Move to Jagran APP

AIIMS GORAKHPUR: निर्माण पर ग्रहण, बोरिया-बिस्तर लेकर घर चले गए एक हजार मजदूर Gorakhpur News

गोरखपुर एम्स में गार्डों व मजदूरों के बीच विवाद के बाद एम्स परिसर में निर्माण कार्य शुरू तो गया लेकिन लगभग आधा मजदूर काम पर नहीं लौटे। वे अपना सभी सामान लेकर एम्स परिसर से चले गए।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 22 Jul 2019 11:50 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jul 2019 10:32 AM (IST)
AIIMS GORAKHPUR: निर्माण पर ग्रहण, बोरिया-बिस्तर लेकर घर चले गए एक हजार मजदूर Gorakhpur News
AIIMS GORAKHPUR: निर्माण पर ग्रहण, बोरिया-बिस्तर लेकर घर चले गए एक हजार मजदूर Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। बीते शनिवार को हुए गार्डों व मजदूरों के बीच विवाद के बाद रविवार को एम्स परिसर में निर्माण कार्य शुरू तो गया लेकिन लगभग आधा मजदूर काम पर नहीं लौटे। वे अपना सभी सामान लेकर एम्स परिसर से चले गए। हालांकि कार्यदायी संस्था एलएंडटी का कहना है कि रविवार होने से मजदूरों की संख्या कम रही लेकिन सोमवार को भी यही हाल रहा है और आधे से भी कम मजदूर काम पर वापस लौटे।

loksabha election banner

काम में लगे थे 22 सौ मजूदर

काम कर रहे मजदूरों के अनुसार ज्यादातर मजदूर शनिवार की शाम को अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर चले गए। कुछ रविवार को गए। लगभग 2200 मजदूर निर्माण कार्य में लगे हैं जिसमें से लगभग एक हजार मजदूर परिसर छोड़कर चले गए हैं। इसका मुख्य कारण सुविधाओं का अभाव तथा ऊपर के अधिकारियों का खराब व्यवहार है।

मजदूरों की समस्‍याएं

पानी की एक ही जगह व्यवस्था की गई है जहां कुल तीस टोटियां लगाई गई हैं, उनमें भी कुछ खराब हैं। वहीं मजदूर नहाते हैं और वही पानी पीते हैं। वही पानी टब में भर दिया जाता है जिसे लेकर मजदूर टायलेट में जाते हैं। टायलेटों की संख्या 80 है लेकिन उसमें लगभग 50 टायलेट उपयोग लायक नहीं है। टायलेट में वाटर सप्लाई भी नहीं है। मजदूरों के आवास बारिश में टपकते हैं, तेज बारिश होती है तो नाले का पानी भी आवास में घुस जाता है। इसके अलावा अगर कहीं वे बिना पास के बाहर चले गए तो फिर उन्हें अंदर आने के लिए पापड़ बेलने पड़ते हैं। मजदूरों के अनुसार गार्ड गेट से अंदर नहीं आने देते, कहते हैं कि दूसरे वाले गेट से जाओ, यही हर गेट पर कहा जाता है, इस प्रक्रिया में मजदूर को तीन-चार किलोमीटर घूमकर परिसर में आना पड़ता है। साथ ही समय से वेतन न मिलने का दर्द भी उनके हिस्से है।

मजदूरों ने कहा

डेढ़ माह से वेतन नहीं मिला है। जबकि खर्च रोज का है। टायलेट की कभी सफाई होती ही नहीं। गंदगी फैली हुई है। आज तक म'छरों की दवा नहीं छिड़की गई। - अर्जुन प्रजापति, कुशीनगर

अधिकारी दुव्र्यवहार करते हैं। शनिवार की घटना इसी वजह से हुई। आवास चू रहा है। बारिश में नाले का पानी भी आवास में घुस जाता है। - सादिक खान, बलरामपुर

काम के समय सेफ्टी देखनी चाहिए। उस समय हम हेलमेट लगाते हैं। लेकिन मजदूर रोड पर चल रहा है तो भी वे कहेंगे हेलमेट, जाली, जूता क्यों नहीं पहना है। - जनार्दन, देवरिया

टायलेट में गंदगी भरी है। अनेक टायलेट के फाटक टूट गए हैं, अनेक फाटक को अंदर से बंद करने वाली सिटकनी खराब हो गई है। दिक्कतें ज्यादा हैं। - रंजीत कुमार, सिकरीगंज

निर्माण एजेंसी का दावा

निर्माण एजेंसी एलएंडटी के एडमिन हेड संतोष कुमार मिश्रा ने कहा कि रविवार को मजदूरों की संख्या वैसे भी कम हो जाती है। कोई मजदूर काम छोड़कर नहीं गया है। सेफ्टी के लिहाज से श्रमिकों को हेलमेट, जूता व जाली पहनना तथा साथ में गेट पास रखना जरूरी है। उन्हें इसका पालन करना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.