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अजब-गजब : गोरखपुर की 1284 ग्राम पंचायतों के किसानों को फसल बीमा का अध‍िकार नहीं

गोरखपुर की 1284 ग्राम पंचायतों में न‍ियमों के पेंच के कारण इन त‍िलहन की फसल का बीमा नहीं हो रहा है। यहां केवल सिर्फ दस प्रत‍िशत ग्राम पंचायतों को ही यह अध‍िकार है क‍ि वह अपनी तिलहनी फसल का बीमा ले सकते हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 27 Mar 2022 08:10 AM (IST)Updated: Sun, 27 Mar 2022 08:10 AM (IST)
अजब-गजब : गोरखपुर की 1284 ग्राम पंचायतों के किसानों को फसल बीमा का अध‍िकार नहीं
गोरखपुर में त‍िलहन की फसल का बीमा नहीं हो रहा है। - प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। तिलहन की खेती बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन जिले के 1284 ग्राम पंचायतों के किसानों को तिलहन पर बीमा का अधिकार नहीं है। नियमों का पेंच ऐसा है कि वहां किसान चाहें भी तो अपनी तिलहन की फसल का बीमा नहीं करा सकते। उनकी फसल बारिश की भेंट चढ़े अथवा माहों कीटों का शिकार हों, उन्हें इसके लिए कोई मुआवजा नहीं मिलने मिलने वाला है। ऐसे में उनके तिलहन के फसल की सुरक्षा कैसे होगी, आसानी से समझा जा सकता है। जिले में सिर्फ 10 ग्राम पंचायतों के किसानों को अधिकार है कि वह अपनी तिलहनी फसल का बीमा ले सकते हैं। इन ग्राम पंचायतों से सिर्फ एक किसान ने तिलहन की फसल के लिए बीमा कराया है। ऐसे में जिले में तिलहनी खेती में हुई क्षति के लिए वह इकलौता पात्र होगा।

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10 ग्राम पंचायतों से सिर्फ एक किसान ने कराया है कि सरसों के लिए बीमा

तिलहनी खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को अनुदान पर बीज दिया जा रहा है। गोष्ठी आयोजित करके जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसका परिणाम है कि जिले में तिलहन के क्षेत्रफल में करीब दो गुने से अधिक की वृद्धि हुई है। रबी सीजन में करीब 20 हजार एकड़ में किसानों ने तिलहन की खेती की। इस बार जनवरी व फरवरी में बेमौसम की बारिश के चलते तिलहनी फसलों को भारी नुकसान हुआ है। इसकी पुष्टि कृषि विभाग ने भी की है। लेकिन जिले में तिलहन की फसल के नुकसान का मुआवजा सिर्फ एक ही किसान को मिल सकेगा। सहजनवा के भरसाड़ के नेबुलाल ने 25 रुपये देकर 0.0431 हेक्टेयर सरसों के लिए बीमा कराया है। उनके अलावा किसी अन्य किसान को तिलहनी फसल के बीमा का लाभ नहीं मिलेगा। बता दें रबी सीजन में जिले में सिर्फ गेंहूं, आलू व सरसों के लिए बीमा की स्वीकृति थी।

ग्राम पंचायत में 20 हेक्टेयर से कम फसल होने पर नहीं मिलेगी बीमा की स्वीकृति

फसल बीमा के लिए एक नियम यह भी है कि संबंधित ग्राम पंचायत में कम से कम 20 हेक्टेयर वह फसल होनी चाहिए। यहां जब इस नियम के तहत छानबीन की गई तो सरदारनगर के अवधपुर, रामपुर रकबा, गगहा के राजपुर, सहजनवा के भरसाड़ सहित ग्राम पंचायतों के अलावा जिले में कोई ग्राम पंचायत ऐसा नहीं मिला, जहां 20 हेक्टेयर तक सरसों बोई गई हो। ऐसे में जिले के 1284 ग्राम पंचायतों से किसान आवेदन ही नहीं कर सके। फसल बीमा कंपनी के जिला प्रबंधक धर्मेंद्र कुशवाहा का कहना है कि जिले में सिर्फ 10 ग्राम पंचायतों के किसान सरसों के बीमा के लिए आवेदन कर सकते हैं। अन्य ग्राम पंचायतों से आवेदन की अनुमति ही नहीं है।

फसल बीमा के लिए ग्राम पंचायत में कम से कम 20 हेक्टेयर फसल होनी चाहिए। जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतें तिलहन के लिए बीमा के दायरे में नहीं हैं, लेकिन तिलहन का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए कृषि विभाग प्रयासरत है। किसानों को इस बार बीज पर अनुदान के अलावा मिनी किट भी दिए हैं। ताकि उन्हें पैदावार अधिक मिले। - देवेंद्र प्रताप स‍िंह, जिला कृषि अधिकारी।


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