ओवरलोड वाहनों से एआरटीओ व सिपाहियों की वसूली का पर्दाफाश, दर्ज होगा केस Gorakhpur News
ओवरलोड गाड़ी पास कराने के लिए ट्रांसपोर्टर प्रति गाड़ी चार से पांच हजार रुपये देते थे। जिसमें से एक हजार रुपये होटल व ढाबा मालिक अपने पास रखते थे रकम अधिकारियों तक पहुंचा देते थे।
गोरखपुर, जेएनएन। ओवरलोड वाहनों को पास कराने वाले गिरोह से जुड़े एआरटीओ व सिपाहियों पर भी केस दर्ज होगा। एसटीएफ को इनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिला है। शुक्रवार की रात में उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दे दी गई। ओवरलोड वाहनों से अवैध वसूली मामले में 14 जिलों के अधिकारियों के नाम आने के बाद से विभागीय अधिकारियों में हड़कंप है।
रजिस्टर में दर्ज है पूरा बायोडाटा
एसटीएफ की माने तो मधुबन होटल में काम करने वाला श्रवण गौड़ ओवरलोड गाड़ी पास कराने का टोकन बनाता था। रुपये देने वाले लोगों का नाम, पता रजिस्टर में दर्ज कर संबंधित जिले के अधिकारियों के पास वाट्सएप के जरिए मैसेज भेजता था। फोन पर भी उनको इसकी जानकारी दी जाती थी। शैलेष मल्ल और रामसजन पासवान गिरोह से जुड़े अधिकारियों तक रकम पहुंचाते थे। मधुबन होटल व सिब्बू ढाबा के मालिक गाड़ी पास कराने के लिए रुपये कैश के साथ खाते में भी लेते थे। अधिकारियों को उनके हिस्से की रकम कैश में ही दी जाती थी।
चार से पांच हजार रुपये प्रति गाड़ी देते थे ट्रांसपोर्टर
ओवरलोड गाड़ी पास कराने के लिए ट्रांसपोर्टर प्रति गाड़ी चार से पांच हजार रुपये देते थे। जिसमें से एक हजार रुपये होटल व ढाबा मालिक अपने पास रखते थे, शेष रकम अधिकारियों तक पहुंचा देते थे। होटल व ढाबा से मिले रजिस्टर में एसटीएफ को 600 गाडिय़ों के नंबर मिले है।
पूर्व की सरकारों में शासन तक पहुंचती थी रकम
आरोपितों से पूछताछ में पता चला कि पूर्व की सरकार में रुपये का पैकेट नेताओं के साथ शासन तक पहुंचाया जाता था। सरकार बदलने के बाद कुछ समय के लिए काम ठप रहा लेकिन अधिकारियों से सेटिंग होने के बाद धंधा फिर से शुरू हो गया।
हर रोज गुजरते हैं दो हजार से अधिक वाहन
शासन की सख्ती के बाद भी गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़ व मिर्जापुर मंडल से होकर प्रतिदिन दो हजार से अधिक ओवरलोड ट्रक गुजरते हैं। जिम्मेदार कार्रवाई करने की वजाय इन गाडिय़ों को पास करा देते हैं।