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गोरखनाथ मंदिर के चार वृक्षों को मिलेगा विरासत का दर्जा, जानें-कितने उम्र के हैं सभी वृक्ष Gorakhpur News

तमाम पुराने लोगों से बातचीत के आधार पर वन विभाग अभी सिर्फ इस नतीजे पर पहुंचा है कि इनकी आयु 100 वर्ष से अधिक की है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Thu, 27 Aug 2020 10:24 PM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 10:24 PM (IST)
गोरखनाथ मंदिर के चार वृक्षों को मिलेगा विरासत का दर्जा, जानें-कितने उम्र के हैं सभी वृक्ष Gorakhpur News
गोरखनाथ मंदिर के चार वृक्षों को मिलेगा विरासत का दर्जा, जानें-कितने उम्र के हैं सभी वृक्ष Gorakhpur News

जितेन्द्र पाण्डेय, गोरखपुर।गोरखनाथ मंदिर के चार वृक्षों को जल्द ही विरासत वृक्षों का दर्जा मिलेगा। उसके बाद इनकी निगरानी वन विभाग भी करेगा। यह वृक्ष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ के समय में लगाए गए थे। यह चारों वृक्ष 100 वर्ष से अधिक आयु के हो चुके हैं। अभी मंदिर प्रशासन इनकी देखरेख करता है। वन विभाग ने इन वृक्षों का ऐतिहासिक महत्व जानने के लिए लोगों से संपर्क शुरू कर दिया है। इसके तहत वह गुरुवार को मंदिर प्रशासन के लोगों से भी मिला है।

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100 वर्ष से अधिक आयु के है यह चारो वृक्ष

इन वृक्षों के संबंध में वन विभाग मंदिर से जुड़े पुराने लोगों से संपर्क साधने की कोशिश कर रहा है। तमाम पुराने लोगों से बातचीत के आधार पर वन विभाग अभी सिर्फ इस नतीजे पर पहुंचा है कि इनकी आयु 100 वर्ष से अधिक की है। बरगद के पेड़ों की समय-समय पूजा होती है तो वहीं पाकड़ का वृक्ष गौशाला में मौजूद गायों को अपनी छाया प्रदान करता है।

जानिए कौन सा वृक्ष, कहां है मौजूद

7.20 मीटर गोलाई का पाकड़ का यह वृक्ष मंदिर परिसर में काली जी के मंदिर के पास है। इस पर तमाम प्रवासी पक्षी भी देखे जाते हैं। 5.10 मीटर की गोलाई का बरगद का यह पेड़ हनुमान मंदिर के सामने है। इसकी धार्मिक मान्यता है। गौशाला में 6.20 मीटर गोलाई का यह पाकड़ का वृक्ष वहां गायों के छांव का जरिया है और बड़े पैमाने पर आक्सीजन देता है। 5.10 मीटर की गोलाई का बरगद का यह पेड़ हनुमान मंदिर के बांयी तरह स्थित है। यहां भी पूजन के लिए भीड़ जुटती है।

चयन होने के बाद होगी विशेष देखभाल

डीएफओ अविनाश कुमार का कहना है कि इन वृक्षों को ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व देखा जा रहा है। वन विभाग की टीम इसके लिए पुराने लोगों से संपर्क साध रही है। ताकि इनकी विशेषता व उपयोगिता के साथ इन्हें विरासत वृक्षों के लिए चयनित किया जाए। विरासत वृक्षों में चयनित होने के बाद इनकी विशेष देखभाल की जाएगी। समय-समय पर वनकर्मियों की टीम इनकी देखरेख करेगी। वृक्षों के पास बोर्ड पर इनके विषय में जानकारी दी जाएगी। ताकि लोग इनके महत्व के विषय में जान सकें।

महंत दिग्विजय नाथ के समय में हुआ था रोपण

गोरखनाथ मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी का कहना है कि इन वृक्षों के संबंध में वन विभाग जानकारी एकत्रित कर रहा है। उनकी टीम मंदिर में आई थी। पेड़ कब के लगे हैं, यह नहीं पता है। मैं जब मंदिर में आया तो बड़े महराज जी (ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ) के द्वारा पता चलता था कि यह ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ के समय में लगाए गए थे। महंत अवेद्यनाथ जी के निर्देश पर इन वृक्षों पर हर 15 दिन पर पानी डाला जाता था। उसका निर्वहन अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी कर रहे हैं। मंदिर प्रशासन इन वृक्षों की विशेष देखभाल करता है। अक्सर त्योहारों पर इन वृक्षों के पूजन के लिए श्रद्धालुओं की अपार भीड़ होती है।


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