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40 साल बाद राजधानी से लौटे हैं घर, तलाश लिया दिल्ली जैसी कमाई का विकल्प Gorakhpur News

अयोध्‍या प्रसाद 13 साल की अवस्‍था में दिल्‍ली चले गए। कोरोना वायरस के चलते उन्‍होंने दिल्‍ली और वहां के लोगों के बदले व्‍यवहार से दुखी होकर अलविदा कर घर आ गए।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 07:47 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 05:13 PM (IST)
40 साल बाद राजधानी से लौटे हैं घर, तलाश लिया दिल्ली जैसी कमाई का विकल्प Gorakhpur News
40 साल बाद राजधानी से लौटे हैं घर, तलाश लिया दिल्ली जैसी कमाई का विकल्प Gorakhpur News

उमेश पाठक, गोरखपुर। कोरोना वायरस ने कई परिवारों की रोजी-रोटी छीन ली है। वर्षों परदेस में रहने के बाद उन्हें पेट भरने के लिए अपने गांव लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है। बाहर से आने वाले अधिकतर लोग जहां सरकार की ओर टकटकी लगाए निराश बैठे हैं, वहीं कुछ लोगों ने परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करने की ठानी। और, गांव में ही कुछ करने का संकल्प लेकर उन्होंने दिल्ली में हो रही कमाई का विकल्प तलाश लिया।

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13 वर्ष की आयु में गए थे दिल्‍ली

भटहट क्षेत्र के ग्राम जंगल हरपुर के अयोध्या प्रसाद भी ऐसे ही लोगों में हैं। लॉकडाउन के कारण दिल्ली ने जब 40 साल पुराना साथ छोड़ दिया तो गांव ने उनका हाथ थाम लिया। वह सब्जी बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं और अब बाहर न जाने का निर्णय ले चुके हैं। अयोध्या करीब 40 साल पहले 13 वर्ष की आयु में दिल्ली चले गए थे। संघर्षों ने उन्हें सोफा व पेंट पालिश के काम में माहिर बना दिया। काम अच्छा चलने लगा तो बेटे अरविंद को भी दिल्ली बुला लिया। पिता-पुत्र मिलकर हर महीने अच्छी-खासी कमाई कर लेते थे। पर, कोरोना महामारी के कारण उनका काम बंद हो गया। खाने व मकान के किराए का संकट हुआ तो दोनों जैसे-तैसे अप्रैल महीने की शुरूआत में ही गांव लौट आए।

आर्थिक तंगी से लड़े, टूटे नहीं

दिल्ली में जमा-जमाया काम छोड़कर आना आसान नहीं था लेकिन जब सबकुछ बंद हो गया तो वापस आना पड़ा। यहां आने के बाद पिता-पुत्र को 14 दिन तक क्वारंटाइन रहना पड़ा। बिना आय के लगातार खर्च होने से परिवार की आर्थिक हालत खराब होने लगी। कुछ सूझ नहीं रहा था। लेकिन, अयोध्या ने आर्थिक तंगी के आगे घुटने नहीं टेके बल्कि उससे मुकाबला करने की ठान ली। घर पर पड़ी पुरानी साइकिल उठाई और किसानों से संपर्क कर खेत से ही सब्जी खरीदी और गांव-गांव फेरी लगाकर सब्जी बेचने लगे।

अयोध्या की आवाज से टूटती है नींद

अयोध्या प्रसाद सुबह पांच से छह बजे के बीच क्षेत्र के गांवों में ताजा सब्जी लेकर पहुंच जाते हैं। उनकी आवाज से ही कई लोगों की नींद भी टूटती है। दरवाजे पर ही उचित मूल्य पर सब्जी मिल जाने से गांव वालों को भी आसानी हो रही है।

बेटे को लगा दिया इसी काम में

अयोध्या बताते हैं कि खेत से सीधे सब्जी लेने से बचत अच्छी हो जाती है। अच्छी आय होने लगी तो उन्होंने एक पुरानी साइकिल खरीदकर बेटे को भी इसी काम में लगा दिया। अब दोनों मिलकर दिल्ली की तुलना में अधिक आय अर्जित कर लेते हैं। वह कहते हैं, अब गांव छोडऩे की जरूरत नहीं पड़ेगी। केवल चार घंटे की मेहनत में अच्छी आय हो रही है। 


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