मीडिया पर उंगली उठाने से पहले स्वयं का करें मूल्यांकन
ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन के पूर्व महासचिव एनके सिंह ने कहा कि मीडिया पर सवाल उठाने वाले लोगों को पहले अपने अंदर झांककर देखना चाहिए।
गोरखपुर, (जेएनएन)। भारत में न तो मीडिया बिकती है और न तो कोई खरीदने की क्षमता रखता है। मीडिया पर उंगली उठाने वाले समाज को अपना आकलन भी करना चाहिए। ऐसा समाज जो मूल्य आधारित जीवन की संस्थाओं का गला घोंट रहा हो, भ्रष्टाचार को महिमा-मंडित कर रहा हो, उस समाज में मीडिया की अपनी सीमाएं हैं। भ्रष्टाचार देश और समाज की मूल समस्या है। भ्रष्टाचार मुक्त नैतिक समाज की मीडिया स्वत: नैतिक और जवाबदेह हो जाएगी।
उक्त बातें ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन के पूर्व महासचिव एनके सिंह ने कहीं। वे महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज, जंगल धूसड़ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा 'मीडिया और समाज' विषय पर आयोजित संवाद कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत की मीडिया समाज एवं सरकार से अलग नहीं है। भारत की मीडिया उस लोकतंत्रात्मक व्यवस्था में काम करती है, जहां बहुमत की सरकार है। आज देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती मीडिया नहीं, स्वस्थ्य समाज की स्थापना है। मां के गोद की वह पाठशाला जीवित करनी होगी, जहां जीवन मूल्य सिखाए जाते हैं।
अपनी जवाबदेही स्वयं तय करे मीडिया : मृत्युंजय कुमार
संवाद कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार मृत्युंजय कुमार ने कहा कि समाज मीडिया को प्रभावित करता है और मीडिया से समाज प्रभावित होता है। मीडिया की जवाबदेही स्वयं मीडिया को तय करनी होगी। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रतिष्ठित साहित्यकार प्रो. रामदेव शुक्ल ने कहा कि हमारा समाज टेलीविजन का गुलाम हो चुका है। मीडिया में अधिकांश समस्याएं इलेक्ट्रानिक चैनलों के कारण आयी। प्रिंट मीडिया आज भी जवाबदेह है।
साहित्य और मीडिया दोनों देश-समाज की अभिव्यक्ति का माध्यम है : डॉ. प्रदीप राव
संवाद की परिकल्पना प्रस्तुत करते हुए मेजबान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार राव ने कहा कि साहित्य और मीडिया दोनों देश-समाज की अभिव्यक्ति का माध्यम है। देश-समाज की दिशा तय करता है। मीडिया को अपनी ताकत का देश-समाज के हित में शत-प्रतिशत उपयोग करना होगा। उसे जनता का पक्षकार बनना होगा। संवाद में प्रो. रविशंकर सिंह, प्रो. विनोद सिंह, रणविजय सिंह, डॉ. वेदप्रकाश पांडेय, डॉ. महेंद्र प्रताप सिंह, डॉ. मिथिलेश सिंह, डॉ. बीएन सिंह, निकेत नारायण, सेवक पांडेय, विवेकानंद आदि ने मीडिया और समाज के विषय पर कई प्रश्न खड़ा किए।