CM City Gorakhpur : पटरी से उतरी मीटर रीडिंग व्यवस्था, उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहे बिजली बिल
CM City Gorakhpur में आंकड़ों में भले ही रीडिंग 60 फीसद तक बताई जा रही हो लेकिन हकीकत में 40 फीसद भी रीडिंग नहीं है। शहर के कई इलाके ऐसे हैं जहां मीटर रीडर आज तक पहुंचे।
गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। बंगलुरू की कंपनी भी शहर की मीटर रीडिंग व्यवस्था का पटरी पर नहीं ला सकी। आंकड़ों में भले ही शहर की रीडिंग 60 फीसद तक बताई जा रही हो लेकिन हकीकत में 40 फीसद भी स्पॉट रीडिंग नहीं है। शहर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां मीटर रीडर आज तक पहुंचे ही नहीं। ऐसे में गलत रीडिंग पर ऑनलाइन बिल बन जा रहे हैं।
सितंबर 2018 में बिजली निगम ने बंगलुरू की कंपनी बीसीआइटीएस से करार किया था। इस कंपनी को गोरखपुर मंडल में बिजली का बिल बनाना था। कंपनी ने सौ फीसद बिल बनाने के दावे के साथ बिलिंग का काम शुरू किया, लेकिन शुरुआत में ही बिल इतने कम बने कि निगम के अफसरों को अपने कर्मचारियों से बिल बनवाना पड़ा। एक-दो महीने स्थिति में सुधार दिखा पर बाद में बिल बनाने की गति धीमी पड़ती गई। इससे पहले भी जितनी कंपनियां आयीं वह रीडिंग में फेल साबित हुईं।
केस एक
जनप्रिय विहार के पार्षद ऋषि मोहन वर्मा के पास रोजाना उपभोक्ताओं के फोन आते हैं कि उनके मोहल्ले में मीटर रीडर नहीं जा रहे हैं। पार्षद अफसरों को फोन करते हैं तो इक्का-दुक्का घरों में अगले महीने मीटर रीडर पहुंचते हैं। यह सिर्फ एक वार्ड की बात नहीं है, सभी वार्डों के हालात ऐसे ही हैं।
केस दो
राप्तीनगर खंड क्षेत्र की शैल जायसवाल का कनेक्शन नंबर 4513122000 है। एक साल से मीटर रीडर नहीं आया तो अफसरों से शिकायत की, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। अब शैल जायसवाल के परिवार के लोग खुद मीटर की वीडियो बनाकर बिजली कार्यालय जाते हैं और बिल बनवाते हैं। इसके चक्कर में एक व्यक्ति का पूरा दिन खराब हो जाता है।
जेई की निगरानी पर कोई फायदा नहीं
एक महीने पहले बिजली निगम के अफसरों ने रीडिंग में सुधार के लिए मीटर रीडरों को संबंधित क्षेत्र के जेई को रिपोर्ट करने को कहा। आदेश है कि मीटर रीडर सुबह उपकेंद्र पर पहुंचेंगे और जेई के निर्देश पर क्षेत्र में जाकर बिल बनाएंगे लेकिन ज्यादातर क्षेत्रों में मीटर रीडर उपकेंद्र तक भी नहीं पहुंच रहे हैं।
मानदेय का भी विवाद
बंगलुरू की कंपनी और मीटर रीडरों में मानदेय को लेकर भी विवाद बढ़ रहा है। इस कारण दो दिन से काम ठप है। मीटर रीडरों की मांग है कि जो मानदेय तय है वही दिया जाए। आरोप है कि कंपनी के अफसर काम ज्यादा कराना चाहते हैं लेकिन न तो समय से पूरा मानदेय दे रहे हैं और न ही पीएफ व ईएसआइ में पंजीकरण ही करा रहे हैं।
उपभोक्ता बोले, न कर सकें तो बता दें
पार्षद ऋषि मोहन वर्मा का कहना है कि यदि निगम के अफसर रीडिंग कराने में सक्षम नहीं हैं तो उपभोक्ताओं को बता दें। उपभोक्ता खुद की सहूलियत देखकर बिल बनवाकर जमा कर देंगे। हड़हवा फाटक निवासी अमरनाथ मौर्य ने कहा कि बिलिंग व्यवस्था मजाक बनकर रह गई है। मीटर रीडर आते भी नहीं हैं और न जाने कैसे बिल बनाकर ऑनलाइन कर देते हैं। डॉ.नीति मिश्रा का कहना है कि उनके घर की रीडिंग पांच सौ यूनिट से ज्यादा थी लेकिन मीटर रीडर ने घर बैठे मात्र 59 यूनिट का बिल बना दिया। अगले महीने मीटर रीडर आया तो एक हजार से ज्यादा यूनिट का बिल एकमुश्त आ गया। कहा कि रीडिंग बताकर बिल बनवाने जाओ तो कर्मचारी मीटर की वीडियो बनाकर ले आने को कहते हैं। यह व्यवस्था समझ नहीं आती है।
मीटर रीडरों के कार्य की मॉनीटरिंग अवर अभियंता कर रहे हैं। कंपनी के जिम्मेदारों को अल्टीमेटम दिया जा चुका है। यदि बिलिंग में सुधार नहीं करेंगे तो कार्रवाई की संस्तुति कर दी जाएगी। - देवेंद्र सिंह, चीफ इंजीनियर
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