हिंसा और उन्माद की राजनीति के खिलाफ फिल्मों ने किया सचेत
13वें गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल में फर्दीनांद ने हिंसा के खिलाफ अमन और मोहब्बत का संदेश दिया तो वैभव शर्मा द्वारा निर्देशित अद्धा टिकट ने बाल मजदूरों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई।
By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 11:05 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 04:35 PM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। 13वें गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन दिखाई गई फिल्मों ने नफरत, हिंसा और उन्माद की राजनीति के खिलाफ दर्शकों को सचेत किया। बच्चों के सत्र में एनिमेशन फिल्म 'फर्दीनांद' ने हिंसा के खिलाफ अमन और मोहब्बत का संदेश दिया तो गोरखपुर के वैभव शर्मा द्वारा निर्देशित 'अद्धा टिकट' ने बाल मजदूरों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई।
लघु कथा फिल्म 'गुब्बारे' को देख दर्शक भावुक हुए। फेस्टिवल में रविवार ओडि़सा के फिल्मकार देबरंजन सारंगी की फिल्म 'दोज स्टार्स इन द स्काई, पंजाब के फिल्मकार रणदीप मडडोके की फिल्म 'लैंडलेस' और फातिमा निजारुद्दीन की फिल्म 'परमाणु ऊर्जा बहुत ठगनी हम जानी' का प्रदर्शन हुआ। गोरखपुर के युवा फिल्मकार विजय प्रकाश की फिल्म 'हू इज तापसी' कुशीनगर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तापसी कुशवाहा की जिंदगी पर आधारित रही, जिन्होंने अपने प्रयास से अपने इलाके को हराभरा बनाया था।
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