Flood In Gorakhpur: बाढ़ से 41 गांव बेहाल, कहीं भूख से तड़प रहे लोग तो कहीं दूध के लिए बिलख रहे मासूम- तस्वीरें
Flood In Gorakhpur बाढ़ का पानी छप्परों व घरों में भरने के कारण लोग ऊंचे स्थानों पर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। खौफ में रात गुजर रही और सुबह होते ही भूख-प्यास बुझाने की चिंता सता रही है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। Flood In Gorakhpur: गोरखपुर जिले के बड़हलगंज के कछार क्षेत्र बाढ़ का दायरा बढ़कर 41 गांव तक पहुंच गया है। इससे बाढ़ पीड़ितों की दुश्वारियां भी बढ़ती जा रही हैं। एक-एक दिन काटना कठिन हो गया है। कई गांवों में लोगों के घरों व रिहायशी छप्परों में पानी भरा हुआ है। वे लोग गांव के ऊंचे स्थानों पर खुले आकाश के नीचे या प्लास्टिक की पन्नी डालकर शरण लिए हुए हैं। उनकी गृहस्थी भी बाढ़ की भेंट चढ़ गई है। दाने-दाने के मोहताज हो गए हैं। पशुओं के लिए चारे का अभाव है। पूरा दिन पशुओं का चारा जुटाने में बीत रहा है।
मुश्किल से चल रही जीविका
ग्रामीण रमेश पाल का कहना है कि राशन कार्ड न होने से राशन भी नहीं मिलता है। घर में रखा सारा सामान बाढ़ के पानी में डूबकर खराब हो गया। मुश्किल से जीविका चल रही है। सड़क पर खाना बना रहे रामकुंवर का कहना है कि परिवार को लेकर सड़क पर ही गुजर बसर करना पड़ रहा है। अभी तक कोई पूछने भी नहीं आया।
नाव के इंतजार में घंटो खड़े रह रहे स्कूली बच्चे
नाव को लेकर पूरे कछार में हाहाकार मचा हुआ है। सबसे बड़ी समस्या स्कूली बच्चों को हो रही है। जो नाव न मिलने के कारण समय से स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं। नाव के लिए उन्हें भूखे-प्यासे घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। ग्रामीण छोटे बच्चों को नाव पर बैठाकर स्कूल भेजने से भी कतरा रहे हैं।
दूध की कमी से रो रहे मासूम
मां के लिए उनका बच्चा कलेजे का टूकड़ा होता है लेकिन मां का कलेजा तब नि:शब्द हो जा रहा है जब उनका मासूम दूध के लिए जिद करता है। रोते मासूमों को देख कुछ माताएं फफक पड़ रही हैं। बाढ़ प्रभावित गांवों में राहत सामग्री की दरकार है। लोग भूखे प्यासे सड़क पर जिंदगी गुजार रहे हैं लेकिन प्रशासन की तरफ से किसी भी गांव में राहत सामग्री अभी तक नहीं पहुंच पाई है।
बाढ़ में नहीं मिल रहा काम
बरडीहा के मजदूर सुरेश व काशी, नेतवारपट्टी के महंगू साहनी, गोरखपुरा के अछयलाल व इंद्रजीत, खैराटी के संजय का कहना है कि बाढ़ में काम नहीं मिल रहा है। रोज काम करके किसी तरह घर चलाते थे। अब घर चलाना मुश्किल हो गया है। बाढ़ का पानी कुछ दिन और रहा तो भूखों मरने की नौबत आ जाएगी।
नहीं मिल रहा समय से भोजन
बाढ़ पीड़ितों के सामने सबसे बड़ी समस्या भोजन की हो गई है। घर की झोपड़ी में रखा खाद्य सामग्री डूब गया है। जिससे वह दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। लोग सड़कों पर बैठकर किसी तरह से गुजर बसर कर रहे हैं। बच्चें भूखे सो रहे हैं।
नहीं लगा रहा शिविर नहीं मिल रही दवा
बाढ़ पीड़ितों को दवा के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। गांव में न ही शिविर लग रहा है न ही दवा वितरित कि जा रही है। लोगों का कहना है कि हम लोगों के गांव में कोई सुविधा नहीं मिल रही है।
गांवों को मैरूंड करने की मांग
बाढ़ पीड़ित ग्रामीण रविशंकर सिंह, अष्टभुजा सिंह, मैभरा के प्रधान प्रेमप्रकाश सिंह, रवींद्र यादव, जितेंद्र यादव, टिंकू सिंह आदि ने गांवों को मैरूंड घोषित करने की मांग की है।
क्या कहते हैं अधिकारी
गोला उपजिलाधिकारी रोहित मौर्य ने बताया कि बाढ़ प्रभावित 41 गांवों में 35 नावें लगाई गई हैं। बाढ़ खंड के अधिकारी तटबंधों पर निगरानी कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम कैंप लगाकर दवा का वितरण कर रही है। राजस्व टीम भी लगाई गई है। सड़क पर बाढ़ पीड़ितों के रहने की कोई सूचना नहीं है। अगर ऐसा है तो उनकी तत्काल व्यवस्था की जाएगी।