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फ‍िल्‍म अभिनेता राहुल रॉय ने कहा, वेब सिरीज आने से कंटेंट और मजबूत हुआ

फिल्म आशिकी से मशहूर हुए फिल्म अभिनेता राहुल रॉय बुधवार को गोरखपुर में थे। नौ साल बाद सिने जगत में लौटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस दौरान वह आस्ट्रेलिया में थे।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 12:00 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 01:00 PM (IST)
फ‍िल्‍म अभिनेता राहुल रॉय ने कहा, वेब सिरीज आने से कंटेंट और मजबूत हुआ
फ‍िल्‍म अभिनेता राहुल रॉय ने कहा, वेब सिरीज आने से कंटेंट और मजबूत हुआ

गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। अपनी पहली फिल्म 'आशिकी' से मशहूर हुए फिल्म अभिनेता राहुल रॉय बुधवार को शहर में थे। नौ साल बाद सिने जगत में लौटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस दौरान वह आस्ट्रेलिया में थे। अब पुन: सिने जगत में लौट आए हैं और चार फिल्मों- अथेन लाइन, संयमी, नाइटन फोक व डेथ ऑफ एन एंबेसडर में काम कर रहे हैं, शीघ्र ही ये फिल्में प्रदर्शित हो सकती हैं। राहुल की अब तक की आखिरी फिल्म 2010 में 'अदा अ वे ऑफ लाइफ' आई थी। उसके बाद वह अचानक पर्दे से गायब हो गए थे। राहुल रॉय ने जागरण से सिनेमा, दर्शक और नई प्रतिभाओं के संबंध में लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश।

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एक सवाल के जवाब में राहुल ने कहा कि वेब सिरीज का आना सिनेमा जगत में एक क्रांति है। कंटेंट बहुत मजबूत और बेहतर हुआ है। जो लोग स्ट्रांग बनना चाहते हैं और उन्हें लगता है कि सिनेमा में वह पूरी तरह से अपने को अभिव्यक्त नहीं कर पाएंगे, उनको वेब सिरीज ने पूरी स्वतंत्रता दी है। यह किसी भी कला के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। वेब सिरीज ने सिनेमा को किस हद तक प्रभावित किया है? के सवाल पर उन्होंने कहा कि वेब सिरीज का प्रभाव सिनेमा पर भी पड़ा। आज सिनेमा एक नए दौर से गुजर रहा है। ङ्क्षहदी सिनेमा ने अपने परंपरागत फार्मूले का अतिक्रमण कर दिया है। चूंकि वेब सिरीज ने दर्शकों का टेस्ट बदल दिया, ऐसे में सिनेमा पुराने फार्मूले पर सफल नहीं हो सकता था। पुराने ढर्रे का सिनेमा आज के दर्शक स्वीकार नहीं करेंगे। 1990 के दशक में ङ्क्षहदी सिनेमा की सधी लीक थी, जिसमें हमारा हीरो अंदर-बाहर सफेद हुआ करता था। वह कभी गलती नहीं करता था। आज का हीरो आदमी है, वह गलतियां भी करता है।

उन्होंने नई प्रतिभाओं को नसीहत देते हुए कहा कि अब सिनेमा जगत बहुत प्रोफेशनल हो चुका है। इसलिए प्रोफेशनल क्लासेज लेनी पड़ेगी। यह गलत सोच है कि आप किसी को जानते हैं तो आपको नौकरी मिल जाएगी, जानने से मीटिंग मिल जाएगी, नौकरी पक्की नहीं होगी, इसके लिए खुद को पूरी तरह तैयार करना होगा। परिवार व दोस्तों का भी सहयोग चाहिए, क्योंकि मुंबई बहुत महंगा शहर है, कम से कम दो साल स्ट्रगल तो करना ही पड़ेगा। जो भी ड्रीम फालो करना चाहते हैं, उसे ईमानदारी व स'चाई के साथ करना पड़ेगा। श्रम कभी बेकार नहीं जाता, उसका फल मिलता अवश्य है।


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