फिर से लगानी पड़ी पूंजी, तब खड़ा हुआ कारोबार
बीत गया पूरा गर्मी का सीजन नहीं बिके कूलर औ पंखे लाकडाउन में ग्राहकों के घर जरूरी सामान पहुंचाए।
जेएनएन,बस्ती : कोरोना संक्रमण काल में छोटे एवं मझोले कारोबार सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। इलेक्ट्रानिक्स कारोबार भी बंद हो गया था। चार माह बाद दुकान का शटर खुला। सीजन के हिसाब से नए स्टाक मंगाए थे, तभी लाकडाउन लग गया। सभी सामान दुकान में ही रखे रह गए। पूरा एक सीजन बीत गया बिक्री नहीं हुई। इलेक्ट्रानिक्स कारोबारी विकास शुक्ल कहते हैं कि विषम परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारे। सूझबूझ के साथ फिर से कारोबार खड़ा करने में लग गए है। दुकान खोलने की अनुमति मिलते ही उत्साह बढ़ा। तीन-चार दिन लग गए दुकान की साफ-सफाई करने में और इसके बाद सामान सहेजा गया। दुकान बंद रहने से कुछ सामान भी नुकसान हो गए। फिर भी नए सिरे से सामान मंगाकर दुकान खोलना शुरू किया। अब ग्राहक आना शुरू हो गए हैं। उम्मीद है कि कुछ दिन बाद कारोबार रफ्तार पकड़ लेगा।
-
फिर से लगानी पड़ी पूंजी
पिकौरा शिवगुलाम निवासी विकास शुक्ल ने बताया कि लाकडाउन के बाद कारोबार खड़ा करने में फिर से पूंजी लगानी पड़ी। दरअसल उस समय गर्मी का सीजन था। इसलिए कूलर, पंखा, एसी, फ्रिज की उपलब्धता बनाई गई थी। तभी लाकडाउन लग गया। जिससे बिक्री नहीं हो पाई। पुराना सामान सब दुकान में डंप है। जब दुकान खोलने का अवसर आया तो सीजन बदल गया। अब जाड़े का मौसम आ गया है। इसलिए कारोबार खड़ा करने के लिए फिर से पूंजी लगानी पड़ी है। दो लाख रुपये का इंतजाम कर रूम हीटर, ब्लोअर आदि सामान मंगाया गया है। उम्मीद है कि पखवारे भर बाद कारोबार अपने रंग में आ जाएगा। वर्तमान सीजन से ही घाटा पूरा करने की कोशिश की जा रही है। मुश्किल दौर था लाकडाउन, ठप हो गई थी आमदनी
कोरोना संक्रमण काल एक मुश्किल दौर था। आमदनी एकदम ठप हो गई थी। दुकान बंद होने से दैनिक खर्च भी निकाल पाना मुश्किल था। परिवार की अलग जिम्मेदारी थी। कुछ पैसे रखे थे उसी से खर्च चलाया। समय विपरीत देखकर घर के तमाम खर्चों में कटौती करनी पड़ी। सजगता के साथ रहने लगे। चार महीने अपने को बेरोजगार मानकर घर बैठे रहे। स्थिति कुछ सामान्य हुई तो घर के अन्य सदस्यों से उधार लेकर नई पूंजी तैयार किए। तब कारोबार शुरू कर पाए। ग्राहकों से बनाए रखे संबंध
कोरोना काल में भी पुराने ग्राहकों से संबंध बनाए रखे। विभिन्न इलेक्ट्रानिक सामग्रियों के खराब होने पर लोगों का फोन आता था। सभी को होम सर्विस की सुविधा दी जाती थी। खुद तमाम पार्ट दुकान से लेकर घर पहुंचते थे। जरूरत पड़ती थी तो मैकेनिक बुलाकर इलेक्ट्रानिक सामान की मरम्मत कराते थे। यही वजह है ग्राहक जुड़े रहे। अब सीजन आया है तो उन्हीं ग्राहकों के भरोसे कारोबार संभलने की उम्मीद है। उस समय कोरोना का बहुत भय भी था। इसलिए पूरी सजगता के साथ ग्राहकों के घर जाते थे। वापस लौटने पर गर्म पानी से नहाने के बाद परिवार के साथ होते थे। दिल्ली, कानपुर और लखनऊ से मंगाए सामान
दुकान में नए सामान दिल्ली, लखनऊ, कानपुर के थोक विक्रेताओं के यहां से मंगाई गई है। कोरोना काल के चलते अर्थव्यवस्था सभी की बिगड़ी हुई है। इसलिए इन दिनों उधार पर सामान नहीं मिल पा रहा है। नकद भुगतान करने पर ही आर्डर नोट किए जा रहे हैं। बाजार में फंसी है पूंजी
पूंजी का कुछ हिस्सा बाजार में फंसा पड़ा है। जिन ग्राहकों को पहले उधार पर सामान दिए गए थे, उनसे रिकवरी नहीं हो पाई है। आमदनी न होने की वजह से ग्राहक अभी पैसा देने में सक्षम नहीं हैं। मांगने पर अधिकांश मोहलत मांग रहे हैं। उधारी लेने के लिए ज्यादा दबाव भी नहीं बना पा रहे हैं। क्योंकि सभी का दर्द एक जैसा है। बचाव के हैं पूरे इंतजाम
कोरोना से बचाव के लिए दुकान की नियमित सफाई कराई जाती है। ग्राहकों के लिए काउंटर पर सैनिटाइजर रखते हैं। दो गज की दूरी का पालन करते हुए कारोबार किया जा रहा है। सभी को मास्क लगाने के लिए प्रेरित भी करते रहते है। हमारे यहां आनलाइन भुगतान, चेक के जरिये पैसा भी लिया जाता है। नकद भुगतान काउंटर पर रखते हैं। सैनिटाइज करने के बाद भी पैसों को गल्ले में रखते हैं।