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लोगों की जान बचाने वाले नाविकों के सामने रोटी का संकट

बाढ के लिए जिन नाविकों ने लोगों की जान बचाई उन्ही नाविको के सामने रोटी का संकट है

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Jul 2018 04:39 PM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2018 04:39 PM (IST)
लोगों की जान बचाने वाले नाविकों के सामने रोटी का संकट
लोगों की जान बचाने वाले नाविकों के सामने रोटी का संकट

गोरखपुर : जिले के बड़हलगंज विकास खंड के कछारांचल में बाढ़ से सुरक्षा की तैयारी में तहसील प्रशासन लगा हुआ है। कछार क्षेत्र में 10 बाढ़ चौकियां बनायी गयी हैं। पानी से घिरे रहे गांवों के लिए नाविकों को सजग किया जा रहा है, लेकिन नाविक इस साल में बाढ़ में सेवा देने के लिए तैयार नहीं है। कारण यह है कि पिछले वर्ष आयी भीषण बाढ़ में एक पखवारे तक खून-पसीना बहाकर नाव चलाने के बावजूद अभी तक उनके पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया गया है। इसे लेकर नाविकों में रोष व्याप्त है।

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पिछले वर्ष अगस्त-सितंबर महीने में आयी बाढ़ में कछार के कई गांवों के मैरूंड होने के बाद तहसील प्रशासन द्वारा दो दर्जन से अधिक छोटी-बड़ी नावें लगायी गयीं थीं। एक पखवारे तक नाविक दिन-रात लोगों की सेवा करते रहे। बाढ़ समाप्त होने के बाद तहसील प्रशासन नाविकों को भूल गया, जबकि वे अपना पारिश्रमिक पाने के लिए पूरे साल तहसील का चक्कर काटते रहे। अब जब पुन: तहसील प्रशासन बाढ़ की तैयारी में लगा हुआ है तो नाविकों ने उचित अवसर देख हाथ खड़ा कर दिया है।

नाविक गनपति मांझी, पालकी साहनी का कहना है कि खड़ेसरी गांव के बृजराज यादव के टोला का रास्ता कट जाने के बाद हम लोगों ने एक पखवारे तक नाव चलायी थी। इसी प्रकार गोरखपुरा गांव में परमहंश साहनी व संतोष साहनी, खैराटी गांव में सोखा साहनी व श्रीरतन साहनी, अजयपुरा गांव में नरेश साहनी की नाव 10 दिन से लेकर एक पखवारे तक चली थी, मगर आज तक इनको पारिश्रमिक के नाम पर एक रुपये भी नसीब नहीं हुआ।

नाविकों का कहना है कि जब हम लोग गांव के लेखपाल के पास जाते हैं तो वे कहते हैं कि हमने रिपोर्ट लगाकर तहसील भेज दिया है। वहीं से भुगतान होगा जबकि तहसील में बाबू लोग तरह-तरह की समस्या बताकर भुगतान नहीं करते हैं। अगर पुराने पारिश्रमिक का भुगतान नहीं मिला तो हम लोग इस साल बाढ़ में अपनी नाव नहीं लगाएंगे। दूसरी ओर बाढ़ प्रभावित गांवों के निवासी नंदा यादव, राजेश, सुबास, राममिलन, सदानंद, रामनगीना, बाबूराम का कहना है कि नाविक हम लोगों से उलाहना देते हैं कि हम लोग आप लोगों के कारण नाव लगाते हैं क्योंकि सरकारी काम हो जाने के बाद कोई पूछता नहीं है। इनके पारिश्रमिक का भुगतान प्रशासन को समय रहते कर देना चाहिए। जिससे वे समय पर सेवा दे सकें।

इस संबंध में तहसीलदार प्रेमचंद मौर्य ने कहा कि जो रिपोर्ट मिली थी। उसके आधार पर हर गांव के नाविकों के खाते में पारिश्रमिक की धनराशि भेज दी गयी है। किसी का भी भुगतान अवशेष नहीं है। यह पूछे जाने पर कि जो लोग भुगतान मांग रहे हैं। वे लोग कौन हैं? उनका कहना है कि हमें इसकी जानकारी नहीं है।


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