आप भी जानें-शास्त्रीय संगीत के बारे में क्या कहती हैं मैथिली ठाकुर
उन्होंने कहा कि हर लोकगीत में कई रागों का इस्तेमाल होता है। जिस राग की प्रमुखता होती है उसी आधार को आधार बनाकर गीत को आगे बढ़ाया जाता है। ऐसे मेें राग का ज्ञान होने से कलाकार लोकगीतों के साथ ज्यादा न्याय कर पाता है।
डा. राकेश राय, गोरखपुर। छोटी सी उम्र में लोकगीतों से दुनिया भर में पहचान बनाने वाली गायिका मैथिली ठाकुर लोक संगीत में शास्त्रीयता को बहुत महत्व देती हैं। उनका मानना है कि संगीत के शास्त्रीय ज्ञान से लोक संगीत संवरता है। मैथिली गोरखपुर महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए बुधवार को शहर में थी।
हर लोकगीत में कई राग
लोक संगीत में रागों की भूमिका के सवाल पर उन्होंने कहा कि हर लोकगीत में कई रागों का इस्तेमाल होता है। जिस राग की प्रमुखता होती है, उसी आधार को आधार बनाकर गीत को आगे बढ़ाया जाता है। ऐसे मेें राग का ज्ञान होने से कलाकार लोकगीतों के साथ ज्यादा न्याय कर पाता है। रियलिटी-शो के दौर में पहचान बनाने के लिए सोशल मीडिया को माध्यम बनाने की वजह के सवाल पर मैथिली ने बताया कि सोशल मीडिया वह प्लेटफार्म है, जहां किसी का कृपापात्र होने की जरूरत नहीं होती। प्रतिभा किसी माध्यम से नहीं बल्कि सीधे जन-जन तक पहुंचती है।
मैथिली के फेसबुक पेज के एक करोड़ और इंस्टाग्राम के तीस लाख फालोअर
मैथिली ने बताया कि उनके फेसबुक पेज के एक करोड़ और इंस्टाग्राम के तीस लाख लोग फालोअर हैं। एक करोड़ से ज्यादा लोग सात यू-ट्यूब चैनल को सब्सक्राइब कर रहे हैं। फिल्मों में हाथ आजमाने के सवाल पर मैथिली ने कहा कि उन्हें लोक संगीत की सेवा करनी है। भोजपुरी-मैथिली में ही नहीं देश भर के लोकगीतों में हाथ आजमाना है। अंगिका और वज्जिका पर भी काम करना है। बताया कि फिल्मों से कई आफर मिले हैं लेकिन उसे उन्हेें स्वीकार नहीं किया। लोकगीतों से गजल गायकी की ओर से बढऩे की चर्चा में मैथिली ने कहा कि वह सूफी और छोटा ख्याल व बड़ा ख्याल भी खा रही हैं। संगीत की सेवा को धर्म समझती हैं, इसलिए सभी विधाओं को लेकर लोगों की बीच आने का प्रयास कर रही हैं।