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Lockdown in Gorakhpur : रमजान में इस बार 15 घंटे 22 मिनट का होगा सबसे लंबा रोजा Gorakhpur News

सहरी के आखिरी वक्त व इफ्तार के वक्त में परिवर्तन रमजान में कई बार होगा। 15वां रोजा सबसे छोटा होगा जो 15 घंटे का होगा। रमजान के शुरुआती व अंतिम कुछ रोजे बड़े होंगे।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Tue, 14 Apr 2020 08:00 PM (IST)Updated: Tue, 14 Apr 2020 08:00 PM (IST)
Lockdown in Gorakhpur : रमजान में इस बार 15 घंटे 22 मिनट का होगा सबसे लंबा रोजा Gorakhpur News
Lockdown in Gorakhpur : रमजान में इस बार 15 घंटे 22 मिनट का होगा सबसे लंबा रोजा Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। इस बार रमजान में रोजेदारों को सब्र का इम्तिहान कुछ ज्यादा ही देना पड़ेगा। रोजे तकरीबन 15 घंटे से ज्यादा के होंगे। साथ ही भीषण गर्मी भी परेशान करेगी। अगर 23 अप्रैल को माह-ए-रमजान का चांद नजर आ गया तो 24 अप्रैल (शुक्रवार) को पहला रोजा होगा। अगर चांद नहीं दिखा तो रोजा 25 से शुरू होगा। उलेमा के मुताबिक अलग-अलग जगहों के हिसाब से समय में कुछ बदलाव हो सकता है।

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पहले रोजे का सेहरी भोर में 3.55 बजे

इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक पहले रोजे के सहरी का समय भोर में 3.55 तथा इफ्तार शाम छह बजकर 33 मिनट पर खोला जाएगा। इसी तरह आखिरी रोजे की सहरी का समय भोर में तीन बजकर 29 मिनट और इफ्तार शाम को छह बजकर 48 मिनट पर होगा।

15 वां रोजा सबसे छोटा

सहरी के आखिरी वक्त व इफ्तार के वक्त में परिवर्तन रमजान में कई बार होगा। 15वां रोजा सबसे छोटा होगा जो 15 घंटे का होगा। रमजान के शुरुआती व अंतिम कुछ रोजे बड़े होंगे। वहीं अगर 24 अप्रैल से रमजान शुरू हुआ तो पहले रोजे में सहरी का आखिरी वक्त सुबह 3.56 बजे व इफ्तार का वक्त शाम 6.32 बजे रहेगा। यह रोजा 15 घंटा 24 मिनट का होगा। गर्मी में जहा लोगों को पल-पल पानी की जरूरत महसूस होती है, ऐसे में रोजेदारों को लगभग साढ़े 15 घंटे बिन पानी बिताना एक कठिन इबादत होगी।

इबादत करने वाले गर्मी के कारण रोजे नहीं छोड़ेंगे

चिश्तिया मस्जिद के इमाम हाफिज महमूद रजा कादरी ने बताया कि गर्मी और लू के थपेड़ों के बीच रमजान की शुरुआत होगी। खुदा की इबादत करने वाले गर्मी के कारण रोजे नहीं छोड़ेंगे। पहले भी गर्मी का दौर आया था, तब लोगों के घरों में कूलर-पंखे नहीं थे, तब भी रोजे रखे गए हैं। मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि रोजेदारों को चाहिए कि दस मिनट पहले ही सहरी खत्म कर लें और इफ्तार के लिए दो मिनट और इंतजार कर लें।

साल में दस दिन हो जाता है कम

हाफिज रहमत अली निजामी ने बताया कि 36 साल बाद रमजान पुन: उसी मौसम में पहुंच जाता है। इस्लामी कैलेंडर और अंग्रेजी कैलेंडर में एक साल में 10 दिन का अंतर आता है। ये अंतर इसलिए आता है कि इस्लामी कैलेंडर में 29-30 दिन का महीना होता है, वहीं अंग्रेजी कैलेंडर में 30-31 दिन का महीना होता है।


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