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गोरखपुर में स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण मुंह के बल गिरा दिमागी बुखार

अभी तक अच्छे इलाज की व्यवस्था सिर्फ मेडिकल कालेज में थी। एम्स खुल जाने से बड़ी राहत मिली है। हालांकि अभी केवल ओपीडी चल रही है। इसके अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 09:30 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 09:30 AM (IST)
गोरखपुर में स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण मुंह के बल गिरा दिमागी बुखार
इंसेफ्लाइटिस से पीडि़त बच्‍चे की प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। कभी स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर उपेक्षा का शिकार रहा गोरखपुर आज सरकार की प्राथमिकता में है। चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का निर्माण गोरखपुर के लिए सबसे बड़ी सौगात हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से पूर्वांचल के लिए अभिशाप बन चुकी इंसेफ्लाइटिस (दिमागी बुखार या नवकी बीमारी) मुंह के बल गिर गई। व्यवस्थित स्वास्थ्य सेवाओं का ही नतीजा रहा कोरोना जैसी महामारी में भी इलाज के लिए किसी को परेशान नहीं होना पड़ा। 

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इंसेफ्लाइटिस की रोकथाम के लिए गांवों में 19 इंसेफ्लाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर खोले गए। तीन वेंटीलेटर युक्त पीडियाट्रिक आइसीयू बनाए गए। साथ ही जिला अस्पताल के पीडियाट्रिक आइसीयू में 12 से बढ़ाकर 17 बेड कर दिए गए। गोरखपुर में  आसपास के जिलों, नेपाल व बिहार से भी बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। अभी तक इनके अच्छे इलाज की व्यवस्था सिर्फ मेडिकल कालेज में थी। एम्स खुल जाने से बड़ी राहत मिली है। हालांकि अभी केवल ओपीडी चल रही है। इसके अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

बाल, नाखून व बिसरा के नमूनों की हो सकेगी जांच

जिला अस्पताल के बगल में 66 करोड़ रुपये की लागत से क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला (फोरेंसिक लैब) बनकर तैयार है। मुकदमों में साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल होने वाले बाल, नाखून, बिसरा सहित अन्य नमूनों की जांच अब यहीं हो सकेगी। पहले नमूने लखनऊ या वाराणसी भेजे जाते थे। जांच रिपोर्ट आने में 15 दिन से अधिक समय लग जाता था। प्रयोगशाला का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है।

जून 2021 तक शुरू हो जाएगा एम्स में अस्पताल

11 करोड़ 72 लाख रुपये से बन रहे एम्स में ओपीडी सेवा शुरू हो चुकी है। अस्पताल का निर्माण चल रहा है, जून 2021 के पहले पूरी क्षमता के साथ एम्स को शुरू करने का प्रयास चल रहा है। छोटे आपरेशन हो रहे हैं। पैथोलाजी जांच भी होने लगी है। एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। पहले गोरखपुर व आसपास के लोगों को इलाज के लिए दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, चेन्नई आदि शहरों में जाना पड़ता था। अब यहीं इलाज संभव हो सकेगा।

500 बेड बाल सेवा संस्थान बनकर तैयार

मेडिकल कालेज में 293 करोड़ रुपये की लागत से 500 बेड वाला बाल सेवा संस्थान बनकर तैयार है। यह मूलत: इंसेफ्लाइटिस से पीडि़त व जन्मजात विकृतियों से जूझ रहे बच्चों के इलाज के लिए तैयार किया गया है। अभी फिलहाल इसमें 300 बेड का कोविड अस्पताल चल रहा है।

महिलाओं, बच्चों को मिला अच्छा अस्पताल

जिला महिला अस्पताल में 17.61 करोड़ रुपये की लागत से बने 100 बेड मैटर्निटी ङ्क्षवग का उद्घाटन 27 जनवरी 2019 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। अस्पताल का संचालन शुरू हो चुका है। 80 बेड महिलाओं के लिए और 20 बेड शिशुओं के सघन चिकित्सा कक्ष में हैं। सुविधाएं इतनी अच्छी हैं कि कई नर्सिंग होम से भी बच्चे रेफर होकर यहां आते हैं।

इंसेफ्लाइटिस से मौतों में आई कमी

एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) व जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) की रोकथाम में बड़ी सफलता मिली है। पिछले साल 31 अगस्त तक एईएस के कुल 113 केस सामने आए थे, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी। इस वर्ष 80 केस रिपोर्ट हुए हैं, मौत सिर्फ एक की हुई है। पिछले साल इस समय तक जापानी इंसेफ्लाइटिस के 32 केस रिपोर्ट हुए थे, जिसमें पांच की मौत हो गई थी। इस साल अभी तक केवल छह केस सामने आए हैं, मौत केवल एक की हुई है। सीएमओ डा. श्रीकांत तिवारी का कहना है कि इधर हाल के वर्षों में विकास की रफ्तार काफी तेज हुई है। अनेक लंबित परियोजनाएं जहां पूर्ण हुईं, वहीं अनेक अस्पतालों के निर्माण हुए। स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ी हैं। इससे आम जन को बड़ी राहत मिली है। बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. गणेश कुमार का कहना है कि बीआरडी मेडिकल कालेज में फार्मेसी कालेज की शुरुआत हो गई। पहला बैच चल रहा है। 14 माड्यूलर ओटी बने हैं। बाल सेवा संस्थान पूर्ण हो गया है, उसमें कोविड अस्पताल संचालित किया जा रहा है। स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी इजाफा हुआ है।


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