रजिस्टर में मिला खाली स्थान, बैक डेट में दर्ज होता था पत्रांक
गिरफ्तार किए गए बीएसए कार्यालय के पूर्व वित्त एवं लेखाधिकारी जगदीश लाल श्रीवास्तव ने एसटीएफ को कई अहम जानकारी दी है। एसटीएफ ने उसके पास से चोरी गई वर्ष 2010-11 की डिस्पैच रजिस्टर बरामद किया है।
देवरिया: गिरफ्तार किए गए बीएसए कार्यालय के पूर्व वित्त एवं लेखाधिकारी जगदीश लाल श्रीवास्तव ने एसटीएफ को कई अहम जानकारी दी है। एसटीएफ ने उसके पास से चोरी गई वर्ष 2010-11 की डिस्पैच रजिस्टर बरामद किया है। इसके अलावा दो मोबाइल, मतदाता पहचान पत्र व 1500 रुपये भी मिले हैं। रविवार को उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
जगदीश लाल गोरखपुर के शाहपुर थाना क्षेत्र के आवास विकास कालोनी का रहने वाला है। गौरीबाजार के मदरसन स्थित कृषक लघु माध्यमिक विद्यालय व सहदेव लघु माध्यमिक विद्यालय बाबू बभनी में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति मामले में एसटीएफ प्रभारी सत्यप्रकाश सिंह की तहरीर पर नौ जुलाई को सदर कोतवाली में उसके अलावा 16 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इसी बीच खंड शिक्षा अधिकारी बीरबल राम ने सदर कोतवाली में बीएसए कार्यालय का वर्ष 2010-11 का डिस्पैच रजिस्टर चोरी होने का मुकदमा 19 जुलाई को दर्ज कराया। जांच में पता चला कि डिस्पैच रजिस्टर का प्रयोग फर्जी व कूटरचित अनुमोदन पत्र व अन्य फर्जी दस्तावेज तैयार करने में किया जाता है। चोरी मामले के विवेचक उप निरीक्षक प्रह्लाद गौड़ ने एसटीएफ के प्रभारी सत्यप्रकाश सिंह से रजिस्टर चोरी के संबंध में जानकारी साझा की। एसटीएफ सूचनाओं का विश्लेषण कर रही थी। इसी बीच शनिवार को एसटीएफ ने वित्त एवं लेखाधिकारी जगदीश लाल श्रीवास्तव को गोरखपुर में गिरफ्तार कर डिस्पैच रजिस्टर बरामद किया। एसटीएफ की पूछताछ में उसने बताया कि रजिस्टर का प्रयोग फर्जी नियुक्ति व अनुमोदन पत्र बनाने में किया जाता है। पंजिका में छोड़े गए खाली स्थान पर क्रमांक लिख दिया जाता है। भविष्य में फर्जी तरीके से क्रमांक अंकित कर किसी की भी नियुक्ति की जा सकती है। रजिस्टर में क्रमांक 9333-34 के बाद 9385-88 अंकित है। इसी तरह कई अन्य क्रमांक व खाली जगह छोड़े गए हैं। एसटीएफ के प्रभारी निरीक्षक सत्यप्रकाश सिह ने बताया कि गिरफ्तार किए गए पूर्व वित्त एवं लेखाधिकारी को जेल भेज दिया गया। उसके पास से चोरी गई डिस्पैच रजिस्टर बरामद किया गया है। पूर्व में भी दर्ज हुआ था धोखाधड़ी का मुकदमा
पूर्व वित्त एवं लेखाधिकारी के खिलाफ अबतक तीन मामले सदर कोतवाली में दर्ज हुए हैं। पहला मुकदमा वर्ष 2018 में धोखाधड़ी का दर्ज हुआ। उसके बाद इसी वर्ष जुलाई में दो मुकदमे दर्ज हुए हैं।