सावधान, आ रहा है कोहरा कहर बनकर, अब तो संभलकर चलिए Gorakhpur News
दिन में साफ दिखने वाले मौसम की असल करवट रात में बदलने लगी है। शहर से बाहर निकलते ही धुंध दिखने लगे हैं। दिसंबर और जनवरी आना बाकी है। शहर वही है। राजमार्ग भी वही हैं। चलना कठिन है।
गोरखपुर, जेएनएन। नवंबर खत्म होने वाला है, हल्की ठंड का अहसास कराने वाले इस माह ने वह तस्वीर भी दिखानी शुरू कर दी, जिसने तीन साल में गोरखपुर में 150 से अधिक लोगों को उनके परिवार से छीन लिया।
बात कोहरे की है। दिन में साफ दिखने वाले मौसम की असल करवट रात में बदलने लगी है। शहर से बाहर निकलते ही धुंध दिखने लगे हैं। दिसंबर और जनवरी अभी आना बाकी है। शहर वही है। शहर के राजमार्ग वही हैं, लेकिन जिंदगी आपकी है। कोहरे को चीरकर अपने घर सुरक्षित पहुंचना नामुमकिन नहीं है, हां थोड़ी सजगता जरूरी है।
एक झटके में खामोश हुई थीं तीन जिंदगी
28 नवंबर 2019 को सुबह आठ बजे लखनऊ से आ रही कार पिपराइच थानाक्षेत्र के कोनी फोरलेन तिराहे पर पहुंची। कोहरे के कारण कार गलत लेन में घुस गई। इसी बीच कुशीनगर से गोरखपुर की तरफ आ रही परिवहन निगम की अनुबंधित बस से टक्कर हो गई। जिसमें कार सवार दरभंगा (बिहार), काम टाउन थानाक्षेत्र के पनियरा निवासी अनिल कुमार, प्रभु नारायण पाठक और दरभंगा के जाले निवासी सुरेश कामत की मौके पर ही मौत हो गई। मधुबनी के जगवन निवासी संजीत कुमार और दरभंगा, काम टाउन के पनियरा निवासी शत्रुघ्न ठाकुर गंभीर रुप से घायल हैं।
यह हादसा भी कोहरे की वजह
26 नवंबर 2019 को गोरखपुर - लखनऊ हाईवे पर संतकबीरनगर में मंगलवार सुबह 20 वाहन आपस में टकरा गए। हादसे में नौ लोग घायल हो गए। हादसा कोहरे की वजह से हुआ। वाहनों के टकराने की वजह से हाइवे पर एक घंटे तक जाम लग गया। पुलिस ने क्रेन की मदद से वाहनों को सड़क के किनारे करवाया। जिसके बाद जाम खुला और वाहनों की आवाजाही शुरू हुई।
तीन साल में कोहरा लील चुका 150 जानें
कोहरे की चादर ने तीन साल में शहर में 150 लोगों को असमय ही काल के गाल में समा दिया। यह हादसे हादसे नवंबर, दिसंबर और जनवरी के उन मौसम में हुए जब सड़कों पर कोहरे की चादर बिछी होती है। खास बात ज्यादातर हादसे शहर से गुजर रहे लखनऊ मार्ग, वाराणसी, सोनौली, देवरिया और महराजगंज हाईवे पर हुए।
जिले में 25 स्थानों पर होता है ज्यादा हादसा
2019 में अधिकारियों ने हादसों की सर्वे रिपोर्ट तैयार की है। जिसमें 25 स्थानों पर सबसे ज्यादा हादसे होने की बात सामने आई। इन स्थानों को ब्लैक स्पॉट चिन्हित किया गया है। जिसमें सोनबरसा, कोनी तिराहा, कस्बा पीपीगंज, रामनगर करजहां, जंगल धूषण से पिपराइच, चौरी चौरा से भोपा बाजार, बेलो सिधावल, मरचहवा बाबा तिराहा, देवीपुर, रामपुर बुजुर्ग, चवरिया खुर्द, बोकटा, खजांची चौराहा, चौमुखा,भीटी रावत, कसीहार, बगहावीर मंदिर, बोकटा, दाना पानी होटल, भीटीरावत, रावतगंज, फुटहवा इनार, निबियहवा ढ़ाला और नौसढ़ तिराहा शामिल है।
हादसों में दोपहिया वाहन सबसे ज्यादा शिकार
पिछले तीन साल में जिले में दोपहिया वाहनों से 100 से अधिक हादसे हुए, जिनमें से 60 से अधिक मौत हुई। इसके बाद मौत की सबसे बड़ी वजह सवारी बस, ट्रक, ट्रॉला और टैंकर हैं।
सभी ब्लैक स्पाट के रूप में चिह्नित
एसपी ट्रैफिक आदित्य प्रकाश वर्मा का कहना है कि कोहरे के समय जिन स्थानों पर सर्वाधिक हादसे हुए उसे ब्लैक स्पाट चिन्हित किया है। दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र में ग्लोब साइन बोर्ड लगवाने के साथ ही स्थानीय लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
परेशान करेगा दिसंबर-जनवरी का कोहरा
नवंबर के बाद अब दिसंबर और जनवरी में कोहरे से मुकाबले के तैयार रहिए। दोनों ही महीनों के 70 से 80 फीसद दिन कोहरे वाले रहेंगे। ऐसा अध्ययन के बाद मौसम विशेषज्ञ कैलाश पांडेय का पूर्वानुमान है। ऐसे में दुर्घटना के बचने की जिम्मेदारी सभी को खुद निभानी होगी। यात्रा से जुडऩे निर्णय सोच-समझ कर लेने होंगे। विशेषज्ञ के मुताबिक दिसंबर के 22 से 25 दिन कोहरे वाले रहेंगे। यदि यह पूर्वानुमान सही होता है तो प्राप्त आंकड़ों के अनुसार दिसंबर का बीते 20 वर्ष का कोहरे का रिकार्ड टूटेगा। विशेषज्ञ ने जनवरी महीने में भी 20 से 22 कोहरे वाले दिन होने की आशंका जताई है।
कैलाश पांडेय ने बताया कि वैसे तो दिसंबर में कोहरे वाले दिनों का औसत आंकड़ा आठ दिन का है लेकिन 20 वर्ष के अध्ययन में 12 वर्ष ऐसे मिले हैं, जिनके दिसंबर में औसत से अधिक दिन कोहरे वाले रहे हैं। 2014 व 2016 में यह आंकड़ा 23-23 दिन तक पहुंचा है। ऐसे में अगर इस वर्ष पूर्वानुमान सही साबित हुआ तो रिकार्ड टूटना तय है। यहां यह बताना जरूरी है कि मौसम विज्ञान में पूर्वानुमान के सही होने की संभावना 75 फीसद रहती है। इसी तरह जनवरी महीने में कोहरे के औसत दिनों की संख्या 12 होती है लेकिन इस बार इसके 22 दिन होने की आशंका है। यदि ऐसा होता है दिसंबर में कोहरे वाले दिनों की संख्या औसत से तीन गुना और जनवरी में दो गुना रहेगी। एक किलोमीटर से कम दृश्यता वाले दिन कोहरे के दिन कहे जाते हैं।
नमी और पुरुवा हवाएं हैं अधिक कोहरे की वजह
कैलाश पांडेय ने बताया कि कोहरे के इस आंकड़े की वजह नमी और पुरुवा हवाएं हैं। सितंबर में हुई औसत से अधिक बारिश से मिट्टी की नमी अभी भी बरकरार है। आद्र्रता का प्रतिशत औसतन 75 फीसद के स्तर पर बरकरार है। इसके अलावा देर रात से लेकर दोपहर तक चल रहीं पुरवा हवाएं धूल के कणों के साथ मिलकर कोहरा बनाने का काम कर रही हैं।