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गोरखपुर की सड़कों पर धड़ल्ले से फर्राटा भर रहे 3800 ई-रिक्शा, महज 43 चालकों के पास है ड्राइविंग लाइसेंस

गोरखपुर शहर में बिना ड्राइविंग लाइसेंट सड़कों पर ई-रिक्शा चलाए जा रहे हैं। ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य है फिर भी चालक जान जोखिम में डाल रहे हैं। खुद के साथ सवारियों की जान के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Thu, 01 Dec 2022 03:48 PM (IST)Updated: Thu, 01 Dec 2022 03:48 PM (IST)
गोरखपुर की सड़कों पर धड़ल्ले से फर्राटा भर रहे 3800 ई-रिक्शा, महज 43 चालकों के पास है ड्राइविंग लाइसेंस
बिना ड्राइविंग लाइसेंस के भर्राटा भर रहे ई-रिक्शा। (फाइल)

गोरखपुर, प्रेम नारायण द्विवेदी। आपको आश्चर्य होगा। गोरखपुर महानगर में लगभग 3800 ई-रिक्शा संचालित हैं, लेकिन इनमें सिर्फ 43 चालकों के पास ही ड्राइविंग लाइसेंस है। जबकि, ई-रिक्शा के लिए भी ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य है। लेकिन न चालक सुधि ले रहे और न कंपनियों को कोई चिंता। परिवहन विभाग और यातायात पुलिस भी इनको लेकर उदासीन बने हुए हैं।

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जान जोखिम में डाल रही चालकों की लापरवाही

ई-रिक्शा खरीदा और चलाने लगे। अधिकतर बच्चे या बुजुर्ग होते हैं। न कोई पूछने वाला और न जांचने वाला। एक तो ड्राइविंग लाइसेंस नहीं होता, ऊपर से मनमानी करते हैं। चार की जगह छह लोगों को बैठाते हैं। आमजन की सुविधा और प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए शहर की सड़कों पर उतारे गए ई-रिक्शा जाम और दुर्घटना के कारण बनते जा रहे हैं। यातायात व्यवस्था भी ध्वस्त हो रही है। अपनी सुविधा के अनुसार जहां इच्छा होती है वहीं ई-रिक्शा रोक देते हैं। जिस रूट पर मन करता है चल देते हैं। इनके लिए न कोई पार्किंग है और न रूट। मुख्य चौराहे वाले सड़कों पर इनका कब्जा रहता है। परिवहन विभाग ने पिछले साल ही ई-रिक्शा के लिए महानगर में 19 रूट निर्धारित कर दिया। लेकिन चालक न रूट पर चलते हैं और न मानने को तैयार हैं। वे रूट का विरोध कर रहे हैं।

ऐसे बनता है चालकों का ड्राइविंग लाइसेंस

ई-रिक्शा की बिक्री करने वाली कंपनी ही पंजीयन और चालकों को प्रशिक्षित करती है। दस दिन के प्रशिक्षण के बाद कंपनी प्रमाण पत्र जारी करती है। प्रमाण पत्र के आधार पर चालक ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आनलाइन आवेदन करते हैं। आवेदन के आधार पर परिवहन विभाग ई-रिक्शा के लिए लाइसेंस जारी करता है।

तीन साल होती है ई-रिक्शा की उम्र, परमिट में छूट

ई-रिक्शा को कनेक्टिविटी (जुड़ाव) देने के लिए ई-रिक्शा पर जोर दिया जाता है, लेकिन यह मुख्य यात्रियों को ढोने लगे हैं। परमिट में छूट का दुरुपयोग करते हैं। ई-रिक्शा की उम्र तीन साल की होती है। दो साल पर फिटनेस जांच जरूरी है, लेकिन फिटनेस जांच नहीं कराते। तीन की जगह छह साल चलाते हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

गोरखपुर के सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी संजय कुमार झा ने कहा कि ई-रिक्शा चालकों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस जरूरी है। इनके लिए रूट भी निर्धारित हैं। गुरुवार को संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक है। बैठक में ई-रिक्शा संचालन की समीक्षा के बाद निर्णय लिए जाएंगे। निर्णय के आधार पर इनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।


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