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सिद्धार्थनगर में दो दशक बाद भी पशु अस्पताल का निर्माण अधूरा

एसडीएम डुमरियागंज प्रमोद कुमार ने बताया कि समस्या संज्ञान में है बजट भी पूरा जारी नहीं किया गया। लखनऊ तक लिखा-पढ़ी विभाग ने की है। प्रमुख सचिव से लेकर शासन स्तर पर चिट्ठी भेजी गई पर कुछ भी नहीं हुआ। उम्मीद पूरी तरह धुंधली होती दिख रही है वैसे अपने स्तर से हम पुन पत्र उच्चाधिकारियों समेत शासन को लिखेंगे जिससे अधूरा निमार्ण कार्य पूर्ण कराया जा सके।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 10:03 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 10:03 PM (IST)
सिद्धार्थनगर में दो दशक बाद भी पशु अस्पताल का निर्माण अधूरा
सिद्धार्थनगर में दो दशक बाद भी पशु अस्पताल का निर्माण अधूरा

सिद्धार्थनगर: एक करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाला पशु अस्पताल का भवन निर्माण शुरू होने के दो दशक बाद भी पूर्ण नहीं हो सका है। अधूरा भवन निर्माण सरकारी धन के लूट की कहानी भी स्वत: बयान कर रहा है, बावजूद इसके जिम्मेदार मौन बने हुए हैं। खुद का भवन विभाग को नसीब नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण आज भी चिकित्सालय किराये के भवन में ही चल रहा है।

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वर्ष 1997-98 में डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के ग्राम परसा हुसैन में पशु अस्पताल बनना शुरू हुआ। भवन की श्रृंखला में तीन आवासीय परिसर, एक दवा वितरण केंद्र, दो पशु बांधने का स्थान, एक कृत्रिम गर्भाधान केंद्र व एक मुख्य भवन शामिल है। सारे भवनों के निर्माण की जिम्मेदारी सीएनडीएस नामक कार्यदायी संस्था को सौंपी गई। एक करोड़ से अधिक की लागत से बनने वाले भवन में ठेकेदार व विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से धन का खूब बंदरबांट हुआ। यही वजह रहा कि कुछ महीनों में ही निर्माण ठप हो गया। कार्य अधूरा होने कारण भवन अभी तक हैंडओवर नहीं हो सका है। लंबे समय से रूके निर्माण कार्य के कारण भवन अब खंडहर होने लगा है। निर्माण कार्य एक बार ठप हुआ तो अभी तक शुरू नहीं हो सका है, जिसका मुख्य कारण संशोधित बजट न होना बजाया जा रहा है। जिससे भवन का निर्माण करा रही कार्यदायी संस्था भाग खड़ी हुई।

जिलाधिकारी से लेकर प्रमुख सचिव तक मामले की शिकायत की गई लेकिन अभी तक उक्त मामले में कोई कार्यवाही होने से भवन का निर्माण अधर में है।

यह है मौजूदा स्थिति-

वर्तमान में स्थिति यह है कि सभी भवन अधूरे हैं। अस्पताल भवन से लेकर आधे-अधूरे आवास जो बने थे वह भी जर्जर होने लगे है। मानक की अनदेखी कर बनाया जा रहा भवन अब जर्जर हो चुका है। किसी जिम्मेदार द्वारा इसकी निगरानी भी नहीं की गई। जिसका परिणाम यह रहा कि कहीं जंगला टूट चुका है, तो कहीं दरवाजा गायब, भवन भी लोगों द्वारा अपने अनुसार प्रयोग किया जाता है। जो भूसा आदि रखने के काम आ रहा है। जगह-जगह प्लास्टर भी उखड़ रहा है। यही हालत रही तो भवन हैंड ओवर होने से पहले ही खंडहर हो जाएगा। परिसर में जो हैंडपंप लगे थे, वह भी खराब पड़े हैं। आधा हिस्सा तो जमीन में गायब हो चुका है।

एसडीएम डुमरियागंज प्रमोद कुमार ने बताया कि समस्या संज्ञान में है, बजट भी पूरा जारी नहीं किया गया। लखनऊ तक लिखा-पढ़ी विभाग ने की है। प्रमुख सचिव से लेकर शासन स्तर पर चिट्ठी भेजी गई पर कुछ भी नहीं हुआ। उम्मीद पूरी तरह धुंधली होती दिख रही है, वैसे अपने स्तर से हम पुन: पत्र उच्चाधिकारियों समेत शासन को लिखेंगे, जिससे अधूरा निमार्ण कार्य पूर्ण कराया जा सके।


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