अचानक लगी रोक, कूड़ा हो जाएंगी करोड़ों की दवाएं
बिना पूर्व सूचना के कई दवाओं पर प्रतिबंध लगने से दवा व्यापारी सकते हैं। केवल गोरखपुर क्षेत्र में ही इससे पांच सौ करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है।
गोरखपुर, (दुर्गेश त्रिपाठी)। फिक्स डोज कॉम्बीनेशन वाली 328 दवाओं की बिक्री पर अचानक रोक से दवा व्यापारी हैरान हैं। उनको समझ में नहीं आ रहा है कि जो दवाएं दुकानों में हैं उनका वह क्या करेंगे। यदि कंपनियों ने वापस नहीं ली तो अकेले गोरखपुर में ही तकरीबन चार करोड़ रुपये की दवाएं कूड़ा हो जाएंगी। देश के दवा व्यापारियों की बात करें तो 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान तय है। जिन मरीजों ने 10-15 दिन की दवाएं खरीद ली हैं उनका क्या होगा। दवा व्यापारी अचानक दवाओं की बिक्री पर रोक को गलत बता रहे हैं।
यह है मामला
वर्ष 2016 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने फिक्स डोज कॉम्बीनेशन वाली 328 दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी थी। तर्क दिया गया था कि यह कॉम्बीनेशन बिना वजह बनाया गया है। कई तरह की दवाओं का एक साथ इस्तेमाल होने से दवाओं का असर कम होता जा रहा है। इस आदेश के बाद दवा कंपनियां कोर्ट में चली गईं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड का गठन किया गया। इसको दवाओं के कॉम्बीनेशन की उपयुक्तता की जांच करनी थी। अब इस बोर्ड ने भी 328 दवाओं के कॉम्बीनेशन को गलत माना है।
पांच हजार से अधिक ब्रांड की दवाएं हैं बाजार में
सीडीएफ यूपी के महामंत्री सुरेश गुप्ता ने बताया कि जिन कॉम्बीनेशन पर रोक लगी है उनकी पांच हजार से भी ज्यादा ब्रांड नाम से दवाएं बाजार में हैं। अचानक रोक लग जाने से हम हतप्रभ हैं। एक आदेश से यह दवाएं कूड़े से ज्यादा नहीं रह गई हैं। फैक्ट्री, थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी और यहां तक कि मरीजों के पास भी यह दवाएं हैं। सरकार को पहले इन दवाओं का निर्माण रोकना चाहिए था।
कहीं के नहीं रहेंगे दवा व्यापारी
केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री दिलीप सिंह ने कहा कि भालोटिया मार्केट की बात करें तो यहां चार करोड़ रुपये से ज्यादा की काम्बीनेशन की दवाएं मौजूद हैं। दवा व्यापारियों के सामने समस्या है कि वह अब इन दवाओं का क्या करेंगे। इतनी ज्यादा पूंजी एक साथ खत्म हो जाएगी तो दवा व्यापारी कहीं के नहीं रहेंगे। सरकार को दवाओं पर प्रतिबंध लगाने से पहले पूरा विचार करना चाहिए था।
वापस हाें प्रतिबंधित दवाएं
दवा विक्रेता समिति के अध्यक्ष योगेंद्र नाथ दुबे ने कहा कि कई बहुराष्ट्रीय तो कई भारतीय कंपनियां कॉम्बीनेशन की दवाएं बनाती हैं। इन दवाओं को पूरी तरह परीक्षण के बाद ही बाजार में ले आया जाता है। अब तक इन दवाओं के साइड इफेक्ट के बारे में भी कभी नहीं बताया गया है। सरकार को निर्णय लेने से पहले बाजार में मौजूद दवाओं की वापसी के बारे में भी सोचना चाहिए था।
सरकार बताए, दवाओं का क्या करें
दवा विक्रेता समिति के महामंत्री आलोक चौरसिया सरकार जो नियम बनाती है उसका दवा व्यापारी पूरी तरह पालन करते हैं। कॉम्बीनेशन की दवाओं के बारे में सरकार के निर्णय को माना जाएगा लेकिन यदि इसकी शुरुआत कंपनियों से की जाती तो ज्यादा बेहतर रहता। कंपनियों से दवाएं नहीं आएंगी तो बाजार में अपने-आप यह नहीं मिलेंगी। फुटकर व्यापारियों के पास मौजूद दवाओं का क्या होगा, इसे भी बताना होगा।