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200 खर्च कर कमाते हैं 100 रुपये

पूवोत्तर रेलवे का हाल अजब है, सुविधाओ ंके नाम पर खर्च करते हैं दो सौ रुपये लेकिन कमाते हैं केवल 100 रुपये। रेलवे घाटे में है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 10:00 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 10:00 AM (IST)
200 खर्च कर कमाते हैं 100 रुपये
200 खर्च कर कमाते हैं 100 रुपये

गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे लगातार घाटे में चल रहा है। इस रेलवे को 100 कमाने के लिए लगभग 200 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। ऐसा नहीं है कि आय घट गई है। सकल आय में प्रत्येक वर्ष इजाफा हो रहा है। इसके बावजूद यात्री सुविधाओं और अतिरिक्त खर्चो की वजह से साल दर साल घाटे का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है।

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वित्तीय वर्ष 2017-18 में पूर्वोत्तर रेलवे का आपरेटिंग रेसियो 201.78 था। यानी, 100 कमाने के लिए 201.78 रुपये खर्च करने पड़े। जबकि, सकल आय में पिछले वर्ष की तुलना में 4.8 फीसद की बढोत्तरी हुई। वित्तीय वर्ष 2016-17 में आपरेटिंग रेसियो 203.65 था। सकल आय में भी 1.9 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई।

आंकड़ों पर नजर डालें तो वित्तीय वर्ष 2010 के बाद लगातार आपरेटिंग रेसियो में वृद्धि हुई है। वर्ष 2013-14 में तो यह आंकड़ा 207.49 फीसद तक पहुंच गया। हालांकि रेलवे प्रशासन की सजगता के बाद वर्ष 2014-15 में सबसे कम 193.47 फीसद पर पहुंचा। लेकिन फिर धीरे-धीरे बढ़कर यह रेसियो 200 का आंकड़ा पार कर गया। यह तब है जब लगातार पूर्वोत्तर रेलवे की सकल आय बढ़ती रही। दरअसल, पूर्वोत्तर रेलवे में इतने खर्चे हैं कि सिर्फ आय से उसकी पूर्ति नहीं हो सकती। इसके लिए इस रेलवे को दूसरे क्षेत्रीय रेलवे, बोर्ड और मंत्रालय पर ही आश्रित रहना पड़ता है।

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आय के स्रोतों का अभाव,

यात्री हैं कमाई के साधन

रेलवे तब घाटे में होता है जब उसके आय के स्त्रोत सिर्फ यात्री होते हैं। पूर्वोत्तर रेलवे के आय के स्त्रोत भी सिर्फ यात्री ही हैं। यह रेलवे ऐसे क्षेत्र में स्थित है जहा न कोई कल-कारखाना है और न ही उत्पादन का कोई अन्य बड़ा जरिया। ऐसे में इस रेलवे को पर्याप्त लोडिंग नहीं मिल पाती। यह सिर्फ पासिंग रेलवे बनकर रह गया है। इस रूट पर होकर मालगाड़ियों के चलने से ही कुछ कमाई हो जाती है।

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कुछ स्टेशनों पर सिर्फ नाम

की होती है लोडिंग

पूर्वाचल की चीनी मिलों के बंद होने का असर पूर्वोत्तर रेलवे की कमाई पर भी पड़ा है। चार वर्ष पूर्व हल्दीरोड में नैनोकार की लोडिंग शुरू हुई थी, लेकिन वह भी ठप पड़ गई। फिलहाल, काशीपुर बहेड़ी, फर्रुखाबाद, लालकुआं, रुद्रपुर सिटी, चौरीचौरा, मऊ, बलिया, सुभागपुर, गोंडा कचहरी, विसवा, बुढवल, महमूदाबाद, नकहा, तहसील फतेहपुर, बलरामपुर और चौरीचौरा में नाम मात्र के सामानों की लोडिंग होती है।

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चीनी मिलों व खाद कारखाना

से बढ़ी हैं कुछ उम्मीदें

पूर्वाचल की चीनी मिलें और गोरखपुर के खाद कारखाना ने पूर्वोत्तर रेलवे की कुछ उम्मीदें बढ़ाई हैं। बंद पड़ी चीनी मिलें चलने लगी हैं। खाद कारखाने का फिर से निर्माण शुरू हो चुका है। चीनी और खाद की लोडिंग से रेलवे की कमाई बढ़ सकती है। यही नहीं पड़ोसी मुल्क नेपाल में बिछने वाली रेल लाइन ने भी कमाई की उम्मीदें बढ़ाई हैं। नेपाल में रेल लाइन बिछ जाने से पूर्वोत्तर रेलवे रूट से होकर मालगाड़ियों का संचलन बढ़ जाएगा।

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- पूर्वोत्तर रेलवे यात्री प्रधान रेलवे है। पिछले वर्ष की तुलना में आपरेटिंग रेसियो बढ़ा है। सकल आय में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। आने वाले दिनों में और सुधार होगा। स्थिति बेहतर होगी।

- संजय यादव, सीपीआरओ-एनईआर


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