भटनी-औंड़िहार रेलमार्ग पर अब चलेगी सीआरएस की इलेक्ट्रिक ट्रेन Gorakhpur News
विद्युतीकरण का कार्य जून में ही पूरा हो गया था। रेलवे के इंजीनियरों ने 18 जून को भटनी-किड़िहरापुर के बीच तथा 19 को औड़िहार-इन्दारा के बीच इलेक्ट्रिक इंजन का ट्रायल किया था।
गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल स्थित भटनी से औंड़िहार 125 किमी रेलमार्ग का विद्युतीकरण पूरा हो गया है। दस अगस्त को रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) विद्युतीकरण का निरीक्षण कर स्पीड ट्रायल करेंगे। उनकी हरी झंडी मिलते ही गोरखपुर-भटनी-वाराणसी रेलमार्ग पर भी इलेक्ट्रिक ट्रेनें दौड़ने लगेंगी।
विद्युतीकरण का कार्य जून में ही पूरा हो गया था। रेलवे के इंजीनियरों ने 18 जून को भटनी-किड़िहरापुर के बीच तथा 19 को औड़िहार-इन्दारा के बीच इलेक्ट्रिक इंजन का ट्रायल किया था। इलेक्ट्रिक इंजन का ट्रायल पूरा हो जाने के बाद रेल संरक्षा आयुक्त के निरीक्षण का इंतजार था। रेल संरक्षा आयुक्त ने भी निरीक्षण की अनुमति प्रदान कर दी है। उनकी संस्तु्ति के बाद भटनी-औंडिहार रेलमार्ग पर इलेक्ट्रिक ट्रेनों के संचलन का रास्ता साफ हो जाएगा।
पूर्वोत्तर रेलवे में पूरा हो चुका है 1967 रूट किमी का विद्युतीकरण
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में पूर्वोत्तर रेलवे में विद्युतीकरण के कार्य में अच्छी-खासी तेजी आई है। वर्ष 2016-17 में 159.20 रूट किमी, 2017-18 में 167.14 रूट किमी तथा 2018-19 में 431.23 रूट किमी रेल खण्ड का विद्युतीकरण कार्य पूरा हुआ। पूर्वोत्तर रेलवे में अभी तक कुल 1967 रूट किमी रेल लाइन का विद्युतीकरण हो चुका है।
गोरखपुर-नौतनवां व बढ़नी-गोंडा रूट पर भी विद्युतीकरण शुरू
पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल में गोरखपुर-आनंदनगर-नौतनवां तथा बढ़नी-गोंडा रेलमार्ग का भी विद्युतीकरण शुरू हो चुका है। गोरखपुर-नौतनवां रूट पर खंभे गड़ने शुरू हो चुक हैं। बढ़नी-गोंडा मार्ग पर सर्वे का चल रहा है। आने वाले दिनों में पूर्वोत्तर रेलवे की सभी रेल लाइनें विद्युतीकृत हो जाएंगी। सभी रूटों पर इलेक्ट्रिक ट्रेनें चलेंगी। बाराबंकी-गोरखपुर-छपरा, गोरखपुर-नरकिटयागंज और छपरा-बलिया-वराणसी रूट पर पहले से ही इलेक्ट्रिक ट्रेनें चल रही हैं।
अब एक क्लिक में सामने होगी रेल पुलों की कुंडली
अब रेल पुलों की कुंडली एक क्लिक में सामने होगी। रेल अधिकारियों के साथ आम लोग भी पुलों के इतिहास के साथ छोटी-बड़ी जानकारियां हासिल कर सकेंगे। मसलन पुल कब बना, कब-कब मरम्मत हुई, नक्शा, फोटो, विशेषताएं व वर्तमान स्थिति आदि। इसके लिए सेंटर फार रेलवे इंफार्मेशन सिस्टम (क्रिस) ने भारतीय रेलवे स्तर पर ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम (बीएमएस) विकसित किया गया है। यह सिस्टम एक वेब आधारित पोर्टल है। इसका फायदा होगा कि रेलवे प्रशासन भी हर पल पुल की आनलाइन निगरानी रख सकेगा। समय रहते पुलों की मरम्मत होती रहेगी। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार पूर्वोत्तर रेलवे में 25 महत्वपूर्ण, 383 वृहद तथा 3537 छोटे पुल हैं। इन समस्त पुलों के आंकड़ों का संकलन मुश्किल होता था। प्रत्येक पुल का अलग रजिस्टर होता था। अलग-अलग रजिस्टर तैयार करना और उन्हें अपडेट करना बेहद कठिन था। अब बीएमएस आ जाने से कार्यप्रणाली में सुधार तो आएगा ही पारदर्शिता भी बढ़ेगी।