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होजरी उद्योग पर मंडरा रहा संकट, डीएम से मिले कारोबारी Gorakhpur News

एक जिला एक उत्पाद में शामिल संतकबीर नगर के होजरी उद्योग पर संकट मंडरा रहा है। कारोबारी अपनी मांगों को लेकर सड़क पर हैं। खरीदारी न होने से लाखों का माल डंप हो गया है। बुधवार को कारोबारियों ने डीएम से मुलाकात की।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 05:00 AM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 09:17 AM (IST)
होजरी उद्योग पर मंडरा रहा संकट, डीएम से मिले कारोबारी Gorakhpur News
कलक्ट्रेट पर अपनी पीड़ा लेकर पहुंचे जनपद के होजरी कारोगारी। जागरण

गोरखपुर, जेएनएन। संतकबीरनगर में एक जिला एक उत्पाद में शामिल संतकबीर नगर के होजरी उद्योग पर संकट मंडरा रहा है। कारोबारी अपनी मांगों को लेकर सड़क पर हैं। युवा नेता वैभव चतुर्वेदी के नेतृत्व में होजरी उद्योग के अस्तित्व की लड़ाई लड़ी जा रही है। खरीदारी न होने से लाखों का माल डंप हो गया है। बुधवार को भी कारोबारी डीएम से मिलकर अपनी पीड़ा सुनाई।

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पांच सौ जगहों पर होता है कारोबार

वैभव ने बताया कि जनपद में करीब पांच सौ जगहों पर होजरी का कारोबार होता है। इस धंधे से करीब दस हजार लोग सीधे जुड़े हैं। कोरोना संकट में बाहर से आए सैकड़ों प्रवासी कामगारों को भी यहां काम मिला है। यहां की बनी स्वेटर की सप्लाई प्राथमिक विद्यालयों में होती है। इस वर्ष भी कारोबारी स्वेटर तैयार किए हैं, लेकिन ठेकेदार यहां का माल न लेकर बाहर से मंगा रहे हैं। इसे लेकर कारोबारी परेशान हैं। जिलाधिकारी के दफ्तर पर लोग धरना दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि डीएम ने कारोबारियों की पीड़ा को महसूस किया है। वह इसके लिए सार्थक कदम उठाने की बात कह रही हैं।

कर्ज लेकर तैयार किया माल

होजरी के कारोबारी संतलाल मौर्य कहते हैं कि कोरोना ने कारोबार को पूरी तरह से तोड़कर रख दिया है। पहले तैयार माल बरदहिया बाजार में बिक जाता था। बाजार भी कई माह तक बंद रही। उम्मीद थी कि ठंड में व्यापार गति पकड़ेगा, इसके लिए कर्ज लेकर माल भी तैयार कर लिया। अब माल बिक नहीं रहा है। प्रशासन भी कोई सहयोग नहीं कर रहा।

प्रवासी कामगारों को मिल रही रोटी

होजरी उद्योग को बचाने की लड़ाई लड़ रहे युवा नेता वैभव चतुर्वेदी कहते हैं कि सरकार लोकल को ब्रांड बनाने में जुटी है। संतकबीर नगर की पहचान मिनी लुधियाना के रूप में है। यहां की तैयार होजरी का टक्कर कोई नहीं दे सकता। हजारों लोग इस धंधे से जुड़े हैं। सैकड़ों प्रवासियों को यहां रोजगार मिला है। लोग कर्ज लेकर उद्योग चला रहे हैं। कारोबारियों की दिक्कत को समझने की जरूरत है। वह मुख्यमंत्री योगी जी से मिलकर इस पीड़ा को उठाएंगे।

सुनवाई नहीं हुई तो करेंगे आत्मदाह

यतीन्द्र दूबे कहते हैं कि उनके ऊपर लाखों का कर्ज हो गया है। उनकी फैक्ट्री में एक दर्जन से अधिक लोग काम कर रहे हैं। स्कूलों की सप्लाई के लिए उन्होंने स्वेटर तैयार किया, लेकिन जब बिकने का समय आया तो जिम्मेदार दूसरे प्रदेश के बने कपड़े के स्वेटर को बेचने की कोशिश में जुट गए। उन्होंने कहा कि पूरा परिवार इस धंधे में है। कोरोना काल में बाहर से आए आठ लोग भी उनके यहां काम कर रहे हैं। वह अब कहां जाएं। यदि उनकी सुनवाई नहीं हुई तो वह आत्मदाह कर लेंगे।

पहचान मिटाने की कोशिश में हैं कुछ लोग

नाथनगर के रामानुज मौर्य कहते हैं कि सरकार एक जिला एक उत्पाद को बढ़ावा देने में जुटी है। लेकिन जिम्मेदार सरकार की मंशा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। होजरी के सामान की सप्लाई जब जनपद में नहीं होगी तो और कहां होगी। हर वर्ष उनके तैयार माल को स्कूलों में बांटा जाता था। इस बार चाइना के धागों से बने स्वेटर को देने की योजना बन रही है। यदि ऐसा हुआ तो योजना का औचित्य ही खत्म हो जाएगा।

कहां-कहां होता है कारोबार

मुखलिसपुर, नाथनगर, मगहर, खलीलाबाद, कर्री, बखिरा, धनघटा के साथ ही जनपद के कुछ और स्थानों पर होजरी का कारोबार होता है। गुलाम, अद्रेश, दीनानाथ, राजकुमार, सरोज, वकील अहमद, अनिरुद्ध, जाकिर, इन्द्रजीत, आसीफ अली, साजिद, महेंद्र कुमार, शंभूनाथ वर्मा, सदगुरु प्रसाद, शिवदास, मोहम्मद नदीम, शमीउल्लाह, नागेंद्र कुमार, जावेद हसन, मोहम्मद सईद, पवन यादव, मो. नूरू, कुलाम कादिर, गौहर अली, अमजद अली जिले के बड़े होजरी कारोबारी हैं।

परेशान होने की जरूरत नहीं : डीएम

जिलाधिकारी दिव्‍या मित्‍तल ने कहा कि कारोबारियों की मदद की जाएगी। उनके तैयार माल को बाजार मिले इसकी वह अपने तई प्रयास करेंगी। बाहर के साथ ही स्थानीय स्वेटर को भी वह बच्चों में बंटवाएंगी। वैभव चतुर्वेदी के नेतृत्व में पहुंचे कारोबारियों को उन्होंने आश्वस्त किया है। परेशान होने की जरूरत नहीं है।


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