Move to Jagran APP

खतरे में घडिय़ालों का आशियाना, यहां भी खनन माफिया की करतूतें उजागर Gorakhpur News

नदी तट पर हो रहे अवैध बालू खनन व वन तस्करों की दखल के चलते घडिय़ालों के अंडे व छोटे बच्चे नष्ट हो जा रहे हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 08:54 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 10:00 AM (IST)
खतरे में घडिय़ालों का आशियाना, यहां भी खनन माफिया की करतूतें उजागर Gorakhpur News
खतरे में घडिय़ालों का आशियाना, यहां भी खनन माफिया की करतूतें उजागर Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। महराजगंज जिले के गंडक नदी में छोड़े गए घडिय़ालों की वंश बेल इन दिनों खतरे में है। नदी तट पर हो रहे अवैध बालू खनन व वन तस्करों की दखल के चलते घडिय़ालों के अंडे व छोटे बच्चे नष्ट हो जा रहे हैं। जिले के निचलौल क्षेत्र के सीमा में बहने वाली नारायणी (बड़ी गंडक) नदी के विभिन्न घाटों पर अधिकारिक रूप से भले ही खनन हेतु पट्टा आवंटित न हुआ हो , लेकिन अवैध ठेकेदारों के  बालू घाट चालू है के बोर्ड भी लगे हुए हैं । बालू खनन से घडिय़ालों के अंडों के नष्ट होने से इनकार नहीं  किया जा सकता है। इसके बावजूद भी जिला प्रशासन व वन विभाग इसके प्रति लापरवाह बना हुआ है।

loksabha election banner

कब छोड़े गए थे घडिय़ाल

नारायणी नदी के पानी की स्वच्छता व सेंचुरी का आच्छादित नारायणी नदी में अक्टूबर 2018 माह के शुरुआत में कुल 15  (12 मादा व तीन नर) व मार्च 2019 में 40 (32 मादा व आठ नर)  घडिय़ालों का पुनर्वास कराया गया था। आशा थी कि घडिय़ाल यहां अपना कुनबा बढ़ाने में सहायक होंगे। अब इनका कुनबा करीब दो सौ के पार हो चुका है जो नारायणी नदी के लिए शुभ संकेत हैं।

अवैध खनन बंद होंगे

सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग महराजगंज के डीएफओ पुष्प कमार का कहना है कि घडिय़ालों व उनके अंडों की विशेष सुरक्षा सुनिश्चित कराने के लिए वनकर्मियों को निर्देशित किया है। अवैध खनन को बंद कराया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.