LokSabha Election 2019 : त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे में रहेगा ईवीएम, चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे
मतदान में इस्तेमाल ईवीएम के लिए विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में स्ट्रांग रूम बनाया गया है। मतगणना होने तक स्ट्रांग रूम के चारों तरफ तीन स्तरीय सुरक्षा घेरा रहेगा।
By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 20 May 2019 01:02 PM (IST)Updated: Tue, 21 May 2019 10:30 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। मतदान में इस्तेमाल ईवीएम के लिए विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में स्ट्रांग रूम बनाया गया है। मतगणना होने तक स्ट्रांग रूम के चारों तरफ तीन स्तरीय सुरक्षा घेरा रहेगा। इसके लिए एक प्लाटून सीआइएसएफ जवानों के साथ ही बड़ी संख्या में पीएसी के जवान और पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे।
इतना ही नहीं, पूरे दीक्षा भवन परिसर में सीसी टीवी कैमरे का भी पहरा रहेगा। सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखने के लिए आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में सीओ की ड्यूटी लगाई गई है। किसी को भी अनाधिकृत रूप से परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी।
रविवार को मतदान खत्म होने के बाद ईवीएम जमा कराए जाने का सिलसिला शुरू हो गया, जो देर रात तक जारी रहा। जिले का सारा प्रशासनिक अमला ईवीएम जमा कराने में लगा रहा। जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन और एसएसपी डॉ. सुनील गुप्त विश्वविद्यालय परिसर में खुद मौजूद रहकर ईवीएम जमा कराये जाने की व्यवस्था पर नजर रखे हुए थे। पुलिस अधीक्षक दक्षिणी विपुल श्रीवास्तव को स्ट्रांग रूम की सुरक्षा का प्रभारी बनाया गया है। खुद एसएसपी भी सुरक्षा प्रबंधों पर नजर रखेंगे।
जरूरत पड़ी तो अतिरक्त जवानों की होगी तैनाती
गोरखपुर के एसपी (दक्षिणी) विपुल श्रीवास्तव ने बताया कि ईवीएम की सुरक्षा के लिए दीक्षा भवन के अंदर से लेकर बाहर तक विशेष व्यवस्था की गई है। मतगणना होने तक यह व्यवस्था लागू रहेगी। जरूरत पडऩे पर ईवीएम की सुरक्षा में अतिरिक्त जवान भी तैनात किए जाएंगे। दीक्षा भवन परिसर में अनाधिकृत रूप से किसी को प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी। ऐसा करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मतदान के बाद शुरू हो गई नई सरकार की चर्चा
लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है। इन्हीं वोटों के आधार पर हार-जीत का फैसला होगा। मतदान प्रक्रिया निपटते ही नई सरकार को लेकर जगह-जगह चर्चा शुरू हो गई है। प्रत्याशी के साथ ही पार्टी के नेताओं ने दिमागी गणित लगना शुरू कर दिया है। कोई एनडीए तो कोई यूपीए की सरकार बनवा रहा है। किसी के पास क्षेत्र का आंकड़ा है तो कोई जाति-धर्म की गणना में लगा है। सबका हिसाब दुरुस्त है और मतगणना तक इसका सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।मतगणना 23 मई को होनी है। परिणाम जानने के लिए हर किसी को तीन दिन इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन सदर और बांसगांव लोकसभा क्षेत्र के हर चौराहे पर चाय, पान की दुकानों पर चर्चा शुरू हो गई है। प्रत्याशी उनके समर्थक हार-जीत का गणित लगा रहे हैं। कोई जातीय फैक्टर को प्रभावी बता रहा है तो कोई प्रत्याशी के कार्य-व्यवहार को हार-जीत का कारण बता रहा है।
हर व्यक्ति का है अपना अंकगणित
हर व्यक्ति का अपना अंकगणित है। यह जरूरी नहीं कि यह हिसाब किसी दूसरे के हिसाब से मेल खा रहा हो। कोई आदमी किसी प्रत्याशी को जाति विशेष के 75 फीसद वोट मिलने का गणित लगाए है तो किसी का मानना है कि संबंधित प्रत्याशी को उस जाति के 25 फीसद से अधिक मत मिले ही नहीं होंगे। जाहिर है, जब आंकड़ा ही इतना ऊपर-नीचे है तो उनके हिसाब से परिणामों में अंतर होना भी लाजिमी है।
आकड़ों के आइने में पल-पल बदल रहे नतीजे
कोई व्यक्ति किसी के सामने अपनी पार्टी के प्रत्याशी की जीत का दावा कर रहा है। इसी बीच वहां पहुंचे दूसरे व्यक्ति ने अपना गणित समझाया तो पहले वाला हामी भरता है कि-हां यदि ऐसा हो गया फिर तो नतीजा बदल भी सकता है। इन आंकड़ों के आइने में नतीजे पल-पल बदलते दिखे। चौरीचौरा, खोराबार, झंगहा और ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के तमाम बूथों पर मतदान के दौरान हार-जीत की चर्चाओं को पंख लगते रहे। किसी क्षेत्र विशेष की आबादी के आधार पर मान लिया जा रहा था कि संबंधित लोग फलां पार्टी या प्रत्याशी के साथ जुड़े हैं। या फलां क्षेत्र में किसी प्रत्याशी विशेष के वोटों की तादाद काफी कम है। इसी आधार पर चर्चाओं का दौर मतदान के साथ शुरू हुआ और मतदान संपन्न होने तक जारी रहा।
कभी सन्नाटा तो कभी भीड़ बढ़ी
शहर, ग्रामीण और चौरीचौरा विधानसभा क्षेत्र में विशेष बूथों पर मतदाताओं की ज्यादा भीड़ को देखकर चर्चा चल पड़ी कि फलां प्रत्याशी के पक्ष में वोटों की झड़ी लग गई है जबकि उसका प्रतिद्वंद्वी पिछड़ गया है। कुछ बूथों पर कुछ समय के लिए सन्नाटा भी पसरा रहा। बाद में इन पर भीड़ बढऩी शुरू हो गई। इन हालात के आधार पर भी तमाम तरह की चर्चाओं को बल मिलता रहा। गली-चौराहे और नुक्कड़ पर लोग इन चर्चाओं के आधार पर अपने तरीके से विश्लेषण भी करते नजर आए।
इतना ही नहीं, पूरे दीक्षा भवन परिसर में सीसी टीवी कैमरे का भी पहरा रहेगा। सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखने के लिए आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में सीओ की ड्यूटी लगाई गई है। किसी को भी अनाधिकृत रूप से परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी।
रविवार को मतदान खत्म होने के बाद ईवीएम जमा कराए जाने का सिलसिला शुरू हो गया, जो देर रात तक जारी रहा। जिले का सारा प्रशासनिक अमला ईवीएम जमा कराने में लगा रहा। जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन और एसएसपी डॉ. सुनील गुप्त विश्वविद्यालय परिसर में खुद मौजूद रहकर ईवीएम जमा कराये जाने की व्यवस्था पर नजर रखे हुए थे। पुलिस अधीक्षक दक्षिणी विपुल श्रीवास्तव को स्ट्रांग रूम की सुरक्षा का प्रभारी बनाया गया है। खुद एसएसपी भी सुरक्षा प्रबंधों पर नजर रखेंगे।
जरूरत पड़ी तो अतिरक्त जवानों की होगी तैनाती
गोरखपुर के एसपी (दक्षिणी) विपुल श्रीवास्तव ने बताया कि ईवीएम की सुरक्षा के लिए दीक्षा भवन के अंदर से लेकर बाहर तक विशेष व्यवस्था की गई है। मतगणना होने तक यह व्यवस्था लागू रहेगी। जरूरत पडऩे पर ईवीएम की सुरक्षा में अतिरिक्त जवान भी तैनात किए जाएंगे। दीक्षा भवन परिसर में अनाधिकृत रूप से किसी को प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी। ऐसा करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मतदान के बाद शुरू हो गई नई सरकार की चर्चा
लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है। इन्हीं वोटों के आधार पर हार-जीत का फैसला होगा। मतदान प्रक्रिया निपटते ही नई सरकार को लेकर जगह-जगह चर्चा शुरू हो गई है। प्रत्याशी के साथ ही पार्टी के नेताओं ने दिमागी गणित लगना शुरू कर दिया है। कोई एनडीए तो कोई यूपीए की सरकार बनवा रहा है। किसी के पास क्षेत्र का आंकड़ा है तो कोई जाति-धर्म की गणना में लगा है। सबका हिसाब दुरुस्त है और मतगणना तक इसका सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।मतगणना 23 मई को होनी है। परिणाम जानने के लिए हर किसी को तीन दिन इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन सदर और बांसगांव लोकसभा क्षेत्र के हर चौराहे पर चाय, पान की दुकानों पर चर्चा शुरू हो गई है। प्रत्याशी उनके समर्थक हार-जीत का गणित लगा रहे हैं। कोई जातीय फैक्टर को प्रभावी बता रहा है तो कोई प्रत्याशी के कार्य-व्यवहार को हार-जीत का कारण बता रहा है।
हर व्यक्ति का है अपना अंकगणित
हर व्यक्ति का अपना अंकगणित है। यह जरूरी नहीं कि यह हिसाब किसी दूसरे के हिसाब से मेल खा रहा हो। कोई आदमी किसी प्रत्याशी को जाति विशेष के 75 फीसद वोट मिलने का गणित लगाए है तो किसी का मानना है कि संबंधित प्रत्याशी को उस जाति के 25 फीसद से अधिक मत मिले ही नहीं होंगे। जाहिर है, जब आंकड़ा ही इतना ऊपर-नीचे है तो उनके हिसाब से परिणामों में अंतर होना भी लाजिमी है।
आकड़ों के आइने में पल-पल बदल रहे नतीजे
कोई व्यक्ति किसी के सामने अपनी पार्टी के प्रत्याशी की जीत का दावा कर रहा है। इसी बीच वहां पहुंचे दूसरे व्यक्ति ने अपना गणित समझाया तो पहले वाला हामी भरता है कि-हां यदि ऐसा हो गया फिर तो नतीजा बदल भी सकता है। इन आंकड़ों के आइने में नतीजे पल-पल बदलते दिखे। चौरीचौरा, खोराबार, झंगहा और ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के तमाम बूथों पर मतदान के दौरान हार-जीत की चर्चाओं को पंख लगते रहे। किसी क्षेत्र विशेष की आबादी के आधार पर मान लिया जा रहा था कि संबंधित लोग फलां पार्टी या प्रत्याशी के साथ जुड़े हैं। या फलां क्षेत्र में किसी प्रत्याशी विशेष के वोटों की तादाद काफी कम है। इसी आधार पर चर्चाओं का दौर मतदान के साथ शुरू हुआ और मतदान संपन्न होने तक जारी रहा।
कभी सन्नाटा तो कभी भीड़ बढ़ी
शहर, ग्रामीण और चौरीचौरा विधानसभा क्षेत्र में विशेष बूथों पर मतदाताओं की ज्यादा भीड़ को देखकर चर्चा चल पड़ी कि फलां प्रत्याशी के पक्ष में वोटों की झड़ी लग गई है जबकि उसका प्रतिद्वंद्वी पिछड़ गया है। कुछ बूथों पर कुछ समय के लिए सन्नाटा भी पसरा रहा। बाद में इन पर भीड़ बढऩी शुरू हो गई। इन हालात के आधार पर भी तमाम तरह की चर्चाओं को बल मिलता रहा। गली-चौराहे और नुक्कड़ पर लोग इन चर्चाओं के आधार पर अपने तरीके से विश्लेषण भी करते नजर आए।
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