गोरखपुर के जिला पंचायत ने सांसद और विधायकों के खिलाफ खोला मोर्चा, प्रस्ताव को असंवैधानिक बताया Gorakhpur News
अध्यक्ष एवं सदस्यों का कहना है कि उनके यहां बजट सीमित है। ऐसे में केवल सदस्यों के प्रस्ताव को ही स्वीकार किए जाएंं। सांसद और विधायकों के प्रस्ताव की जरूरत नहीं है।
गोरखपुर, जेएनएन। जिला पंचायत के बजट में सांसद व विधायकों की बढ़ती दखल को लेकर विरोध मुखर होता जा रहा है। सदस्यों का कहना है कि अपर मुख्य अधिकारी सांसद व विधायक को भी सदस्यों के बराबर बजट देना चाहते हैं। यह उचित नहीं है। सदस्यों के पक्ष में जिला पंचायत अध्यक्ष गीतांजलि यादव भी खड़ी हो गई हैं।
अपर मुख्य अधिकारी के खिलाफ खोला मोर्चा
अध्यक्ष ने भी अपर मुख्य अधिकारी पर मनमानी का आरोप लगाया है। लगातार बैठकें स्थगित होने को लेकर अध्यक्ष ने आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे असहज स्थिति करार दिया है।
दरअसल, जिला पंचायत में पिछले एक साल से बजट को लेकर खींचतान बढ़ गई है। अध्यक्ष एवं सदस्यों का कहना है कि उनके यहां बजट सीमित है। ऐसे में केवल सदस्यों के प्रस्ताव को ही स्वीकार किया जाए जबकि अपर मुख्य अधिकारी सांसद, विधायक समेत अन्य जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव को भी शामिल कर रहे हैं।
साल में छह बैठकें अनिवार्य
जिला पंचायत की बैठक हर दो माह पर होनी अनिवार्य है, लेकिन 29 जून, 2019 के बाद बीते 13 जनवरी को बैठक हुई है। अध्यक्ष का कहना है कि जून में बैठक के बाद दोबारा बैठक कराने के लिए विभाग को पत्र लिखा। पत्रावली समय से प्रस्तुत नहीं की गई, इसलिए बैठक में विलंब हुआ है। इसके लिए अपर मुख्य अधिकारी ही पूर्णत: जिम्मेदार हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा-हम सदस्यों के साथ
जिला पंचायत अध्यक्ष गीतांजलि यादव का कहना है कि सांसद व विधायक के प्रस्ताव का सदस्य विरोध कर रहे हैं। हम बोर्ड और सदस्यों के साथ हैं। सदस्यों का सम्मान जरूरी है। सदस्य जो भी निर्णय लेंगे, उनका समर्थन रहेगा। अपर मुख्य अधिकारी की मनमानी के कारण सदस्यों की स्थिति असहज हो गई है। विकास कार्य पूरी तरह ठप हैं। सभी अपने दायित्व व कत्र्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करें तभी विकास कार्यों को गति मिलेगी।
स्वीकार होंगे सांसद और विधायकों के प्रस्ताव
अपर मुख्य अधिकारी एके सिंह का कहना है कि जिला पंचायत सदस्य बताएं कि पैसा बांटने की व्यवस्था किस नियम में है? ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि जो ग्रांट आए, वह सदस्यों में बराबर-बराबर बांट दी जाए। सदस्यों को जो विकास कार्य कराने हैं उनके प्रस्ताव दें, परीक्षण कराकर उचित कार्रवाई की जाएगी। सांसद व विधायक भी जनप्रतिनिधि हैं, उनके प्रस्ताव अगर विकास कार्य के लिए आते हैं तो उसे स्वीकार किया जाएगा।
इस कारण हुआ हंगामा
जिला पंचायत संघ के अध्यक्ष एसपी सिंह का कहना है कि सदस्यों के बराबर सांसदों व विधायकों का प्रस्ताव लेने के लिए अपर मुख्य अधिकारी सदस्यों के प्रस्ताव में से 10-10 लाख की कटौती करना चाहते हैं। इसी कारण पिछली बैठक में 2.30 घंटे तक हंगामा हुआ था। अंतत: बैठक स्थगित करनी पड़ी। राज्य वित्त के बजट की जवाबदेही सदस्यों की है। विधायक व सांसद की अपनी निधि है, इसलिए उन्हें जिला पंचायत के बजट में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
साल भर से ठप है विकास कार्य
जिला पंचायत संघ के महामंत्री पंकज शाही का कहना है कि जिले का उच्च सदन है। सालभर से विकास कार्य ठप है। क्षेत्र में जनता सवाल पूछ रही है। अपर मुख्य अधिकारी तानाशाही रवैया अपना रहे हैं। वह लगातार सदस्यों का अपमान कर रहे हैं, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस वित्तीय वर्ष में मात्र दो माह शेष हैं और अपर मुख्य अधिकारी सांसद व विधायकों को लाभ पहुंचाने के लिए पूरी प्रक्रिया को ठप किए बैठे हैं। यह स्थिति ठीक नहीं है।
कैसे हो सकती है अनदेखी
विधायक शीतल पांडेय का कहना है कि विधायक पूरे विधानसभा का होता है। उसी में सभी आते हैं। सदस्यों के प्रस्ताव में कटौती की मंशा किसी की नहीं है, लेकिन सांसद व विधायक को दूर करके सदस्य कैसे विकास कार्य को अंजाम दे सकेंगे? इस तरह तो ग्राम प्रधान व ब्लाक प्रमुख भी अपने प्रस्ताव को लेकर अड़ जाएंगे। सबका मकसद क्षेत्र में तेजी से विकास कार्य कर जनता को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है।
हमने तो कोई प्रस्ताव नहीं दिया
सांसद रवि किशन का कहना है कि सबकी अपनी निधि है। सबको अपनी निधि के अनुरूप ही कार्य का प्रस्ताव देना चाहिए, जहां तक जिला पंचायत में प्रस्ताव देने की बात है तो मैंने अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं दिया है। सबका उद्देश्य विकास होना चाहिए। इसको लेकर कोई राजनीति नहीं की जानी चाहिए।