गन्ने में लगने वाले कीट को लेकर सतर्क रहें किसान
कृषि वैज्ञानिक केंद्र के फसल सुरक्षा विशेषज्ञ डा. प्रदीप कुमार ने कहा कि गन्ने में लगने वाले कीट व रोग के प्रति सभी किसान सतर्क रहें। थोड़ी सी चूक काफी नुकसान कर देगी। फसल की निगरानी करते रहें।
सिद्धार्थनगर : कृषि वैज्ञानिक केंद्र के फसल सुरक्षा विशेषज्ञ डा. प्रदीप कुमार ने कहा कि गन्ने में लगने वाले कीट व रोग के प्रति सभी किसान सतर्क रहें। थोड़ी सी चूक काफी नुकसान कर देगी। फसल की निगरानी करते रहें।
डा. प्रदीप कुमार शनिवार को कृषि विज्ञान केंद्र सोहना परिसर में गन्ना विकास विभाग के तत्वावधान में आत्मा योजना तहत दो दिवसीय प्रशिक्षण के अंतिम दिन किसानों को गन्ने में लगने वाले कीट एवं रोग के बचाव संबंधी जानकारी दे रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर कहीं कीट और रोग है तो जैविक निदान में सबसे पहले एक 10 लीटर के आकार का घड़ा, उसमें 10 लीटर गोमूत्र, एक किलो ग्राम नीम, भांग, बेहरा, धतूरा, करंज की पत्ती, ढाई सौ ग्राम तंबाकू की पत्ती बारीक काटकर घड़े में भर कर 45 दिन के लिए मिट्टी में गाड़ दें, जहां पर धूप की रोशनी उस पर पड़े। इसके बाद इसको अच्छी से मिलाकर एक लीटर पानी में पांच मिली मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
कृषि विज्ञानी डा.एस एन सिंह ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गन्ने के साथ फसलें जैसे शरदकालीन में गेहूं, मटर, आलू, लाही, राई, प्याज, मसूर, धनिया, लहसुन मूली, शलजम और बसंतकालीन में उड़द, मूंग, भिडी तथा लोबिया की फसल करते हैं तो इससे उनकी अतिरिक्त आमदनी होगी। रवि प्रकाश चौधरी ने जैव उर्वरक एवं वर्मी कंपोस्ट गन्ने की खेत में बोआई से पहले मिलाने पर जोर दिया। गन्ना विभाग के शेष नारायण द्विवेदी ने गन्ने में रिक्त स्थानों में पहले से अंकुरित गन्ने के पेड़ों से गैप फिलिग से भरपाई करने की बात कही तो रवि प्रताप त्रिपाठी ने विभागीय योजनाओं पर प्रकाश डाला। डा. एसके मिश्रा ने खरपतवार नियंत्रण के बारे में किसानों को जागरूक किया। श्रीराम यादव, मुकेश मिश्रा, रानी मौर्य, जगत यादव, विवेक सिंह, रफीक, अजय वर्मा आदि उपस्थित रहे।के