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आश्चर्य : जिले में बाढ़ की तबाही और मनोरमा नदी में घुटनाभर पानी

इस समय प्रतिदिन बारिश हो रही है। इसके कारण बस्ती में सरयू नदी में बाढ़ आ गई है और वह तबाही मचा रही है। दूसरी तरफ धार्मिक महत्व वाली मनोरमा नदी में घुटना भर पानी है। इये आश्चर्य नहीं तो क्या कहेंगे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Aug 2018 09:15 AM (IST)Updated: Fri, 03 Aug 2018 09:15 AM (IST)
आश्चर्य : जिले में बाढ़ की तबाही और मनोरमा नदी में घुटनाभर पानी
आश्चर्य : जिले में बाढ़ की तबाही और मनोरमा नदी में घुटनाभर पानी

गोरखपुर : इस समय प्रतिदिन बारिश हो रही है। बारिश के कारण बस्ती जनपद की सीमा में सरयू (घाघरा) नदी में बाढ़ आ गई है और वह तबाही मचा रही है। विक्रमजोत से कलवारी तक 70 किमी की लंबाई में जगह-जगह कटान से फसल व खेती योग्य भूमि कट रही है। माझा क्षेत्र में प्रतिदिन बाढ़ को लेकर प्रशासन और स्थानीय लोग परेशान हैं। वहीं इस नदी के समानांतर परशुरामपुर विकस खंड से लेकर बनकटी विकास खंड तक 60 किमी लंबाई में प्रवाहित मनोरमा नदी का पानी उसकी पेट में ही है। लोग आज भी इसे पैदल पार कर रहे हैं। इसमें पशुओं के नहाने लायक भी ठीक से पानी नहीं है। जगह-जगह नदी का किनारा टूटा हुआ है। कई जगह तो लोगों ने नदी में मिट्टी पाट कर रास्ता बना लिया है। कुछ लोगों ने इसके किनारे पर अतिक्रमण कर घर बना लिया हैं। जहां पानी है वहां जलकुंभी खरपतवार लगा हुआ है। नदी में बहाव की गति मंद है।

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60 किलोमीटर लंबी है यह नदी

गोंडा जिले के त्रिर्रे ताल से निकल घर टिकरी जंगल के रास्ते बस्ती जिले में नकटा घाट के पास यह नदी प्रवेश करती है। कुशमौर घाट, नागपुर कुंवर, मखौड़ा धाम, कोहराएं रजवापुर, अमारी बाजार के रास्ते तहसील मुख्यालय हर्रैया को स्पर्श करते हुए 60 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यह नदी लालगंज में कुआनो नदी में मिल जाती है। पौराणिक महत्व की इस नदी के तट पर वर्ष भर विभिन्न पर्वों पर मेले का आयोजन भी होता है।

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धार्मिक इतिहास को समेटे है मनोरमा

मनोरमा नदी कई धार्मिक इतिहास को अपने में समेटे हुए है। नदी तट पर स्थित पौराणिक काल के मंदिर मखौड़ा धाम, नागपुर समय माता मंदिर, सालेपुर गांव में शिव मंदिर सहित लालगंज में उद्यालक मुनि द्वारा स्थापित शिव मंदिर पर स्नान पर्व के आयोजन होते हैं। मान्यता है कि त्रेता युग में राजा दशरथ ने मनोरमा नदी के तट पर ही मखौड़ा धाम में पुत्रकामेष्टि यज्ञ किया था। जिसके बाद भगवान राम सहित चारो भाइयों का जन्म हुआ था।

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कूड़े के कारण नदी में प्रवाह खत्म

जानकारों का कहना है कि विगत कई वर्षों से कम बारिश के चलते नदी में प्रवाह खत्म हो गया। किनारों पर अतिक्रमण, जलकुंभी व कूड़े कचरे के ढेर ने नदी को काफी उथला कर दिया है। कई जगह तो नदी और समतल भूमि में अंतर खत्म हो गया है। रही सही कसर इसके किनारे बसे लोगों ने पूरी कर दी है। कहीं मिट्टी पाट कर रास्ता बना लिया गया है तो कहीं खेती हो रही है। कुछ फैक्ट्रियों ने भी अपना गंदा पानी इसमें बहाना शुरू कर दिया है। जिससे लोग नदी का पानी स्पर्श करने से परहेज करने लगे हैं।

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जिलाधिकारी ने किया दौरा, दिया निर्देश

जिलाधिकारी डा. राजशेखर ने 15 दिन पहले मखौड़ा धाम का दौरा किया था। नदी की स्थिति देख उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी के नेतृत्व मे टीम गठित कर नदी को फिर से प्रवाहमान बनाने के लिए कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया है। यह रिपोर्ट सितंबर तक देनी है। उसके बाद नदी के जीर्णोद्धार पर काम शुरू होगा।

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