ऑक्सीजन की कमी से ऐतिहासिक सूर्यकुंड पोखरे की मछलियां मरीं
आक्सीजन की कमी के कारण सूरजकुंड पोखरे की मछलियां मर गईं। सूचना पर पहुंची नगर निगम की टीम ने पोखरे को साफ करने का अभियान शुरू कर दिया है।
By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 10:10 AM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 06:23 PM (IST)
गोरखपुर, (जेएनएन)। सूर्यकुंड के ऐतिहासिक पोखरे में दीवाली से ठीक पहले मछलियों के मरने की सिलसिला शुरू हो गया है। सोमवार की सुबह आसपास के लोगों में देखा कि बहुत सी मछलिया पोखरे के किनारे मरी पड़ी हुई हैं।
मौके पर पहुंचे अधिकारी
मछलियों के मरने की सूचना पाकर नगर आयुक्त और मत्स्य विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुुंच गए। लोगों का कहना है कि प्रदूषण के कारण पानी में आक्सीजन की कमी से यह नौबत आई है। पहले भी यहां इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। नगर निगम ने पोखरे के आसपास सफाई करा दी है।
पांच साल से मर रही हैं मछलियां
सूरजकुंड पोखरे में कछुओं और मछलियों के मरने का सिलसिला पिछले पांच साल से लगातार चल रहा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अभी तक केवल मछलियां ही इस पोखरे से मरती थीं, लेकिन अब तो कछुओं की भी मौत होने लगी है। इसका मतलब यह होता है कि पोखरे के पानी में आक्सीजन नहीं है, इसके नीचे की मिट्टी भी पूरी तरह से दूषित हो गई है और उसमें आक्सीजन समाप्त हो गया है। सितंबर 2013 में इसी तरह अचानक मछलियों के मरने का सिलसिला हुआ था। एक दो दिन तो लोगों को यह सामान्य घटना लगी, लेकिन जब तीसरे दिन बड़ी संख्या में मछलियां मरीं तो लोगों ने हंगामा किया। इसी तरह 2014 और 2015 के दीवाली के दूसरे दिन बड़ी संख्या में मछलियां मरीं थीं।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग ने की थी जांच
गोरखपुर विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग ने मछलियों को लाकर अपने प्रयोगशाला में जांच की। पता चला कि पोखरे के पानी में ऑक्सीजन कम होने के कारण मछलियां मरी हैं। उसके बाद मत्स्य विभाग ने पूरे तालाब में चूना डालकर सफाई की। नगर आयुक्त प्रेम प्रकाश सिंह ने कहा हैं की पोखरे की सफाई कराई जायेगी ताकि आगे से ऐसी नौबत न आये।
मौके पर पहुंचे अधिकारी
मछलियों के मरने की सूचना पाकर नगर आयुक्त और मत्स्य विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुुंच गए। लोगों का कहना है कि प्रदूषण के कारण पानी में आक्सीजन की कमी से यह नौबत आई है। पहले भी यहां इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। नगर निगम ने पोखरे के आसपास सफाई करा दी है।
पांच साल से मर रही हैं मछलियां
सूरजकुंड पोखरे में कछुओं और मछलियों के मरने का सिलसिला पिछले पांच साल से लगातार चल रहा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अभी तक केवल मछलियां ही इस पोखरे से मरती थीं, लेकिन अब तो कछुओं की भी मौत होने लगी है। इसका मतलब यह होता है कि पोखरे के पानी में आक्सीजन नहीं है, इसके नीचे की मिट्टी भी पूरी तरह से दूषित हो गई है और उसमें आक्सीजन समाप्त हो गया है। सितंबर 2013 में इसी तरह अचानक मछलियों के मरने का सिलसिला हुआ था। एक दो दिन तो लोगों को यह सामान्य घटना लगी, लेकिन जब तीसरे दिन बड़ी संख्या में मछलियां मरीं तो लोगों ने हंगामा किया। इसी तरह 2014 और 2015 के दीवाली के दूसरे दिन बड़ी संख्या में मछलियां मरीं थीं।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग ने की थी जांच
गोरखपुर विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग ने मछलियों को लाकर अपने प्रयोगशाला में जांच की। पता चला कि पोखरे के पानी में ऑक्सीजन कम होने के कारण मछलियां मरी हैं। उसके बाद मत्स्य विभाग ने पूरे तालाब में चूना डालकर सफाई की। नगर आयुक्त प्रेम प्रकाश सिंह ने कहा हैं की पोखरे की सफाई कराई जायेगी ताकि आगे से ऐसी नौबत न आये।
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