इस सीट पर नोटा से भी कम मतों पर सिमट गए सात में चार उम्मीदवार
संतकबीर नगर संसदीय क्षेत्र से सात उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आजमाया जिसमें चार को नोटा से भी कम मत मिल सके।
By Edited By: Published: Mon, 27 May 2019 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 27 May 2019 09:52 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। हम आपकी राय से क्षेत्र का विकास करवाएंगे। अमुक दल की सरकार ने आपकी भावनाओं का ख्याल नहीं रखा। अपनी बेहतरी के लिए हमारे पक्ष में मतदान करिए तो आपको परिवर्तन नजर आने लगेगा। इसी प्रकार के नारे देकर संतकबीर नगर संसदीय क्षेत्र से सात उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आजमाया जिसमें चार को नोटा से भी कम मत मिल सके।
वैसे तो नामांकन के बाद से ही संतकबीर नगर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के इंजीनियर प्रवीण निषाद, कांग्रेस के भालचंद्र यादव और महागठबंधन कोटे से बसपा उम्मीदवार भीष्मशंकर उर्फ कुशल तिवारी के बीच ही परिणाम की लड़ाई मानी रही थी। यहां लगातार पांच चुनावों से जमानत नहीं बचा पाने वाली कांग्रेस के उम्मीदवार के पक्ष में खलीलाबाद के जूनियर हाईस्कूल में प्रियंका गांधी की भीड़ भरी जनसभा से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। हालांकि वोट तो बढ़े परंतु जमानत एक बार फिर नहीं बच सकी।
जमानत बचाने के लिए कांग्रेस को 177320 मतों की आवश्यकता थी जबकि भालचंद्र यादव को 128506 मत ही मिल सके। यहां नोटा को पड़े 12648 मत सात में चार उम्मीदवारों पर भारी पड़े। बहुजन मुक्ति पार्टी के आनंद कुमार गौतम को 3987, मौलिक अधिकार पार्टी के अखिलेश कुमार को 8025, राजेंद्र यादव को 6932 और लोटन उर्फ लौटन प्रसाद को 3972 मतों पर ही संतोष करना पड़ा जो नोटा से भी कम रहा। दो गुने से अधिक हुई नोटा 2014 के चुनाव में नोटा के खाते में 4747 मत पड़े थे। जबकि 2019 में यह 12648 हो गया। अहम बात यह भी है कि कर्मचारियों द्वारा भेजे गए पोस्टल बैलट में भी नोटा के 17 मत शामिल रहे तथा शेष 12631 मत ईवीएम में पड़े थे।
वैसे तो नामांकन के बाद से ही संतकबीर नगर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के इंजीनियर प्रवीण निषाद, कांग्रेस के भालचंद्र यादव और महागठबंधन कोटे से बसपा उम्मीदवार भीष्मशंकर उर्फ कुशल तिवारी के बीच ही परिणाम की लड़ाई मानी रही थी। यहां लगातार पांच चुनावों से जमानत नहीं बचा पाने वाली कांग्रेस के उम्मीदवार के पक्ष में खलीलाबाद के जूनियर हाईस्कूल में प्रियंका गांधी की भीड़ भरी जनसभा से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। हालांकि वोट तो बढ़े परंतु जमानत एक बार फिर नहीं बच सकी।
जमानत बचाने के लिए कांग्रेस को 177320 मतों की आवश्यकता थी जबकि भालचंद्र यादव को 128506 मत ही मिल सके। यहां नोटा को पड़े 12648 मत सात में चार उम्मीदवारों पर भारी पड़े। बहुजन मुक्ति पार्टी के आनंद कुमार गौतम को 3987, मौलिक अधिकार पार्टी के अखिलेश कुमार को 8025, राजेंद्र यादव को 6932 और लोटन उर्फ लौटन प्रसाद को 3972 मतों पर ही संतोष करना पड़ा जो नोटा से भी कम रहा। दो गुने से अधिक हुई नोटा 2014 के चुनाव में नोटा के खाते में 4747 मत पड़े थे। जबकि 2019 में यह 12648 हो गया। अहम बात यह भी है कि कर्मचारियों द्वारा भेजे गए पोस्टल बैलट में भी नोटा के 17 मत शामिल रहे तथा शेष 12631 मत ईवीएम में पड़े थे।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें