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गोशाला में भूख व बीमारी से तड़प कर पांच पशुओं की मौत, कई गंभीर हालत में Gorakhpur News

गोशाला में भूख और बीमारी से पांच पशुओं की मौत हो गई। मरे हुए जानवरों को कोई उठाने वाला नहीं आया। दृश्य देखकर यह गोशाला कम पशुओं का कब्रगाह ज्यादा नजर आया।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 05:25 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 05:25 PM (IST)
गोशाला में भूख व बीमारी से तड़प कर पांच पशुओं की मौत, कई गंभीर हालत में Gorakhpur News
गोशाला में भूख व बीमारी से तड़प कर पांच पशुओं की मौत, कई गंभीर हालत में Gorakhpur News

 गोरखपुर, जेएनएन। संतकबीर नगर जनपद के मेंहदावल विकास खंड के बढ़या गांव में बने स्थाई गोशाला में गुरुवार को संवेदना को तार- तार करने वाला दृश्य सामने आया। यहां पर पांच गोवंशीय पशुओं की भूख- प्यास व बीमारी से तड़प तड़पकर मौत हो गई। आधा दर्जन से अधिक पशु तड़फते हाल में दिखे। सभी का शरीर हड्डियों का ढांचा बना हुआ दिखाई दिया। यह तस्वीरें तब सामने आ रही है जब शासन स्तर से प्रत्येक पशु पर खाने के लिए प्रतिदिन 30 रुपये का भुगतान किया जा रहा है। लगभग पांच एकड़ में फैले गोशाला की इमारत बेहद बुलंद है लेकिन व्यवस्था बेहद दयनीय है। गोशाला में काम कर रहे कर्मियों ने बताया कि पिछले एक माह में एक दर्जन पशु मर चुके है। कर्मियों ने पिछले छह माह से मजदूरी नहीं मिलने की बात भी कही। गोशाला में जगह- जगह बिखरे पशुओं के शव व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है। दोपहर दो बजे लगभग तीन सौ पशुओं के लिए एक ट्राली भूसा आया जिसको खाने के लिए परिसर में विचरण कर रहे पशु टूट पड़े। गोशाला में इस हृदयविदारक घटना को देखकर आसपास के ग्रामीण भी काफी दुखी है तो कुछ स्थानीय युवकों ने सोशल मीडिया पर कड़ी नाराजगी भी जाहिर की है।

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नाद में नहीं दिखा भूसा

पशुओं के खाने के लिए तीन बड़े नाद बनाये गए है। तीनों नाद भूसा से खाली मिले। कुछ जानवर नाद को चाटते हुए दिखे। गोशाला के कर्मियों ने बताया कि तीन नाद में पचास से ज्यादा जानवर नहीं खा सकते। कमजोर जानवर चारा खाने जाते है तो उनको मजबूत सींग से हमला कर खदेड़ देते हैं जिससे वो गंभीर रूप से चोटिल हो जाते हैं। चारा-पानी की व्यवस्था की पोल खाली पड़े नाद बखूबी खोल रहे हैं।

गोशाला नहीं कब्रगाह कहिये साहब

पशुओं के खाने के लिए भूसा के अलावां चोकर की भी व्यवस्था करने का निर्देश है। लोगों ने बताया कि चोकर एक सप्ताह पहले की खत्म हो गया जो अब तक नहीं आया। मरे हुए जानवरों को कोई उठाने वाला सामने नहीं आया। गोशाला का दृश्य देखकर यह गोशाला कम पशुओं का कब्रगाह ज्यादा नजर आया। बड़ी संख्या में पशुओं की मौजूदगी व व्यवस्था के बीच कोई तालमेल नहीं दिखा। गोशाला की व्यवस्था देखने से यह साफ प्रतीत हुआ कि यहां महकमे के लोग कभी झांकने नहीं आते जिसके कारण गोशाला की यह दुर्गति हुई है।

एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोपते रहे अधिकारी

उक्त पूरे मामले को एसडीएम मेंहदावल नवीन श्रीवास्तव, बीडीओ ज्ञानेंद्र सिंह, एडीओ पंचायत मैनुद्दीन सिद्दिकी के संज्ञान में लाया गया। सभी अधिकारी एक दूसरे से वार्ता करने एवं दूसरे पर जिम्मेदारी थोपने का कार्य करते रहे। शाम चार बजे तक किसी ने गोशाला की तरफ झांकने की भी तकलीफ नहीं किया।

अब इनकी सुनिए

इस संबंध में सीडीओ अतुल मिश्र ने कहा कि गोशाला के पूरे मामले पर बीडीओ ज्ञानेंद्र सिंह से वार्ता की गई है। बीडीओ ने पशुओं के भूख से नहीं बल्कि बीमारी से मौत होने की बात कही है। सीडीओ ने सवाल किया कि अगर मौके पर भूसा व चोकर आदि नहीं था, नाद भी खाली था तो यह लापरवाही का मामला है। पूरे मामले की जांच कराई जाएगी और जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


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