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डेढ लाख उपभोक्‍ताओं को बिल तक नहीं दे पाया बिजली विभाग

बिजली विभाग गोरखपुर में इस माह करीब डेढ लाख उपभोक्‍ताओं को बिजली का बिल भी नहीं दे पाया। उभोक्‍ताओं को अब अगले माह दो माह के बिल का भुगतान करना पड़ेगा।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 01:37 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 02:11 PM (IST)
डेढ लाख उपभोक्‍ताओं को बिल तक नहीं दे पाया बिजली विभाग
डेढ लाख उपभोक्‍ताओं को बिल तक नहीं दे पाया बिजली विभाग

गोरखपुर, (जेएनएन)। शहर में बिजली बिल बनाने की व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। काम में देरी और कर्मचारियों के बगावती सुर के कारण बिलिंग कंपनी अपने लक्ष्य से कोसों दूर है। लखनऊ से कांट्रैक्ट मिलने के कारण बिजली निगम के अफसर कंपनी पर सीधी कार्यवाही से बच रहे हैं। इन सबके बीच बिजली के बिल को लेकर उपभोक्ता परेशान हैं। यदि समय से बिल नहीं जमा किया तो अगली बार दो महीने का एक साथ बिल जेब पर भारी पड़ेगा। शहर में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या करीब दो लाख पहुंच चुकी है।

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बंगलुरू की कंपनी के पास है ठेका

बंगलुरू की कंपनी को सितंबर महीने में बिजली का बिल बनाने का जिम्मा दिया गया है। इसके लिए लखनऊ में उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में करार हुआ था। इस कंपनी को गोरखपुर, बस्ती और आजमगढ़ मंडल में बिजली का बिल बनाना है, लेकिन कंपनी की व्यवस्था शुरू से ही गड़बड़ रही। 10 सितंबर तक कंपनी ने शहर में बिजली बिल बनाने की शुरुआत ही नहीं की थी। इसके बाद कंपनी ने बिल बनाना शुरू किया, लेकिन पचास हजार से भी कम उपभोक्ताओं का ही बिल बन सका। हालांकि कंपनी का दावा है कि सितंबर महीने में उसने 90 हजार उपभोक्ताओं का बिजली का बिल बनाया था।

पहले लखनऊ से आता था बिल

पहले बिजली का बिल लखनऊ से बनकर आता था। बाद में व्यवस्था में बदलाव हुआ और शहर में रीडिंग के आधार पर बिजली का बिल बनने लगा। गांव का बिल लखनऊ से ही बनकर आता रहा। दो साल पहले गांव का बिल वहीं निकालने की व्यवस्था बनाई गई, लेकिन अब तक यह कामयाब नहीं हो सकी है। शुरू में साफ्टवेयर में एक ही उपभोक्ता के नाम से कई बिजली का बिल आने की दिक्कत सामने आयी। अभी इसे ठीक नहीं किया गया कि बिल न मिलने की शिकायतें शुरू हो गईं।

सरकारी कर्मचारी अब भी निकाल रहे बिल

सितंबर से सरकारी कर्मचारियों को बिल निकालने की व्यवस्था से मुक्त करना था, लेकिन कंपनी की स्थिति देख अफसरों ने एक महीने तक अपने 18 कर्मचारियों को भी बिल निकालने की जिम्मेदारी सौंपी थी। अक्टूबर में इन कर्मचारियों को बिलिंग व्यवस्था से हटाना था, लेकिन कंपनी की स्थिति देख अफसरों ने फिलहाल उनसे भी बिल बनवाना जारी रखा है।

प्राइवेट एजेंसी का बिल भी गलत

प्राइवेट एजेंसी के कर्मचारियों पर लगातार आरोप लगते हैं कि वह बिना मीटर देखे ही बिजली का बिल निकाल देते हैं। कई मामलों में तो कर्मचारियों ने पिछले महीने से कम बिल निकाल दिया। इस कारण उपभोक्ता का बिल एवरेज में चला जाता है। साथ ही रीडिंग न लिए जाने के कारण मीटर में रीडिंग स्टोर होने लगती है। कभी जांच हुई तो उपभोक्ता को ही गलत साबित किया जाता है।

कार्यवाही को लिखा गया पत्र

बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता (शहर) एके सिंह ने कहा कि बिलिंग कंपनी का कार्य संतोषजनक नहीं है। पिछले महीने भी कंपनी के खिलाफ कार्यवाही को पत्र लिखा गया था। इस महीने अब तक 25 फीसद ही बिल बन सके हैं। कंपनी के खिलाफ कार्यवाही को पत्र लिखा जा रहा है। उपभोक्ताओं को असुविधा न हो इसके लिए उच्चाधिकारियों से बातचीत की जा रही है।


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