर्षण की केंद्र हैं। शुक्रवार को भगवान गणपति की विधि-विधान से पूजा-आरती करने के बाद उन्हें छप्पन भोग का प्रसाद अर्पित किया गया।

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महाराष्ट्र समाज द्वारा 1953 में यहां मुंबई की तर्ज पर शुरू किया गया गणेशोत्सव अब लोगों की श्रद्धा का केंद्र बनता जा रहा है। शहर में कई स्थानों पर भगवान की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। महानगर में गणेशोत्सव की धूम है। खासकर धर्मशाला बाजार, शाहपुर, सुमेर सागर, किराना मंडी, घासीकटरा, कच्ची बगिया व पांडेयहाता में आयोजित गणेशोत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे। पूजन-अर्चन कर अपनी आस्था व श्रद्धा निवेदित की। आरती के समय माहौल भक्ति से ओतप्रोत हो गया था।

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पांडेयहाता के महाराज

शहर में सबसे बड़ी मूर्ति पांडेयहाता में स्थापित है। मूर्ति की ऊंचाई 16 फीट है। यहां पिछले 13 वर्ष से मूर्ति स्थापित की जा रही है। गणपति के दोनों तरफ ऋद्धि-सिद्धि की मूर्तियां हैं। मूर्ति का निर्माण गोरखनाथ में हुआ है। मूर्ति में लगभग 70 हजार रुपये के श्रृंगार के सामान लगे हैं। शुक्रवार को भंडारा आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। शनिवार को महाआरती व हवन है। विसर्जन शोभायात्रा 23 सितंबर को सायं 5 बजे निकाली जाएगी। कार्यक्रम में अध्यक्ष सोनू सिंह, अनूप पटवा, सूरज निषाद, कमलेश सिंह, मुंगेरी गुप्ता व संदीप का सहयोग है।

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धर्मशाला बाजार के गणपति

भरत मिलाप तिराहा, धर्मशाला बाजार में स्थापित गणपति मूर्ति शहर की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति है। इस मूर्ति की ऊंचाई 15 फीट है। पिछले छह साल से यहां मूर्ति स्थापित की जा रही है। मूर्ति का निर्माण गोरखनाथ में हुआ है। इसे मन्नत की मूर्ति कहा जाता है। यहां जिसकी मन्नतें पूरी होती हैं, वह बढ़-चढ़कर सहयोग करता है, इसलिए प्रतिवर्ष यह उत्सव क्रमश: बड़ा होता जा रहा है। हरे रंग के आभूषणों से मूर्ति को सजाया गया है। लगभग 15 हजार रुपये के श्रृंगार के सामान कोलकाता से मंगाए गए हैं। सायं गणपति बप्पा को छप्पन भोग चढ़ाया गया। शनिवार को भंडारा आयोजित होगा व 23 सितंबर को सायं चार बजे विसर्जन शोभायात्रा निकाली जाएगी। कार्यक्रम में अध्यक्ष कृष्णकांत गुप्ता, राहुल गुप्ता, लालू, अमर पटवा आदि का सहयोग है।

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घासीकटरा की इको फ्रेंडली मूर्ति

घासीकटरा में भगवान गणेश की मूर्ति 2003 से स्थापित की जा रही है। यह मूर्ति 12 फीट की है, जिसे अहमदाबाद से मंगाया गया है। यह मूर्ति पूरी तरह इको फ्रेंडली है, जिसमें पीओपी का प्रयोग नहीं किया गया है। केवल मिट्टी है। रंग भी हर्बल लगाए गए हैं। यह मूर्ति मुंबई के लालबाग के राजा के प्रतीक रूप में स्थापित की गई है। जैसे लालबाग के राजा की मूर्ति के पीछे स्क्रीन लगा है, वैसा ही स्क्रीन इस मूर्ति के पीछे भी लगाया गया है। स्क्रीन पर झरना, अनेक तरह की डिजाइन, रंगोली आदि के चित्र क्रम से चल रहे हैं। शुक्रवार को गणपति को 11 क्विंटल लड्डू का भोग लगाया गया। शनिवार को जागरण आयोजित होगा। 23 सितंबर को सायं सात बजे विसर्जन शोभायात्रा निकाली जाएगी। कार्यक्रम में अध्यक्ष सुधाकर मोदनवाल, महामंत्री पंकज गुप्ता, मनोज अग्रहरि, विजय कसेरा, मनीष जैन, आकाश, कुणाल, राहुल आदि का सहयोग है।

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बच्चों ने मिर्च से बनाई गणपति की धोती

किराना मंडी, साहबगंज में पिछले दस साल से गणेशोत्सव आयोजित हो रहा है। यहां स्थापित गणपति मूर्ति के पास एक छोटी सी गणपति की मूर्ति है, जिसकी धोती लाल मिर्च से बच्चों ने बनाई है। इसमें अंशु आदि का सहयोग रहा। यहां पिछले वर्ष सिक्कों की और उसके पिछले वर्ष गेहूं की गणपति मूर्ति बनाई गई थी। इस बार साधारण मूर्ति है, जिसकी ऊंचाई 11.5 फीट है। मूर्ति का निर्माण गोरखनाथ में हुआ है। आयोजकों का कहना है कि इस बार मूर्ति विशेष न बनाकर हम लोगों ने भंडारे व पंडाल पर ध्यान दिया। चार भंडारे आयोजित हो चुके हैं, पांचवां भंडारा शनिवार को है। 15 हजार रुपये के श्रृंगार के सामान कोलकाता से मंगाए गए हैं। विसर्जन शोभायात्रा 23 को सायं छह बजे निकाली जाएगी। उत्सव में अजय अग्रहरि, विपिन अग्रहरि, महेंद्र मद्धेशिया, शैलेंद्र मद्धेशिया, मनीष मद्धेशिया का सहयोग है।


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