अमेरिका-ईरान तनाव समाप्त होना भारत के लिए जरूरी Gorakhpur News
अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकार एवं सहायक आयुक्त (जीएसटी) डॉ. अमित कुमार सिंह ने कहा कि भारत के हित के लिए अमेरिका-ईरान तनाव समाप्त होना जरूरी है।
गोरखपुर, जेएनएन। अमेरिका-ईरान तनाव का समाप्त होना भारत के राष्ट्रीय हित के लिए आवश्यक है। वर्तमान परिस्थिति में भारतीय विदेश नीति के समक्ष एक बड़ी चुनौती अमेरिका और ईरान दोनों के साथ संबंधों को सौहार्दपूर्ण रखना है।
यह बातें अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकार एवं सहायक आयुक्त (जीएसटी) डॉ. अमित कुमार सिंह ने कही। वह महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज जंगल धूसड़ में राजनीतिशास्त्र विभाग की ओर से 'अमेरिका ईरान तनाव: भारतीय विदेश नीति के विशेष संदर्भ में' आयोजित विशिष्ट व्याख्यान में अपना विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि ऊर्जा आवश्यकताओं को लेकर आज अमेरिका-ईरान तनाव अपने चरम पर इस कारण है, क्योंकि तेल का पूरा परिक्षेत्र अमेरिका की निगाह में है। तेल के इस खेल में कहीं पूरी मानवता संघर्ष और हिंसा की भेंट न चढ़ जाए। इसके मद्देनजर भारतीय विदेश नीति को अत्यंत सटीक बनाने की जरूरत है। व्याख्यान से पूर्व मुख्य अतिथि डॉ. अमित कुमार सिंह को प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार राव ने स्मृति चिह्न देकर स्वागत किया। इस अवसर पर डॉ. कृष्ण कुमार, डॉ. अविनाश प्रताप सिंह आदि विद्यार्थी उपस्थित रहे।
समूचे विश्व ने स्वीकार किया गांधी दर्शन
महात्मा गांधी न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर महामानव के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनके आदर्श, विचार, जीवन मूल्य और दर्शन को संपूर्ण विश्व ने स्वीकार किया। यह बातें गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के सहायक आचार्य महेंद्र सिंह ने कही। वह दिग्विजयनाथ महाविद्यालय में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में राजनीति शास्त्र विभाग की ओर से आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी में तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डा.अमित उपाध्याय ने कहा कि गांधी की अहिंसा नीति का आशय था स्वयं को कष्ट में रखकर, दूसरों को सुख पहुंचाना। यदि हम अंतराष्ट्रीय स्तर पर मानवता के समूल विनाश को रोकना चाहते हैं तो इसके लिए सिर्फ गांधी का बताया हुआ मार्ग ही एक मात्र विकल्प दिखाई देता है।
विभागाध्यक्ष डा.वीणा गोपाल मिश्रा ने कहा कि हम गांधीवाद के विचारों को अपनाएं तथा स्वराज्य, सर्वोदय तथा अंत्योदय को अपनाकर रामराज्य की परिकल्पना को साकार करें। तकनीकी सत्र में 16 प्रतिभागियों ने शोधपत्र प्रस्तुत किए। प्रस्ताविकी डा.शैलेश कुमार सिंह ने रखी जबकि संचालन कीर्ति द्विवेदी व आभार ज्ञापन प्राचार्य डा.शैलेंद्र प्रताप सिंह ने किया। इस अवसर पर डा. विवेक शुक्ला, डा. रविंद्र कुमार गंगवार, निधि राय, जागृति विश्वकर्मा, अवधेश शुक्ला, डा. रुक्मिणी चौधरी, डा. सुनील कुमार सिंह, सुनील मिश्रा, प्रियंका त्रिपाठी, शुभेंद्र सत्यदेव, रचना कुशवाहा, राजू प्रजापति, जितेंद्र प्रजापति तथा रिपुंजय मिश्रा आदि मौजूद रहे।