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Coronavirus: मां ने जीती जंग, नवजात को छू नहीं पाया कोरोना Gorakhpur News

बीआरडी मेडिकल कालेज के कोरोना वार्ड में नवजात को लेकर भर्ती मां ने जहां कोरोना को शिकस्त दी वहीं नवजात को बीमारी छू तक नहीं पाई। साबित कर दिया कि मां का दूध बच्चे के लिए अमृत है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 08:18 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 08:18 PM (IST)
Coronavirus: मां ने जीती जंग, नवजात को छू नहीं पाया कोरोना Gorakhpur News
Coronavirus: मां ने जीती जंग, नवजात को छू नहीं पाया कोरोना Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना मरीजों की बढ़ती तादाद बेशक चिंता में डालने वाली है, लेकिन इन्हीं के बीच बीमारी को शिकस्त देने वाले भी कम नहीं है। बीआरडी मेडिकल कालेज के कोरोना वार्ड में नवजात को लेकर भर्ती मां ने जहां कोरोना को शिकस्त दी वहीं नवजात को बीमारी छू तक नहीं पाई। साबित कर दिया कि मां का दूध बच्चे के लिए अमृत है। साथ ही सतर्कता व हिम्मत से काम लिया जाए तो बीमारी से बचने के साथ ही जंग आसानी से जीती जा सकती है।

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शहर के इस्माइलपुर की रहने वाली जिया फातिमा के पिता सईद अहमद ने बताया कि छह जुलाई को सुबह अचानक जिया को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। बेटी को लेकर निजी अस्पताल पहुंचे। मामला हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का था, इसलिए कोरोना का सेम्पुल लेने के बाद ऑपरेशन हुआ। सात जुलाई की शाम रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद दोनों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कोरोना वार्ड में भर्ती करा दिया गया। 17 जुलाई को बच्ची और मां दोनों को डिस्चार्ज कर दिया गया। उस समय तक 2100 ग्राम की अंडरवेट बच्ची का वजन 2300 ग्राम हो चुका था।

बड़ी थी चुनौती

जिया के सामने चुनौती बड़ी थी। चिकित्सक ने उन्हें बताया था कि हाथों में ग्लब्स पहन कर और मॉस्क लगा कर नवजात को स्तनपान कराया जा सकता है। बच्ची को पहला स्तनपान चिकित्सकों की देखरेख में कराया। तब तक कोरोना की रिपोर्ट नहीं आई थी। रिपोर्ट आने के बाद पूरी रात सुरक्षित तरीके से अस्पताल में रहे और अगली सुबह बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंचे। वहां चिकित्सकों ने राय दी कि कोरोना से बच्ची का बचाव करने में स्तनपान और नवजात को सीने से लगाना काफी कारगर होगा। डाक्टरों ने बच्ची को नवजात आइसीयू में रखने की बजाय सावधानी के साथ स्तनपान करवाने पर जोर दिया। बच्ची, मां के साथ ही वार्ड में रही। दोनों मॉस्क लगाते थे। इस संबंध में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार का कहना है कि यहां कई संक्रमित मां के साथ उनके बच्चे भर्ती हो चुके हैं। अनेक संक्रमित बच्चों के साथ उनकी निगेटिव मां को भी रहना पड़ा। उन्हें सावधानी की ट्रेङ्क्षनग दी गई। लगातार निगरानी की जा रही थी। इसलिए किसी में संक्रमण फैल नहीं पाया। संक्रमित चाहे मां हो या बच्चे, सभी स्वस्थ होकर घर गए।


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