यहां कर्तव्य की राह पर हर दिन देश प्रेम का राग
देवरिया कलेक्ट्रेट में कर्मचारी जन गण मन का गान करने के बाद शुरू करते हैं अपनी ड्यूटी।
पवन कुमार मिश्र, गोरखपुर : वैसे तो जन-गण-मन अक्सर सुबह के वक्त स्कूलों में सुनाई देते हैं लेकिन, यदि राष्ट्रगान सरकारी महकमा में हर दिन सुनाई दे तो चर्चाएं होना लाजमी है। देवरिया जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट परिसर में हर दिन सावधान की मुद्रा में खड़े अधिकारी व कर्मचारी जन-गण-मन अधिनायक जय हो..गाने के बाद शासकीय कार्य शुरू करते हैं। इस परंपरा को वह 2016 से निभाते आ रहे हैं। यहां हर दिन जहां राष्ट्र के प्रति सम्मान को दर्शाता है, वहीं कर्तव्य की राह पर देशप्रेम का संदेश भी देता है। ऐसे हुई थी इस परंपरा की शुरुआत
सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका में 30 नवंबर 2016 को यह आदेश पारित किया कि सिनेमाघरों में फिल्म चलाने से पहले भारत का राष्ट्रगान जन-गण-मन बजना चाहिए व पर्दे पर राष्ट्रीय ध्वज दिखना चाहिए। इसके सम्मान में लोगों को खड़ा होना होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 51 (ई) का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा था कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान में बताए गए आदर्शों के प्रति सम्मान प्रकट करे। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से तत्कालीन डीएम अनिता श्रीवास्तव प्रभावित हुईं। उन्होंने राष्ट्रगान के प्रति सम्मान दर्शाते हुए एक दिसंबर 2016 को कलेक्ट्रेट समेत जनपद के सभी विभागों में प्रत्येक कार्य दिवस में राष्ट्रगान गाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई। तीन दिसंबर 2016 को सभी कार्यालयाध्यक्षों को आदेश दिया कि प्रत्येक कार्य दिवस में सुबह 10 बजे राष्ट्रगान का आयोजन करें व उसके बाद शासकीय कार्य संपादित करें। उनका मानना था कि इससे आपस में सहभागिता बढ़ेगी। इसके बाद इस परिपाटी की शुरुआत हो गई। इस परंपरा को तत्कालीन डीएम अबरार अहमद व सुजीत कुमार ने बढ़ाया। अब नवागत जिलाधिकारी अमित किशोर आगे बढ़ा रहे हैं। डीएम ने इसके समय में मामूली बदलाव किया है। प्रत्येक कार्य दिवस पर सुबह 9.50 बजे डीएम, एडीएम के अलावा सभी कर्मचारी कलेक्ट्रेट परिसर में एक जगह एकत्र होते हैं। राष्ट्रगान के बाद सभी लोग शासकीय कार्यों में लग जाते हैं। कई बार फरियादी भी होते हैं शरीक
कलेक्ट्रेट के प्रशासनिक अधिकारी पारसनाथ यादव कहते हैं कि यह बहुत अच्छी परंपरा है। इसका पालन यहां हो रहा है। सभी कर्मचारी इसमें भाग लेते हैं। लिपिक नर्वदेश्वर लाल श्रीवास्तव व सामान्य लिपिक संजय कुमार ने कहा कि कई बार फरियादी जिलाधिकारी से मिलने सुबह ही आ जाते हैं और बेंच पर बैठकर इंतजार करते हैं, लेकिन जब राष्ट्रगान शुरू होता है तो उनको बताया जाता है कि अब राष्ट्रगान शुरू होगा तो वह भी सावधान की मुद्रा में खड़े होकर राष्ट्रगान गाते हैं। इससे उनमें भी राष्ट्र के सम्मान की सीख मिलती है। राष्ट्रगान की यह अच्छी परंपरा है। सुबह 9.50 बजे इसे गाया जाता है। कर्मचारी समय से कार्यालय आते हैं और अनुशासन बना रहता है। इससे राष्ट्रभक्ति का भाव पैदा होता है। इसकी निरंतरता आगे भी बनी रहेगी।
- अमित किशोर, जिलाधिकारी, देवरिया