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गम में थी विधवा, प्लाट की हो गई फर्जी रजिस्ट्री

जीडीए में उसके नाम प्लाट आवंटित था। पति की मौत के बाद जब प्लाट को अपने नाम कराने गई तो वह चौंक गई। वह प्लाट दूसरे के नाम हो गया था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 11:30 AM (IST)Updated: Sat, 22 Dec 2018 11:30 AM (IST)
गम में थी विधवा, प्लाट की हो गई फर्जी रजिस्ट्री
गम में थी विधवा, प्लाट की हो गई फर्जी रजिस्ट्री

गोरखपुर, जेएनएन। पति के अचानक गुजर जाने के गम में डूबी एक विधवा के प्लाट की फर्जी रजिस्ट्री होने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। मामला जीडीए (गोरखपुर विकास प्राधिकरण) के गौतम विहार आवासीय कालोनी का है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जीडीए उपाध्यक्ष अमित सिंह बंसल ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। जांच रिपोर्ट देने के लिए कमेटी को तीन सप्ताह का समय दिया गया है। मामले में प्रथमदृष्टया जीडीए के संपत्ति अनुभाग के कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है।

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जीडीए की गौतम विहार आवासीय योजना में अंजनी देवी पत्‍‌नी रमेश वर्मा के नाम एचआईजी का प्लाट नंबर 14 आवंटित हुआ था। पांच वर्ष पूर्व उनके पति की मौत हो गई। आवंटन के बाद जमीन की रजिस्ट्री होनी अभी बाकी थी। लंबे समय तक अवसाद में रहने के बाद जब वह हाल ही में प्लाट की रजिस्ट्री कराने जीडीए कार्यालय पहुंचीं तो यह जानकर सदमे में आ गई कि उनके प्लाट की रजिस्ट्री तो किसी और व्यक्ति को कर दी गई है। जीडीए के अधिकारियों ने जब इसकी प्राथमिक जांच कराई तो पता चला कि आवास आवंटन और रजिस्ट्री आदि से जुड़े दस्तावेजों में छेड़छाड़ की गई है। प्लाट का आवंटन अंजनी के नाम पर हुआ था, लेकिन दस्तावेज में छेड़छाड़ करके उसका नाम हटाकर पति रमेश वर्मा के नाम के आगे पिता का नाम लिख दिया गया है।

इस फर्जीवाड़े में जीडीए के संपत्ति विभाग के कुछ कर्मचारियों की संलिप्तता भी मानी जा रही है। मामले की गंभीरता को समझते हुए उपाध्यक्ष ने तत्काल तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी। अधिशासी अभियंता दिवाकर के नेतृत्व में गठित कमेटी ने तीन महीने की मियाद के मद्देनजर जांच शुरू कर दी है। उधर पीड़िता अंजनी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है, जिसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तीन महीने के भीतर इस मामले में जीडीए से आख्या मांगी है। आख्या संबंधी कोर्ट का आदेश 19 दिसंबर 2018 का है।

जीडीए के सचिव राम सिंह गौतम का कहना है कि रजिस्ट्री में जालसाजी का मामला बेहद गंभीर है। यही वजह है कि इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है। तीन महीने में जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है। स्थिति साफ होने के बाद दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही फर्जी ढंग से किए गए बैनामे को निरस्त करने के लिए भी कार्यवाही शुरू की जाएगी।


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