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पूर्वांचल में गहराया बाढ़ का खतरा, राप्ती व सरयू में उफान- शुरू हुआ तटबंधों में कटान Gorakhpur News

नदियों के उफान पर आने से गोरखपुर में बाढ़ का खतरा गहरा गया है। राप्ती खतरे के निशान से मात्र 63 सेंटीमीटर नीचे रह गई है। नदियों का जलस्तर बढ़ते ही प्रशासन की ओर से सतर्कता बढ़ा दी गई है। तटबंधों पर पेट्रोलिंग भी तेज हो गई है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 08:50 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 10:31 AM (IST)
पूर्वांचल में गहराया बाढ़ का खतरा, राप्ती व सरयू में उफान- शुरू हुआ तटबंधों में कटान Gorakhpur News
गोरखपुर में नदियों के उफान पर आने से बाढ़ का संकट गहरा गया है। - प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जेएनएन। खतरे के निशान से ऊपर बह रही रोहिन नदी में रविवार जलस्तर कुछ नीचे आया है। शाम चार बजे जारी रिपोर्ट के मुताबिक नदी के जलस्तर में कमी बरकरार है। सुबह आठ बजे से शाम चार बजे के बीच नदी के जलस्तर में 17 सेंटीमीटर की कमी आई है। यह नदी अभी भी खतरे के निशान से 86 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। राप्ती एवं सरयू नदियों के जलस्तर में वृद्धि जारी है और इसके कारण कई स्थानों पर कटान भी हो रहा है।

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तटवर्ती गांवों के लोगों में नदी के बढ़ते जलस्तर को देखकर भय व्याप्त है। राप्ती खतरे के निशान से 63 सेंटीमीटर नीचे रह गई है। सहजनवां क्षेत्र में एक स्थान पर रिसाव के कारण कई किसानों का सब्जी की फसल डूब गई। इधर प्रशासन की ओर से सतर्कता बढ़ा दी गई है। तटबंधों पर पेट्रोलिंग भी तेज हो गई है। सभी 86 बाढ़ चौकियों को सक्रिय किया जा चुका है और भूसा, खाद्यान्न आदि की व्यवस्था के लिए टेंडर भी निकाला जा चुका है।

हर साल की तुलना में इस बार समय से पहले ही गोरखपुर में नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है। शनिवार तक खतरे के निशान से ऊपर बह रही रोहिन नदी ने सिंचाई विभाग से लेकर प्रशासन तक की चिंता बढ़ा दी थी लेकिन रविवार को जलस्तर में आई गिरावट ने थोड़ी राहत दी है। तटवर्ती गांवों के लोग लगातार तटबंधों पर नजर बनाए हुए हैं और समय-समय पर इसकी सूचना जिला प्रशासन को भी फोन पर दे रहे हैं।

चोरमा रेगुलेटर में रिसाव, बाढ़ में डूबी सब्जी की खेती

राप्ती नदी में पानी बढ़ने से चोरमा रेगुलेटर में रिसाव तेज हो गया है, जिससे नदी का पानी खेतों में जाने लगा है। आमी नदी भी तेजी से बढ़ रही है, जिससे सहजनवां व पिपरौली ब्लाक में सब्जी की खेती बाढ़ के पानी में डूब गया है। प्रशासन की ओर से अभी तक किसी गांव में कोई नाव की व्यवस्था नहीं की गई है। रेगुलेटर में रिसाव के कारण नदी का पानी बखिरा झील की ओर से बढ़ रहा है, जिससे किसानों की खेती डूबने की आशंका बढ गई है। सुरगहना और टिकरिया गांव के पास कटान जारी है, जिससे बांध पर पानी का दबाव बढ़ रहा है। आमी नदी के कारण सहजनवां ब्लाक के कोडऱी कला, कुआवलकला, खिरीडार, चकचोहरा तथा तेलियाडीह में सब्जी की खेती बाढ़ के पानी में डूब गई है।

बड़हलगंज क्षेत्र में कटान जारी

बड़हलगंज विकास खंड के तटवर्ती गांवों में कटान तेज हो गई है। राप्ती के पानी का रूख तटवर्ती गांव की तरफ होने से रूदौली, ददरी, गहिराघाट में कई बीघे कृषि योग्य भूमि नदी में समाहित हो चुकी है। रविवार को सरयू नदी ने डेरवा के गोपलामार में कटान करना शुरू कर दिया है। पटना एहतमाली में कृषि योग्य भूमि तेजी से नदी में समा रही है। गोपलामार में आबादी के करीब कटान से ग्रामीण भयभीत हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गोपलामार में कटान रोकने के उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं। डेरवा के ग्राम प्रधान हरेंद्र सिंह का कहना है कि पानी बढ़ने के पहले ही विभाग से कटान रोकने के लिए कहा तो विभाग ने बांस व पेड़ की डाल गिरा कर छोड़ दिया है। इस संबंध में सिंचाई विभाग के अवर अभियंता संजय कुमार सिंह का कहना है पानी बढऩे से बचाव कार्य प्रभावित था। इसे जल्द ही पूरा करा दिया जाएगा।

रात में जाग कर कटान पर नजर रख रहे ग्रामीण

क्षेत्र के शिवपुर, बारानगर, तीरागांव, सोढाबीर, कोहना, बिसरा, नरहन, मेहड़ा, तुर्कवलिया, रामामऊ आदि गांव नदी के तट पर बसे हुए हैं। यहां कटान शुरू हो गई है। ग्रामीण इससे बचने के लिए ठोकर बनाने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल ऐसा होता है लेकिन इससे बचने का कोई स्थाई समाधान नहीं किया जाता। ग्रामीण रात भर जागकर कटान पर नजर रख रहे हैं, ताकि समय रहते जान माल की रक्षा की जा सके। बारानगर के रामजीत, तीरागांव के संजय, सोढ़ाबीर के राकेश, बिसरा के कुश चंद आदि लोगों ने बताया कि ठोकर लगवाकर गांवों को बचाने के लिए कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है लेकिन सुनवाई नहीं होती है।


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