मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद तेज हुआ गोरखपुर-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य Gorakhpur News
गोरखपुर-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य अक्टूबर 2019 में पूरा होना था लेकिन उस समय तक केवल 35 फीसद ही काम हो पाया। मुख्यमंत्री ने एनएचएआइ के अधिकारियों को कड़ा निर्देश दिया। इसके बाद काम में तेजी आई है।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य अप्रैल 2017 में शुरू हुआ। 30 माह अर्थात अक्टूबर 2019 में इसे पूरा होना था, लेकिन उस समय तक केवल 35 फीसद ही काम हो पाया था। सड़क खोदकर छोड़ दी गई थी और निर्माण बंद हो गया था। आम जनता की मुश्किलें बढ़ गई थीं। इसे लेकर मुख्यमंत्री ने एनएचएआइ के अधिकारियों को कड़ा निर्देश दिया। इसके बाद काम में तेजी आई है।
कार्यदायी संस्था को एनएचएआइ मुख्यालय, दिल्ली ने किया था तलब, चेयरमैन को आना पड़ा गोरखपुर
काम बंद होने के बाद जब नागरिकों की मुश्किलें बढ़ीं तो मुख्यमंत्री ने स्वयं जाकर इस मार्ग का निरीक्षण किया और एनएचएआइ के अधिकारियों को शीघ्र काम पूरा करने की हिदायत दी। इसके बाद एनएचएआइ मुख्यालय, दिल्ली ने कार्यदायी संस्था जेपी एसोसिएट को तलब किया। दिसंबर 2019 में उसे काम की प्रगति दिखाने के लिए तीन माह का अंतिम मौका दिया गया। इसके बाद कार्यदायी संस्था के चेयरमैन जेपी गौड़ को गोरखपुर आना पड़ा। उन्होंने स्वयं उपस्थित होकर अपनी निगरानी में कार्य शुरू कराया।
मुख्यमंत्री के निर्देशों का हर हाल में पालन कराया जाएगा। समयबद्ध तरीके से मार्च तक टू लेन व नवंबर तक फोरलेन निर्माण पूरा करने की कोशिश की जाएगी। काम तेज गति से चल रहा है। - सीएम द्विवेदी, परियोजना निदेशक, एनएचएआइ।
गोरखनाथ फोरलेन : पोल हट गए पर केबल बिछी न ही सड़क बनी
20 दिसंबर की समयसीमा बीतने के बाद भी गोरखनाथ रोड पर अब तक न अंडरग्राउंड बिजली केबल बिछाने का काम पूरा हो सका और न ही सड़क ही बन सकी। बिजली निगम ने सड़क के बीच से पोल हटा दिए गए हैं लेकिन गंदा पानी बहने के कारण ज्यादातर स्थानों पर नालों में बने ट्रेंच पर केबल नहीं बिछ सकी है। खिचड़ी मेला को देखते हुए बिजली निगम और लोक निर्माण विभाग को 20 दिसंबर तक हर हाल में सड़क और अंडरग्राउंड केबल बिछाने का काम पूरा करना था। दिसंबर के पहले हफ्ते में अफसरों ने निरीक्षण किया तो पता चला कि कई जगह पर पोल सड़क के बीच से हटाए नहीं गए हैं। एक जगह पर सड़क के बीच में ट्रांसफार्मर भी रखा था। कमिश्नर जयंत नार्लिकर ने काम तेज करने के निर्देश दिए तो आनन-फानन में सड़क पोल व ट्रांसफार्मर को सड़क से हटा दिया गया लेकिन केबल नहीं बिछ सकी।