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कैसे गायब हो गई नेपाल सीमा से चार बालिकाएं

सिद्धार्थनगर जिले के पोखरभिंडा गांव से चार बालिकाएं रहस्यमय तरीके से गायब हो गई। इसमें चार साल की एक बच्ची भी है। नेपाल सीमा होने के नाते ग्रामीणों को आशंका है कि कहीं चारो बालिकाएं कहीं मानव तस्करों के हाथ तो नहीं लग गई हैं। जो भी हो पुीिलस और एसएसबी के लोगों ने जांच शुरू कर दी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Jun 2018 02:30 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jun 2018 02:30 PM (IST)
कैसे गायब हो गई नेपाल सीमा से चार बालिकाएं
कैसे गायब हो गई नेपाल सीमा से चार बालिकाएं

गोरखपुर : नेपाल सीमा से सटे सिद्धार्थनगर जिले के कपिलवस्तु थाना क्षेत्र के ग्राम पोखर¨भडा की चार बालिकाओं के संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो जाने से क्षेत्र के लोग दहशत में हैं।

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मालूम हो कि पोखर¨भडा गांव के शिवपूजन चौधरी की दो पुत्रियां साधना चौधरी(13) व वंदना चौधरी(14), माता प्रसाद पाठक की पुत्री प्रिया पाठक(7) तथा स्वराम नेवास चौधरी की पुत्री महिमा चौधरी(4) गुरुवार को सुबह बिना किसी को कुछ बताए अपने-अपने घर से निकल मोहनाजोत चौराहे से टैक्सी में सवार होकर बर्डपुर पहुंची। वहां से उन चारों लड़कियों ने दूसरी टैक्सी पकड़ कर नौगढ़ चलीं गई। इसकी जानकारी होने पर परिवारवालों ने बच्चियों को ढूढ़ना शुरू कर दिया। रिश्तेदारी व अन्य जगहों पर ढूंढने पर जब नही मिलीं तो परिजनों ने कपिलवस्तु कोतवाली को इसकी सूचना दी। थाना प्रभारी कपिलवस्तु राधारमण यादव गांव पर पहुंचे और गायब हुए लड़कियों के बारे में परिजनों एव ग्रामीणों से पूछताछ की। कहा कि मुकदमा दर्ज कर मामले की छानबीन की जा रही है।

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गायब बालिकाओं पर न पड़े मानव तस्करों की नजर

कपिलवस्तु कोतवाली का ग्राम पोखर¨भडवा नेपाल सीमा से मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में सवाल खड़ा होना स्वाभाविक हैं कि गायब बालिकाएं कहीं मानव तस्करों के नेटवर्क में तो नहीं है। सवाल अकारण नहीं है। गांव से मात्र दो किमी दूरी पर नेपाल के चाकरचौड़ा में तीन नेपाली बालिकाओं को नेपाल पुलिस ने मुक्त कराया था। हालांकि सुरक्षा एजेंसी अभी स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं कह पा रही हैं। उनका सिर्फ इतना कहना है कि वह मामले की छानबीन में जुटी हैं। फिलहाल गांव व इर्द-गिर्द गांवों के लोग प्रार्थना कर रहे हैं कि गायब चारो बालिकाओं पर मानव तस्करों की नजर न पड़े।

1751 किलोमीटर की भारत-नेपाल की खुली सीमा तस्करों के लिए मुफीद है। गैर परंपरागत मार्ग से मानव तस्कर गरीब भोली-भाली बालिकाओं को बहला-फुसलाकर खाड़ी देशों में भेज देते हैं। इससे परिजन तमाम तरह की आशंकाओं से जुझ रहे है। वह हर परिचित से अपनी बेटियों के बारे में पूछ रहे हैं। वह अपनी जानकारी पुलिस से भी साझा कर रहे हैं, पर कुछ सफलता नहीं मिल रही है। सीमाई जिले के हिस्से में 68 किलोमीटर भारत-नेपाल सीमा है। यहां एसएसबी की 16 बीओपी हैं। पांच सीमाई थाने और पांच पुलिस चौकियां हैं। इसके अलावा कई स्वयं सेवी संस्थाएं मानव तस्करी से लेकर हर अहम गतिविधि पर नजर रख रही हैं। फिर भी मानव तस्कर लगातार सुरक्षा कर्मियों को चकमा देने के प्रयास में हैं। एक नजर घटनाओं पर ध्यान देना होगा।

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बता दें कि गत आठ मार्च सायं पांच बजे कपिलवस्तु कोतवाली से सटे नेपाल के चाकरचौड़ा में तीन संदिग्ध युवतियों को नेपाल पुलिस ने मुक्त कराया है। तीनों को नौगढ़ रेलवे स्टेशन से लखनऊ व लखनऊ के रास्ते नई दिल्ली से कुवैत व बंगाल भेजने की योजना थी। युवतियों में 35 वर्षीया विष्णु कुमारी, 27 वर्षीया जल माया तमांग, 30 वर्षीया आईती गुरुंग शामिल हैं। युवतियां नेपाल के जिला ¨सधु पालचो, उदयपुर, गोरखा की हैं। यह चाइना बार्डर पर है। नेपाली सूत्रों के अनुसार इसमें एक युवती अलीगढ़वा बार्डर से दलाल के साथ भारतीय क्षेत्र में आने में सफल रही।

इसी तरह भारत-नेपाल सीमा पर स्थित श्रावस्ती जिले के लक्ष्मनपुर कोठी गांव में गत नवंबर माह में तीन युवतियों को मुक्त कराया गया। तीनों नाबालिग बहला-फुसलाकर पंजाब ले जाई जा रही थी, जिन्हें लक्ष्मनपुर-गंगापुर के ग्रामीणों ने संदेह के आधार पर रोक लिया। इसकी सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने बालिकाओं को थाने ले आई। उन्हें उनके अभिभावकों के सुपुर्द कर दिया। तीनों किशोरियों पड़ोसी राष्ट्र नेपाल की थीं।

छह जनवरी को बहराइच में नेपाल से तस्करी कर भारत लाई जा रही 13 नेपाली युवक-युवतियों को एसएसबी ने मुक्त कराया था। एक नेपाली तस्कर को गिरफ्तार किया गया था। सभी युवक-युवतियों को एसएसबी ने नेपाल पुलिस के सुपुर्द कर दिया था।

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एसएसबी 43वीं वाहिनी के कमांडेट जनार्दन प्रसाद का कहना है कि गायब बालिकाओं की सूचना मिली है। छानबीन की जा रही है। एसएसबी ने पूर्व में कुछ तस्करों को पकड़ा भी था। वह काठमांडू से अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। घटना को लेकर एसएसबी भी छानबीन में जुटी है।

उधर पुलिस अधीक्षक डा.धर्मवीर ¨सह का कहना है कि बच्चियां मेले में कहीं निकली थीं। वहां से टेंपों में बर्डपुर तक आने की जानकारी मिली, उसके बाद कहां गईं, यह नहीं पता। फिर भी छानबीन की जा रही है। वैसे किसी भी आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता, पर पुलिस हर ¨बदु को ध्यान में रखकर खोजबीन कर रही है।

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