CBSE परीक्षा पैटर्न में बदलाव पर विशेषज्ञों की राय, अब रटने से नहीं चलेगा काम Gorakhpur News
बोर्ड के इस बदलाव पर विशेषज्ञों का मानना है कि इससे जहां छात्र के योग्यता की परख होगी वहीं उनका स्किल बेहतर होगा। अब विद्यार्थियों को रटकर नहीं बल्कि अपनी समझ के अनुसार सवालों का जवाब देना होगा।
गोरखपुर, जेएनएन। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) के सत्र 2021-22 से परीक्षा के स्वरूप में बदलाव का विशेषज्ञों ने स्वागत किया है। नई शिक्षा नीति के तहत किए गए इस बदलाव से जहां नौवीं व 10वीं में तीस फीसद बहुविकल्पीय और केस आधारित प्रश्न पूछे जाएंगे वहीं कक्षा 11 व 12 में 20 फीसद सवाल योग्यता आधारित होंगे। बोर्ड के इस बदलाव पर विशेषज्ञों का मानना है कि इससे जहां छात्र के योग्यता की परख होगी वहीं उनका स्किल बेहतर होगा। अब विद्यार्थियों को रटकर नहीं बल्कि अपनी समझ के अनुसार सवालों का जवाब देना होगा।
छात्र-छात्राओं की बौद्धिक क्षमता का होगा आकलन
सीबीएसई के जिला समन्वयक अजीत दीक्षित का कहना है कि अब छात्रों को रटने के स्थान पर समझ को बढ़ाना होगा। इससे छात्र-छात्राओं की बौद्धिक क्षमता का आकलन होगा। साथ ही उनमें रचनात्मक सोच भी विकसित होगी। इस बदलाव से शिक्षकों को जहां पढ़ाने में मन लगेगा वहीं छात्र भी पढऩे में रुचि लेंगे। बोर्ड का यह निर्णय भविष्य में आगे चलकर छात्रों के लिए लाभदायक साबित होगा। सीबीएसई के जिला प्रशिक्षण समन्वयक डा.सलील के.श्रीवास्तव का कहना है कि बोर्ड का यह निर्णय स्वागत योग्य कदम है। इस बदलाव से सही मायने में छात्र के योग्यता की परख होगी। छात्र का स्किल बेहतर होगा। किसी भी विषय का कटेंट क्या कह रहा है अब छात्र उसे समझ पाएगा। अभी तक जो परीक्षा परिणाम आते रहे हैं उसमें कई विषयों में छात्रों को सौ में सौ फीसद अंक मिलते रहे हैं। जो कही से भी वाजिब नहीं थे। अब जो छात्र ईमानदारी से अध्ययन करेगा उसे ही नंबर मिलेंगे। रटने की परंपरा समाप्त होगी।
छात्रों को ईमानदारी से पढ़ना होगा
ब्लॉसम सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रधानाचार्य सुजॉय विश्वास का कहना है कि अभी तक छात्र रटने पर अधिक भरोसा करते थे। अब ऐसा नहीं होगा। छात्रों को ईमानदारी से कंटेंट पढऩा होगा। अपनी समझ के अनुसार सवालों का जवाब देना होगा। तभी वह परीक्षा में बेहतर परिणाम हासिल कर सेकेंगे। जो छात्र पाठ्यक्रम को समझेंगे और नियमित कक्षाओं में शामिल होंगे वहीं अपनी योग्यता साबित कर सकेंगे। बोर्ड की इस पहल से छात्रों के आत्म विश्वास में वृद्धि होगी।