कोरोना की दूसरी लहर में जांच न कराने वालों के फेफड़ों में फाइब्रोसिस, अस्पताल पहुंचने लगे मरीज
कोरोना काल में संक्रमण से बचने वाले लोगों में भी अब कोरोना का साइड इफेक्ट दिख रहा है। बहुत से ऐसे लोग जिन्होंने कोरोना की जांच नहीं कराई थी लेकिन उन्होंने दवाएं ली थीं उनके फेफड़ों में अब फाइब्रोसिस की शिकायत आ रही है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। बीआरडी मेडिकल कालेज व निजी अस्पतालों में सांस के ऐसे रोगी पहुंचने लगे हैं, जो कोविड पाजिटिव नहीं रहे, लेकिन एक्सरे में फाइब्रोसिस (फेपड़ों में सिकुड़न) निकल रही है। इनमें से ज्यादातर की कोविड की दूसरी लहर में तबीयत खराब हुई थी। वे दवा खाकर स्वस्थ हो गए लेकिन कोविड की जांच नहीं कराई। डाक्टर अभी इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं कि यह कोविड संक्रमण की वजह से लेकिन आशंका व्यक्त कर रहे हैं, दूसरी लहर में वे शायद कोविड पाजिटिव रहे हों।
मेडिकल कालेज व निजी अस्पतालों में पहुंच रहे एक-दो रोगी
दूसरी लहर में शायद ही कोई परिवार बचा हो जहां संक्रमण न पहुंचा हो। अप्रैल से मई के बीच लगभग 32 हजार लोग संक्रमित हुए और 525 लोगों की मौत हो गई। इस दौरान जांच केंद्रों पर बड़ी भीड़ होने के कारण अनेक लोगों ने तबीयत खराब होने के बाद भी जांच नहीं कराई थी। अपने आसपास के डाक्टरों या झोलाछाप से वे दवा लेकर स्वस्थ हो गए थे। अब एक साल बाद कई लोगों को सांस की दिक्कत शुरू हुई है। जब डाक्टर के पास पहुंचे तो पूछने पर बताया कि दूसरी लहर के दौरान उनकी तबीयत खराब हुई थी और लक्षण कोरोना के ही थे। लेकिन उन्होंने जांच नहीं कराई थी।
रोज सांस के एक-दो रोगी ऐसे आ रहे हैं, जिन्हें इसके पहले कभी सांस की दिक्कत नहीं हुई थी। दूसरी लहर के दौरान उनकी तबीयत खराब हुई थी लेकिन उन्होंने कोविड जांच नहीं कराई थी। अब एक्सरे में उनके फेफड़ों में फाइब्रोसिस मिल रही है। - डा. अश्वनी मिश्रा, अध्यक्ष, टीबी एवं चेस्ट रोग विभाग, बीआरडी मेडिकल कालेज।
दूसरी लहर के दौरान लक्षण होने के बावजूद कोविड जांच न कराने की वजह से अनेक लोग एक साल बाद गंभीर परेशानी में पड़ गए हैं। एक-दो रोगी रोज आ रहे हैं जिन्हें सांस की दिक्कत है। समय से उपचार न होने के कारण उनके फेफड़े खराब हो रहे हैं। - डा. वीएन अग्रवाल, सीना रोग विशेषज्ञ।