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यहां हर साल दो लाख लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं कुत्‍ते

गोरखपुर में बेखौफ कुत्ते रोजाना पांच सौ से अधिक लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। पूरे जिले की बात करें तो हर साल दो लाख से ज्यादा लोग इनका शिकार हो रहे हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 10:27 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 10:13 AM (IST)
यहां हर साल दो लाख लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं कुत्‍ते
यहां हर साल दो लाख लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं कुत्‍ते

गोरखपुर, जेएनएन। बेखौफ कुत्ते रोजाना पांच सौ से अधिक लोगों पर टूट पड़ रहे हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में और। जिले की बात करें तो हर साल दो लाख से ज्यादा लोग इनका शिकार हो रहे हैं। रैबीज के एक इंजेक्शन पर 250 रुपये का खर्च मानें तो हर साल पांच करोड़ से ज्यादा खर्च हो रहे हैं। एक लाख लोग सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन (एआरवी) लगवाते हैं, फिर भी एक लाख लोगों को प्राइवेट में इंजेक्शन लगवाना पड़ रहा है। जिला अस्पताल में रोजाना तकरीबन 250 से 300 मरीज पहुंचते हैं।  

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संक्रमित जानवर ने घाव पर चाटा तो भी हो जाएगा रैबीज

रैबीज एक तरह का वायरल इंफेक्शन है। आमतौर पर रैबीज संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है। व्यक्ति के खून में यह वायरस जानवर के काटने से पहुंचते हैं या पालतू जानवरों के घाव व चोट आदि पर चाटने से।

ये हैं लक्षण

बुखार, सिरदर्द, घबराहट, बेचैनी, चिंता, व्याकुलता, भ्रम की स्थिति, खाना निगलने में कठिनाई, लार अधिक निकलना, पानी से डर लगना (हाइड्रोफोबिया), पागलपन के लक्षण, अनिद्रा, एक अंग में लकवा (पैरालिसिस) मार जाना।

ऐसे बढ़ रहे मरीज

वर्ष      जिला अस्पताल  सरकारी अस्पताल

2016    58333            98110           

2017    66435            107462

2018    75661            126532

नोट - प्राइवेट के आंकड़ें इससे अलग हैं।

जिला अस्पताल में चार दिन का डोज

जिला अस्पताल के पास तकरीबन 12 सौ डोज एआरवी बचा है। इस हिसाब से यह अधिकतम चार से पांच दिन ही चल सकता है। प्रमुख अधीक्षक डॉ. राजकुमार गुप्ता ने कहा कि एआरवी की डिमांड भेजी जा चुकी है।

सरकारी अस्पतालों का बढ़ा कोटा

शासन ने जिले के सरकारी अस्पतालों में एआरवी का कोटा बढ़ा दिया है। पहले सीएमओ को हर महीने 332 वायल (एक वायल में पांच डोज) मिलते थे। अगले महीने से हर महीने 664 वायल मिलने लगेंगे। सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि एआरवी मिला है। अस्पतालों में भेज दिया गया है।

एआरवी जरूर लगवाएं

फिजीशियन डॉ. अखिलेश कुमार सिंह के अनुसार रैबीज के लक्षण कभी जल्दी तो कभी सालों बाद उभर सकते हैं, इसलिए संक्रमित जानवर के काटने के बाद एआरवी लगवा लेना चाहिए। जानवरों द्वारा काटे गए स्थान को तुरंत पानी व साबुन से धोना चाहिए। उसके बाद टिंचर या पोवोडीन आयोडीन लगाना चाहिए।


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