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Budget : टैक्स में मिले राहत, सस्ता हो रोजमर्रा के सामान Gorakhpur News

आम बजट को लेकर सरकारी कर्मचारियों को भी केंद्र सरकार से अपार उम्मीदें हैं। वह चाहते हैं कि उन्हें टैक्स में छूट मिले और रोजमर्रा का सामान सस्ता हो।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 04:18 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 11:37 PM (IST)
Budget : टैक्स में मिले राहत, सस्ता हो रोजमर्रा के सामान Gorakhpur News
Budget : टैक्स में मिले राहत, सस्ता हो रोजमर्रा के सामान Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। वित्तमंत्री निर्मला सीता रमण शनिवार को संसद में आम बजट प्रस्तुत करेंगी। बजट को लेकर सरकारी कर्मचारियों को भी केंद्र सरकार से अपार उम्मीदें हैं। वह चाहते हैं कि उन्हें टैक्स में छूट मिले और रोजमर्रा का सामान सस्ता हो।

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जरूरत के सामान सस्ते हों

कर्मचारियों का वेतन सीमित है। महंगाई चरम पर है। ऐसे में कर्मचारियों को छोटी-मोटी जरूरतें पूरी करने में भी कठिनाई होती है। बजट में रोजमर्रा के सामान को सस्ता किया जाना चाहिए। - राधेश्याम, संगणक, वन विभाग

दवाओं की कीमत कम हों

दवाओं की कीमत कम होना चाहिए। व्यक्ति घर चलाने के लिए हर चीज के लिए प्लानिंग करता है, पर बीमारी दुखद होती है। ऐसे में दवाओं की कीमत कम होनी चाहिए। - राहुल, कंप्यूटर ऑपरेटर, वन विभाग

बचत पर भी मिले छूट

कर्मचारियों को बचत पर भी छूट दिया जाए। इसका रेशियो बढ़ाया जाए। बचत की रकम भी सरकारी खजाने में जमा होती है। बजट के माध्यम से कर्मचारियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। - प्रमोद यादव, प्रशासनिक अधिकारी, वन विभाग

सामान सस्ते हों

सरकारी कर्मचारियों की भी इच्छा होती है कि वह घर की जो लिस्ट मिले, उसकी खरीदारी कर सके, पर सभी इच्छाओं की पूर्ति नहीं हो पाती। सामान सस्ते हों तो उनकी इच्छाओं की भी पूर्ति हो जाए। - राजेश गुप्ता, वरिष्ठ सहायक, पशुपालन

मेडिकल क्लेम को आय में न जोड़ें

सरकारी कर्मचारी के लिए दुखद यह है कि उसके मेडिकल क्लेम को भी सरकार आय से जोड़ती है, इससे पीडि़त को आर्थिक परेशानी होती है। क्लेम को आय में शामिल किया जाना दोहरे दंड के समान है। - श्याम नारायण त्रिपाठी, अपर संख्यकीय अधिकारी, पशुपालन विभाग

कापी-किताब से हटे जीएसटी

कापी-किताबों से जीएसटी हटाई जाए। इससे कर्मचारी संवर्ग के समक्ष संकट रहता है कि बच्चों को कैसे पढ़ाया जाएगा। बजट का स्लैब छह लाख तक किया जाए। - इन्द्रेश मणि त्रिपाठी, वरिष्ठ सहायक भूमि संरक्षण


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