एक रोज का शाही मेहमान होता है नेपाल का श्वान, काग पूजा से होती है पर्व की शुरुआत Gorakhpur News
नेपाल में पांच दिवसीय दिवाली के मौके पर गाय के अलावा कौए और कुत्ते की भी पूजा होती है। इसे देखने के लिए भारत से भी बड़ी संख्या में लोग नेपाल जाते हैं।
गोरखपुर, जीतेन्द्र पाण्डेय। पड़ोसी देश नेपाल में पांच दिवसीय दिवाली पर्व 'तिहार के नाम से मनाया जाता है। इस दौरान नेपाली कौआ, कुत्ता व गाय की पूजा करते हैं। इस अनोखी पूजा को देखने के लिए भारत से भी बड़ी संख्या में लोग नेपाल जाते हैं। धनतेरस के साथ शुरू होने वाले इस पांच दिवसीय पर्व का समापन दिवाली के तीसरे दिन होता है। पहले दिन काग पूजा दूसरे दिन कुकुर पूजा
प्रथम दिन काग (कौआ) पूजा से इस पर्व की शुरुआत होती है। इस दिन कौओं को स्वादिष्ट पकवान खाने को दिया जाता है। दूसरे दिन 'कुकुर पूजा होती है। इस दिन तिलक लगाकर कुत्ते पूजे जाते हैं और प्रेमभाव से उनको लजीज भोजन कराया जाता है। तीसरे दिन अर्थात दिवाली के दिन गो पूजा की जाती है। इसे लक्ष्मी पूजा ही मानी जाती है। चौथे दिन गोवर्धन पूजा तथा पांचवें दिन भाई पूजा (टीका) पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
नेपाल के इस पर्व को लेकर भारतीयों का उत्साह देखते ही बनता है। भारत के सीमाई क्षेत्र बढऩी, खुनुवा, कोटिया, अलीगढ़वा, हरिबंशपुर, ठोठरी, सोनौली आदि कस्बे के लोगों की बड़े पैमाने पर रिश्तेदारी नेपाल में है। ऐसे में पर्व को लेकर भारतीय भी उत्सुक रहते हैं। हिंदी माह के तहत तिहार (त्योहार) हर वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से प्रारंभ हो कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक मनाया जाता है।
कौआ यमराज का संदेश वाहक
कौआ यमराज का अत्यंत प्रिय भक्त माना जाता है। इसे यमराज का संदेश वाहक अर्थात यमदूत के तौर पर भी देखा जाता है। यमपंचक के दूसरे दिन अर्थात कृष्ण चतुर्दशी को कुकुर तिहार के रूप मनाया जाता है। इस दिन कुत्तों की पूजा होती है। इस दिन नरक चतुर्दशी भी होती है। कुत्ते को भी यमदूत माना जाता है। इसलिए मनपसंद खाना खिलाकर उनकी विधिवत पूजा की जाती है।
अमावस्या के दिन होती है 'गाई पूजा
तीसरे दिन अर्थात कार्तिक कृष्ण अमावस्या को 'गाई पूजा मनाई जाती है। सनातन धर्म में गाय को लक्ष्मी, का रूप माना गया है। गाई (गाय) को पांच तरह के रंग लगाये जाते हैं। इसी दिन लक्ष्मी पूजा (दीपावली) होती है। इसमें माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।
चौथे दिन होती है बैल पूजा
तिहार के चौथे दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को गोवर्धन व बैल पूजा की जाती है। अंतिम दिन भाई टीका पर्व मनाया जाता है। जिसमें बहनें, भाइयों के दीर्घायु की कामना यमराज से करती हैं। भाइयों के माथे पर पांच रंग का तिलक लगाती हैं।