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UP के इस जिले में भगवान भोलेनाथ की आराधना में लीन है फ्रांसीसी परिवार

लॉकडाउन में यूपी के महराजगंज में फंसा फ्रांसीसी परिवार इस समय भगवान शिव की आराधना में लीन है। यह परिवार भारत की संस्‍कृति में रम गया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 12:13 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 09:08 AM (IST)
UP के इस जिले में भगवान भोलेनाथ की आराधना में लीन है फ्रांसीसी परिवार
UP के इस जिले में भगवान भोलेनाथ की आराधना में लीन है फ्रांसीसी परिवार

महराजगंज, जेएनएन। लक्ष्मीपुर ब्लाक के कोल्हुआ उर्फ  सिंहोरवा  शिवमंदिर परिसर में लॉकडाउन के दौरान फंसे फ्रांसीसी परिवार के आस्था की डोर सनातन धर्म से दिनों दिन गहरी होती जा रही है। सावन माह में परिवार के सभी पांचों सदस्य भोले भंडारी की भक्ति में लीन हैं। पवित्र माह के दूसरे सोमवार को उन्होंने मंदिर परिसर में जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की।

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महराजगंज जिले के कोल्हुआ में ठहरा है फ्रांसीसी परिवार

फ्रांस के टूलोज शहर के रहने वाले पैट्रीस, पत्नी व बच्चों समेत टूरिस्ट वीजा पर पहली मार्च 2020 को पाकिस्तान होते हुए भारत पहुंचे। इन्हें भारत के विभिन्न स्थानों के भ्रमण के बाद नेपाल जाना था। लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते भारत-नेपाल सीमा सील होने के कारण वह नेपाल नहीं जा सके। लिहाजा सीमा खुलने तक पुरंदरपुर थानाक्षेत्र के ग्राम पंचायत कोल्हुआ उर्फ सिंहोरवा स्थित शिव  मंदिर को अपना आशियाना बना लिया। लंबे समय से मंदिर परिसर में रहने के कारण फ्रांसीसी परिवार का भारत से लगाव बढ़ता जा रहा है।

आठ माह के लिए विश्व भ्रमण पर निकला है परिवार

बीते 21 मार्च से महराजगंज जिले के कोल्हुआ उर्फ सिंहोरवा गांव में यह परिवार शरण लिए हुए है। ये फरवरी माह से विश्व के विभिन्न देशों की यात्रा पर निकले हैं। सोनौली पहुंचते ही सीमा सील हो गई। लक्ष्मीपुर जंगल के किनारे स्थित इस गांव के मंदिर परिसर में फ्रांसीसी दंपती अपने तीन बच्चों के साथ रह रहे हैं। पुलिस प्रशासन द्वारा कई बार यह प्रयास किया गया कि उन्हें किसी नगर में सुरक्षित स्थान पर रुकने की व्यवस्था की जाए। लेकिन यह लोग कहीं जाने को तैयार नहीं हुए। अब पूरा गांव इनका परिवार बन गया है। 21 मार्च को वाहन चलाते हुए पत्नी बच्चों के साथ फ्रांस के टूलोज शहर निवासी पैट्रीस गांव के बाहर मंदिर पर पहुंचे तो हर कोई अचरज में पड़ गया। चंद ही दिनों में यह लोग गांव के एक-एक व्यक्ति से घुल मिल गए। इतने दिनों में इन्हें हिन्दी की आवश्यक जानकारी भी हो गई । मंदिर परिसर में किसी के आने पर नमस्ते बोल अभिवादन कर रहे हैं। किसी ग्रामीण के घर चाय पीने के बाद 13 साल का टाम के मुंह से बरबस ही निकल जाता है, चाय बहुत अच्छी है। पूरा परिवार ग्रामीणों के अतिथि सत्‍कार से निहाल है। सभी एक सुर में बस यही बोल रहे हैं, इंडिया इज ग्रेट।

प्रशासन भी रख रहा है इनका ख्याल

फ्रांसीसी परिवार का हर सदस्य फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ ही सरकार के दिशा निर्देशों का पालन कर रहा है। वह ग्रामीणों से एक निश्चित दूरी बना कर ही बात कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इनकी जांच भी कराई गई, जिसमें सभी स्वस्थ निकले। पुलिस व प्रशासन के अधिकारी भी इनका नियमित कुशल क्षेम पूछ रहे हैं।

बाघा बार्डर होते हुए भारत में किए प्रवेश

पैट्रीस अपनी पत्नी वर्जिनी, बेटियों लोला व ओफली तथा बेटे टाम के साथ बीते फरवरी माह में फ्रांस से यात्रा पर निकले। पाकिस्तान भ्रमण के बाद पहली मार्च को बाघा बार्डर से होते हुए भारत में प्रवेश किए। कोरोना संक्रमण को देखते हुए दिल्ली स्थित फ्रांसीसी दूतावास से संपर्क कर वीजा अवधि बढ़ाई गई। आगामी आठ माह में इनकी नेपाल , म्यांमार, इंडोनेशिया, थाईलैंड मलेशिया होते पुन: फ्रांस जाने की योजना है। पैलेरेस इनट्राइजजोसेफ की दोनों बेटियां ग्रेजुएट हैं। बेटा पैलेरेस ट्राममेटिव कक्षा नौवीं का छात्र है। पत्नी फ्रांस के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं। जबकि पैलेरेस इनट्राइजजोसेफ खुद मोटर मैकेनिक हैं। इनके द्वारा अपने वाहन में ही रहने खाने की पूरी व्यवस्था की गई है।


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