प्रतिदिन का उत्पादन और वितरण फर्म को नहीं पता
जिले में सिर्फ एक फर्म है जो आक्सीजन सिलेंडर का उत्पादन व वितरण करती है।
संत कबीरनगर, जेएनएन : जिले में सिर्फ एक फर्म है, जो आक्सीजन सिलेंडर का उत्पादन व वितरण करती है। यहां से बस्ती व गोरखपुर जिले में भी आक्सीजन की आपूर्ति की जाती है। प्रतिदिन कितना उत्पादन और वितरण हो रहा है? इस फर्म के मैनेजर यह जानकारी देने से कतराते हैं। यह बात सबको पता है कि कोरोना संकट काल में जीवन बचाने के नाम पर निजी अस्पतालों में आक्सीजन सिलेंडर का मनमाना पैसा लिया जा रहा है। इस पर कोई रोक-टोक नहीं है।
जनपद के मगहर स्थित फर्म के मैनेजर के मोबाइल पर शुक्रवार को दोपहर के करीब बारह बजे संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि मीटिग में हूं, शाम को बात कर पाऊंगा। शाम के करीब साढ़े पांच संपर्क करके जब यह पूछा गया कि उनके यहां प्रतिदिन कितना उत्पादन और वितरण हो रहा है? इस फर्म के एक व्यक्ति ने खुद को कैशियर बताते हुए कहा कि साहब मोबाइल छोड़कर कहीं निकले हैं। वह जब वापस आएंगे, तभी यह जानकारी मिल पाएगी। कोरोना संकट काल में निजी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ पहले की तुलना में काफी घटी है। जीवन बचाने के नाम पर यहां पर आक्सीजन का मनमाना मूल्य मरीजों के परिजनों से वसूला जाता रहा। जिला अस्पताल के निकट खुले निजी अस्पतालों में भी यह सब धड़ल्ले से हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति इससे भी ज्यादा खराब है। स्वास्थ्य महकमें के अधिकारी कभी इन अस्पतालों की जांच नहीं करते। अधिकारी मरीजों को भगवान भरोसे छोड़े हुए हैं। डेढ़ सौ रुपये के छोटे सिलेंडर का लेते हैं तीन हजार रुपये
नाथनगर ब्लाक के ठाठर गांव के निवासी गुड्डू त्रिपाठी का कहना है कि विपत्ति के समय निजी अस्पतालों के संचालक दया दिखाने की बजाय और अधिक पैसा वसूलते हैं। छोटे आक्सीजन सिलेंडर का मूल्य डेढ़ सौ रुपये है लेकिन इसकी जगह तीन हजार रुपये लिया जाता है। खलीलाबाद ब्लाक के सिकरी गांव के निवासी जनार्दन यादव का कहना है कि सुविधा के नाम पर निजी अस्पताल के संचालक मनमाना पैसा वसूल रहे हैं। कोरोना संकट काल में भी लोगों पर उन्होंने दया नहीं दिखाई।
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पीड़ित व्यक्ति लिखित शिकायत कर सकते हैं। इस पर तुरंत जांच कराई जाएगी। जांच में कमियां मिलने पर संबंधित प्राइवेट हास्पिटल के संचालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डा. मोहन झा
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी