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बंधन से मुक्त हुए किसान,कहीं भी बेच सकेंगे उत्पाद

सदन में नए कृषि बिल पास होने पर किसानों के अलग-अलग तर्क निजी एजेंसियां उत्पाद खरीदारी करेंगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 06:09 AM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 06:09 AM (IST)
बंधन से मुक्त हुए किसान,कहीं भी बेच सकेंगे उत्पाद
बंधन से मुक्त हुए किसान,कहीं भी बेच सकेंगे उत्पाद

बस्ती, जेएनएन : नए कृषि विधेयक से किसान बंधन से मुक्त नजर आएंगे। किसान अपनी भूमि पर तैयार उत्पाद को कहीं भी किसी बाजार व मंडी में बेच सकेंगे। जनपद के प्रगतिशील किसानों न बताया कि यह फैसला ठीक तो है लेकिन सरकार का इन पर नियंत्रण बना रहना चाहिए। निजी एजेंसियों के कृषि क्षेत्र में आने से उत्पाद का वाजिब दाम मिलेगा, लेकिन तय मूल्य पर ही वह उत्पादों की खरीदारी करें इसके लिए सरकार का उन पर दबाव होना चाहिए। तभी यह कानून किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

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सरकार ने जो दो बिल पास किए हैं उसमें कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संव‌र्द्धन और सुविधा) विधेयक और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 है। जहां तक कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संव‌र्द्धन और सुविधा) विधेयक 2020 का सवाल है तो यह राज्य सरकारों की ओर से संचालित एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) मंडियों के बाहर (बाजारों या डीम्ड बाजारों के भौतिक परिसर के बाहर) फार्म मंडियों के निर्माण के बारे में है। वहीं दूसरा बिल किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020) कांट्रेक्ट फार्मिंग या अनुबंध खेती के बारे में है। किसानों ने इसको लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी।

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तय मूल्य पर हो खरीदारी की बाध्यता - सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए जो बिल पास किए हैं, उससे किसानों का कहीं न कहीं फायदा जरूर है। किसान अपने उत्पाद को जैसे-तैसे बेचता चला आ रहा है। नए बिल में उत्पाद को कहीं भी बेचने की छूट दी गई है। हालांकि इसमें सरकार को कंपनियों पर दबाव बनाना होना चाहिए कि जो मूल्य तय हो, उस पर वह खरीदारी को बाध्य हों। ऐसा न करने वाले कंपनियों पर कार्रवाई का प्रावधान किया जाना चाहिए।

राममूर्ति मिश्र, किसान गौरा, सदर बस्ती

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किसानों का भी पक्ष सुने सरकार - सरकार एक राष्ट्र, एक मार्केट बनाने की बात कर रही है, लेकिन उसे यह नहीं पता कि जो किसान अपने जिले में अपनी फसल नहीं बेच पा रहे वह दूसरे जनपद या राज्य में कैसे बेच पाएंगे। किसानों की पहुंच में अभी साधारण मोबाइल फोन तक नहीं हैं। ऐसे में वे इंटरनेट पर अपना सौदा कैसे करेंगे। विधेयक में इन बिदुओं को रेखांकित करने की जरूरत है। जो भ्रांतियां हैं उसे सरकार को दूर करते हुए किसानों का भी पक्ष सुनना चाहिए।

विनोद सिंह बबलू किसान, अगया खुर्द, गौर ब्लाक

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आलू,प्याज और दाल की रुकेगी कालाबाजारी

कृषि बिल पास होने से अब किसानों के लिए हर बाजार खुले रहेंगे। सरकार का पहल सराहनीय है। बिल में दिए गए निर्देशों का पालन होने पर किसानों को अपने उत्पाद का उचित दाम मिलेगा। जो संकट थे, उसे कम किया गया है। आलू, प्याज, दाल को आवश्यक वस्तु से बाहर किया गया है। बिचौलियों से राहत मिलेगी और निर्धारित फसलों को छोड़कर आधुनिक खेती करने पर फायदा होगा। राम स्वारथ मिश्र, किसान खलवां दुबौलिया

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दूरगामी है कृषि से जुड़े दोनों विधेयक केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में जो नए बिल पास किए है उसमें किसानों को त्वरित फायदा होने का अनुमान नहीं है। यह बिल दूरगामी है। किसानों को तत्काल फायदे की जरूरत होती है। बिल में लिए गए निर्णय का यदि पालन होता है तो लाभ जरूर होगा। जो भ्रांतियां हैं उसे तत्काल दूर करते हुए किसानों का मन शांत करना चाहिए।

राम नरेश राजभर, आराजी डूडी

--- लाभप्रद बातें-एक नजर में - राज्यों की कृषि उत्पादन विपणन समिति यानी एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) के अधिकार बरकरार रहेंगे। इसलिए किसानों के पास सरकारी एजेंसियों का विकल्प खुला रहेगा।

- नए बिल किसानों को इंटरस्टेट ट्रेड (अंतरराज्यीय व्यापार) को प्रोत्साहित करते हैं, किसान अपने उत्पादों को दूसरे राज्य में स्वतंत्र रूप से बेच सकेंगे।

- वर्तमान में एपीएमसीएस की ओर से विभिन्न वस्तुओं पर एक फीसद से 10 फीसद तक बाजार शुल्क लगता है, लेकिन अब राज्य के बाजारों के बाहर कोई कर नहीं लगेगा।

- किसान कांट्रेक्ट फार्मिंग या अनुबंध खेती के लिए प्राइवेट प्लेयर्स या एजेंसियों के साथ भी साझेदारी कर सकते हैं।

- कांट्रेक्ट फार्मिंग निजी एजेंसियों को उत्पाद खरीदने की अनुमति देगी

- कॉन्ट्रेक्ट केवल उत्पाद के लिए होगा। निजी एजेंसियों को किसानों की भूमि के साथ कुछ भी करने की अनुमति नहीं होगी और न ही कांट्रेक्ट फार्मिंग अध्यादेश के तहत किसान की जमीन पर किसी भी प्रकार का निर्माण होगा।

- वर्तमान में किसान सरकार की ओर से निर्धारित दरों पर निर्भर हैं, लेकिन नए आदेश में किसान बड़े व्यापारियों और निर्यातकों के साथ जुड़ पाएंगे, जो खेती को लाभदायक बनाएंगे।

- प्रत्येक राज्य में कृषि और खरीद के लिए अलग-अलग कानून हैं। एक समान केंद्रीय कानून सभी हितधारकों (स्टेकहोल्डर्स) के लिए समानता का अवसर उपलब्ध कराएगा।

- नए बिल कृषि क्षेत्र में अधिक निवेश को प्रोत्साहित करेंगे क्योंकि इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। निजी निवेश खेती के बुनियादी ढांचे को और मजबूत करेगा और रोजगार के अवसर पैदा करेगा।

- एपीएमसी प्रणाली के तहत केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारी जिसे आड़तिया (बिचौलिया) कहा जाता है, को अनाज मंडियों में व्यापार करने की अनुमति थी, लेकिन नया विधेयक किसी को भी पैन नंबर के साथ व्यापार करने की अनुमति होगी।

- इससे बिचौलियों का कार्टेल टूट जाएगा, जो पूरे भारत में एक अहम मुद्दा है।

- नया बिल बाजार की अनिश्चितता के जोखिम को किसान से निजी एजेंसी और कंपनी की ओर ट्रांसफर करेगा।


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