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Gorakhpur Lockdown Day 16 : लॉकडाउन से पर्यावरण को मिला 'ऑक्सीजन' Gorakhpur News

Gorakhpur Lockdown Day 16 लॉकडाउन में वायु प्रदूषण कम हुआ तो ऑक्सीजन वाले सिलेंडर जल्द रिफिल हो जा रहे हैं। 10-12 दिन में बदले जाने वाले एयर फिल्टर की लाइफ अब दोगुना हो गई है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 09 Apr 2020 02:23 PM (IST)Updated: Thu, 09 Apr 2020 09:58 PM (IST)
Gorakhpur Lockdown Day 16 : लॉकडाउन से पर्यावरण को मिला 'ऑक्सीजन' Gorakhpur News
Gorakhpur Lockdown Day 16 : लॉकडाउन से पर्यावरण को मिला 'ऑक्सीजन' Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। लॉकडाउन में वायु प्रदूषण कम हुआ तो ऑक्सीजन वाले सिलेंडर जल्द रिफिल हो जा रहे हैं। 10-12 दिन में बदले जाने वाले एयर फिल्टर की लाइफ अब दोगुना से अधिक हो गई है। गीडा स्थित मोदी केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड में ऑक्सीजन तैयार होती है। यहां मेडिकल ऑक्सीजन के साथ ही इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन और नाइट्रोजन आदि बनाया जाता है। प्लांट में ऑक्सीजन माइनस 194 डिग्री सेंटीग्रेड पर तैयार किया जाता है। वायुमंडल से हवा फिल्टर के माध्यम से प्लांट तक पहुंचाई जाती है। प्लांट में तैयार ऑक्सीजन लोहे के सिलेंडरों में भरा जाता है। नाइट्रोजन बनाने की भी यही प्रक्रिया है।

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मेडिकल ऑक्सीजन की हो रही आपूर्ति

मोदी केमिकल्स से इन दिनों मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे जा रहे हैं। छोटे सिलेंडर में ऑक्सीजन 1.5 क्यूबिक मीटर भरा जाता है, जबकि बड़े सिलेंडर में ऑक्सीजन की मात्रा 7.2 क्यूबिक मीटर होती है।

सैनिटाइज किए जा रहे सिलेंडर

मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडरों को पूरी तरह सैनिटाइज करने के बाद ही अस्पतालों में भेजा जा रहा है। हालांकि अस्पतालों से खाली सिलेंडर बिना सैनिटाइज किए भेज दिए जा रहे हैं। प्लांट में कर्मचारियों की सुरक्षा का ज्यादा ख्याल रखा जा रहा है। विपरीत परिस्थितियों में भी कर्मचारी दिन-रात जुटे हुए हैं।

ऐसे साफ होती गई हवा

लॉकडाउन के पहले- 19 मार्च को : एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ, यह हवा की शुद्धता का पैमाना है) 167 था। 20 मार्च को यह 168 तक पहुंच गया। विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्य समय में इस मौसम में एक्यूआइ 160-200 के बीच में रहता है।

लॉकडाउन के बाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर 25 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के दिन एक्यूआइ 105 हो गया। 26 मार्च को यह 68 आ गया। पांच अप्रैल को एक्यूआइ 59 हो गया था। आठ अप्रैल को यह 62 था।

वायुमंडल में प्रदूषण कम होने से ऑक्सीजन बनाना आसान हो गया है। हालांकि सिर्फ मेडिकल ऑक्सीजन की ही मांग है, इसलिए प्लांट पूरी क्षमता पर नहीं चल पा रहा है। एक बार प्लांट बंद होता है तो चार सौ किलोवाट लोड से चार घंटे तक स्टार्ट रखना पड़ता है। इसमें बहुत खर्च आता है। कोरोना होने पर सबसे ज्यादा जरूरी ऑक्सीजन है इसलिए प्लांट चलाता रहूंगा। - प्रवीन मोदी, डायरेक्टर, मोदी केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड


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