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लापरवाही की हद : यहां 24 से ज्‍यादा ब्‍लैक फंगस के लक्षण वाले मरीज, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को नहीं दी गई सूचना Gorakhpur News

स्वास्थ्य विभाग ने सभी कोविड अस्पतालों से ब्लैक फंगस के मरीजों की सूचना मांगी थी लेकिन किसी ने दी नहीं है। जबकि विभाग का कहना है कि कई नर्सिंग होमों में ब्लैक फंगस की दवाएं लिखी जा रही हैं।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Wed, 19 May 2021 02:10 PM (IST)Updated: Wed, 19 May 2021 02:10 PM (IST)
लापरवाही की हद : यहां 24 से ज्‍यादा ब्‍लैक फंगस के लक्षण वाले मरीज, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को नहीं दी गई सूचना Gorakhpur News
गोरखपुर में कई ब्‍लैक फंगस के लक्षण वाले मरीजों का हो रहा इलाज। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन : स्वास्थ्य विभाग ने सभी कोविड अस्पतालों से ब्लैक फंगस के मरीजों की सूचना मांगी थी, लेकिन किसी ने दी नहीं है। जबकि विभाग का कहना है कि कई नर्सिंग होमों में ब्लैक फंगस की दवाएं लिखी जा रही हैं। दवाएं बाजार में नहीं होने से विभाग से भी लोगों ने संपर्क किया था। यह जानकारी होने पर सभी कोविड अस्पतालों को निर्देश दिया गया था कि जो भी ब्लैक फंगस के लक्षणों वाले मरीज हों, उनकी सूचना दे दें, ताकि उनके इलाज की समुचित व्यवस्था की जा सके।

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किसी अस्‍पताल ने नहीं दी ब्‍लैक फंगस के मरीजों की सूचना

अभी तक किसी अस्पताल ने ब्लैक फंगस के मरीजों की सूचना नहीं दी है। हालांकि इस बीमारी से शहर के एक व्यक्ति की लखनऊ में मौत हो चुकी है। यहां अस्पतालों में 24 से अधिक ब्लैक फंगस के लक्षण वाले मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इनमें दो मरीज बीआरडी व दो निजी अस्पतालों में भर्ती हैं। इसके अलावा 20 से अधिक मरीजों ने ब्लैक फंगस के लक्षण मिलने की शिकायत चिकित्सकों से की है। इन मरीजों में सपा के एक पूर्व पार्षद भी शामिल हैं। तारामंडल स्थित एक अस्पताल में भी एक मरीज में लक्षण मिले हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग किसी मरीज के बारे में जानकारी से इन्कार कर रहा है। सीएमओ डा. सुधाकर पांडेय का कहना है कि अस्पतालों से सूचना आने के बाद ही प्रामाणिक रूप से कुछ कहा जा सकता है।

सबको नहीं होता ब्लैक फंगस

ब्लैक फंगस से बिल्कुल न घबराएं। यह सबको नहीं होता है। जिनकी प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है, केवल उन्हें ही खतरा है। जिन्होंने अनियंत्रित ढंग से स्टेरायड का उपयोग किया है। किडनी, कैंसर के मरीज या कोविड अस्पताल में ज्यादा समय तक आक्सीजन पर रहे, ऐसे मरीजों में इसके होने की आशंका होती है। सामान्य लोगों को इससे डरने व घबराने की जरूरत नहीं है।

शुरू में पता चलने पर सौ फीसद इलाज

इस बीमारी के बारे में यदि शुरू में पता चल जाए तो सौ फीसद इलाज संभव है। एंटी फंगल इंजेक्शन के जरिये इसके फैलाव पर रोक लगाई जा सकती है। इसलिए नाक या मुंह के अंदर कालापन दिखने, सिर में एक तरफ दर्द, नाक से पानी गिरने और अचानक आंख की रोशनी कमजोर होने के लक्षण नजर आएं तो तत्काल चिकित्सक से परामर्श कर लेना चाहिए। यह लक्षण अति गंभीर मरीजों में आए तो ही ब्लैक फंगस की आशंका होती है। अन्यथा इस तरह के लक्षण कई बीमारियों में होते हैं, इसलिए घबराएं नहीं। इस बीमारी में मरीज को एम्फोटेरेसिन इंजेक्शन दिन में कई बार लगाया जाता है। यह 21 दिन तक लगवाना होता है। रोज लगभग 30 से 40 हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। संक्रमण शुरुआती दौर में पता चलने पर सायनस की सर्जरी से इसे ठीक किया जा सकता है। इलाज खर्च करीब तीन लाख रुपये आता है। संक्रमण ज्यादा फैल जाने इलाज पर खर्च पांच से दस लाख रुपये तक हो सकता है।

लक्षण नजर आने पर हो जाएं सतर्क

नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. रजत कुमार ने कहा कि ब्लैक फंगस से घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन जो लोग लंबे समय से बीमार हैं और उनमें इस बीमारी के लक्षण नजर आएं तो सतर्क हो जाने की जरूरत है। क्योंकि शुरुआती दौर में पता चलने पर सस्ते में सौ फीसद इलाज संभव है। गंभीर हो जाने पर पैसा भी ज्यादा खर्च होता है और ज्यादा आशंका आंख खराब हो जाने की होती है।


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